दीवान समूह के परिवार का विवाद सात दिन बाद शनिवार को सड़क पर आ गया। दिल्ली से दो दिन बाद साकेत लौटी नेहा दीवान को कोठी में घुसने नहीं दिया गया। इस पर नेहा ने पुलिस बुला ली। करीब सात घंटे तक साकेत से सिविल लाइन थाने तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला। कोठी का दरवाजा खुलवाने के लिए पुलिस ने दबाव बनाने की कोशिश की तो अजय दीवान ने चौकीदार को भी गेट से अंदर बुला लिया। अजय की मां प्रसंता दीवान ने मकान अपने नाम बताकर पुत्रों का नाम भी नेमप्लेट से हटा दिया।
Meerut: भूखी-प्यासी हूं, यहीं दम तोड़ दूंगी..., फूट-फूटकर रोई नेहा दीवान, सात घंटे चला हाई वोल्टेज ड्रामा
करीब एक घंटा कोठी के बाहर खड़े रहने के बाद नेहा ने सीओ और इंस्पेक्टर सिविल लाइन को सूचना दी। सीओ अरविंद चौरसिया मौके पर पहुंचे और गार्डों से गेट खोलने के लिए कहा। सीओ भी काफी देर तक बाहर खड़े रहे, लेकिन गेट नहीं खुला। उन्होंने गार्डों से कहा कि अपने मालिक से कहें कि सीओ बात करना चाहते हैं। गार्ड अंदर गए, लेकिन वापस नहीं लौटे। गहमागहमी के बाद दोपहर 12:15 बजे नेहा थाने पहुंचीं। इसके बाद एसएसपी कार्यालय भी गईं। सीओ पूनम सिरोही को शिकायती पत्र देकर नेहा ने कोठी में अंदर रखवाने की गुहार लगाई। पुलिस अधिकारियों ने नेहा को आश्वासन दिया कि परिवार के लोगों से बातचीत चल रही है। जल्द कोई समाधान निकालेंगे।
महिला आयोग की सदस्य भी पहुंचीं
साकेत में हाईप्रोफाइल ड्रामे की जानकारी लगने पर महिला आयोग की सदस्य दीपिका ठाकुर भी साकेत पहुंचीं। दीपका ठाकुर ने पुलिस से कहा कि नेहा को उसके घर में अंदर पहुंचाओ, लेकिन पुलिस बेबस नजर आई। पुलिस कहती रही कि जब दरवाजा अंदर से नहीं खुल रहा तो वह क्या करें। दंपती का मामला है। जबरदस्ती नहीं कर सकते।
मेरा मकान है, जिसको चाहूंगी वही रहेगा
अजय दीवान की मां प्रसंता दीवान का कहना कि साकेत में उनका मकान है। जिसको चाहूंगी उसको रखूंगी। इस मकान में बेटा नहीं रहेगा तो पुत्रवधू भी नहीं रहेगी। पुलिस ने कई बार प्रसंता दीवान से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी बात नहीं हुई। मकान के अंदर अजय दीवान थे या नहीं। पुलिस इसकी जांच में जुटी है।
कपड़ों की अलमारी पर लगा दिया ताला
नेहा ने बताया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद से पति उत्पीड़न करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उनके कपड़ों की अलमारी में भी ताला लगा दिया गया है। वह दो दिन पहले मायके में कपड़े लेने गई थी। शनिवार सुबह कोठी पर लौटी तो उसे अंदर नहीं घुसने दिया।
