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Jaya Kishori: हर मुश्किल को आसान बनाती हैं जया किशोरी की ये 10 बातें, जीवन में बदलाव के लिए बेहद जरूरी

ममता त्रिपाठी, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Wed, 17 Sep 2025 09:09 AM IST
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सार

 जया किशोरी ने कर्म का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि दूसरों पर निर्भर रहना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है। आपकी जरूरत और आपकी खुशी दोनों आपकी जिम्मेदारी है, इसके लिए किसी पर निर्भर क्यों रहना।

10 Powerful Life Lessons from Jaya Kishori That Make Every Difficulty Easy
कथा वाचक व प्रेरक वक्ता जया किशोरी। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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मोहक मुस्कान और आध्यात्म का ज्ञान। मुंह से निकला हर एक शब्द जीवन की सच्चाई बयां कर रहा था। हर एक बात सुनकर ऐसा लग रहा था कि अरे ऐसा तो हमारे साथ भी होता है। मंगलवार को सूरसदन में जया किशोरी ने कर्म का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि दूसरों पर निर्भर रहना ही दुख का सबसे बड़ा कारण है। आपकी जरूरत और आपकी खुशी दोनों आपकी जिम्मेदारी है, इसके लिए किसी पर निर्भर क्यों रहना। अपनी खुशियों का रिमोट दूसरों को न दें। श्रोताओं के साथ प्रश्नोत्तर सत्र में जया किशोरी ने महिला विकास, परिवार और समाज पर खुलकर चर्चा की।
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बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने के साथ परिवार में सामंजस्य के सवाल पर जया किशोरी ने कहा कि सामंजस्य सिखाने की जरूरत बेटों को है। हमने काम का बंटवारा किया कि ये काम पुरुष करेगा और ये काम महिला, जबकि सारे काम सबको आने चाहिए। बेटियों ने देखा कि इतने समर्पण के बाद भी मां को सुनने के लिए यही मिलता है कि सारा दिन घर में करती क्या हो। तभी तो उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की राह चुनी।

 
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पुरुषों को परिवार के काम में सामंजस्य बैठाना आ जाए तो दिक्कत ही खत्म हो जाए। उन्होंने सफलता के लिए परिवार का साथ और परिवार की खुशी को सबसे महत्वपूर्ण बताया। कहा कि घर वो होता है जहां जाने पर सुकून मिले न कि घर जाने के नाम पर ही आपका मूड बिगड़ जाए। ऐसी स्थितियां जिनके घर में हों, तो वे बैठकर बात करें। तमाम धर्म गुरुओं के सत्संग के बाद भी लोगों की सोच न बदलने के सवाल पर जया किशोरी का कहना था कि डॉक्टर सिर्फ दवा दे सकता है, उसे खाना तो मरीज को ही पड़ेगा। इसी प्रकार प्रेरक वक्ता और धर्म गुरु भी लोगों को समझा सकते हैं, लेकिन उन बातों को जीवन में अपनाना तो खुद ही पड़ेगा।

 

सम्मान सबका करें, प्रेम सिर्फ अपने धर्म से
श्रोताओं में मौजूद राधाकृष्ण ने धर्मांतरण और दूसरे धर्म में युवाओं के विवाह पर सवाल किया। कहा कि कुछ ऐसा बोलिए जिससे युवा अपने धर्म से न भटकें। इस पर उन्होंने कहा कि हमें सम्मान तो सभी धर्मों का करना चाहिए, लेकिन प्रेम सिर्फ अपने धर्म से करना चाहिए। जो अपने धर्म का सगा नहीं वो किसी का सगा नहीं हो सकता।


 

हिंदू धर्म मिथ नहीं, प्रमाण है
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी अन्य धर्म के लिए माइथोलॉजी शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। माइथोलॉजी शब्द मिथ से बना है, जिसका अर्थ है कपोल-कल्पित कहानी। सनातन धर्म कोरी कल्पना नहीं, शास्त्रों में उल्लेखित प्रमाण है। इसलिए कृपया सनातनी लोग हिंदू माइथोलॉजी शब्द का प्रयोग न करें।

 

जया किशोरी की 10 सीखें
1- आध्यात्म का मतलब अपने साथ समाज का भला करना।
2- जीवन में कर्म की प्रधानता होनी चाहिए। अपने कर्तव्यों को छोड़कर साधु बना धर्म नहीं है।
3- खूब धन कमाइये और समाज के हित में काम कीजिए।
4-आत्मनिर्भर बनिए, किसी के भी ऊपर निर्भर नहीं रहना है।
5-अपनी इंद्रियों के मालिक बनिए न की गुलाम।
6- कर्म घूमकर वापस आते हैं इसलिए हमेशा सद्कर्म कीजिए।
7-भक्ति का पहला कदम समर्पण है, ईश्वर के प्रति खुद को समर्पित कर दीजिए।
8- खुद की कमियों को दूर करने पर काम कीजिए।
9- परिवार की खुशी को सर्वोपरि रखिए।
10- हर व्यक्ति को ये तीन काम जरूर आना चाहिए। पहला इतना खाना बनाना कि अपना पेट भर सकें, इतनी साफ-सफाई कि गंदगी में न रहना पड़े और इतना काम आना चाहिए जिससे दूसरों के ऊपर निर्भर रहना पड़े।
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