मार्कंडेय महादेव की तपोभूमि और गंगा गोमती के संगम तट पर मशहूर अदाकारा हेमा मालिनी सती, पार्वती और दुर्गा के रूपों में जब नजर आईं तो दर्शक अपलक उन्हें निहारते ही नहीं। भरतनाट्यम नृत्य में पिरोए नृत्य के साथ ही उनकी भाव भंगिमा ने सभी को मुग्ध कर दिया। आगे की स्लाइड्स में देखें...
शनिवार को वाराणसी के कैथी घाट किनारे मंचित नृत्य नाटिका में सती के देह त्यागते ही शिव ने जैसे ही रौद्र मुद्रा धारण की, उनके तांडव की थाप से पूरा संगम तट गुंजायमान हो गया। पौराणिक शास्त्रों में वर्णित सती, पार्वती और दुर्गा के रूपों की प्रस्तुति के हजारों लोग गवाह बने और अपने साथ अविस्मरणीय यादें लेकर गए।
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा दो दिवसीय श्री मार्कंडेय महादेव महोत्सव की पहली संध्या पद्मश्री हेमा मालिनी के नाट्य विहार कला केंद्र की टीम ने दुर्गा नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई।
दुर्गा सप्तशती पर आधारित इस नृत्य नाटिका में भरतनाट्यम शैली की भंगिमाएं थीं तो रविंद्र जैन, सुरेश वाडेकर और कविता कृष्णमूर्ति जैसे गायकों के भक्ति पद में पिरोया संगीत था।
शिव, सती और पार्वती का संवाद और गीतों ने लोगों को मुग्ध कर दिया। आखिर में मां दुर्गा का अवतरण शानदार मंचन का उपसंहार बना। शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ तो नृत्य नाटिका का आरंभ शिव और सती के संवाद से।