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लोकसभा चुनाव 2024: बसपा ने आगरा में पकड़ की मजबूत, पर छूट गई फतेहपुर सीकरी; जानें वजह

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Sun, 31 Mar 2024 09:45 AM IST
सार

आगरा लोकसभा सीट पर बसपा ने पिछले 10 सालों में अपनी पकड़ को मजबूत किया है, लेकिन इस बीच फतेहपुर सीकरी सीट हाथों से निकल गई। 
 

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BSP strengthened its hold in Agra but lost Fatehpur Sikri Lok Sabha seat
बसपा सुप्रीमो मायावती। - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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आगरा में बसपा के हाथी की चाल हर सीट पर अलग-अलग है। आगरा शहर में साल 2009 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक 10 साल में हाथी की चाल बढ़ी है। फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर हाथी ठिठक गया है। यहां वोटों की संख्या आधी रह गई है।
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विधानसभा चुनाव में बसपा दो बार जिले की 9 में से 6 सीटों पर जीत चुकी है। लोकसभा सीट पर एक बार भी बसपा प्रत्याशी नहीं जीता। हालांकि आगरा संसदीय सीट पर बसपा के वोटों में इजाफा हो रहा है।
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साल 2009 में बसपा के कुंवरचंद वकील लोकसभा चुनाव लड़े। उन्हें 29.98 फीसदी वोट मिले। उन्हें 1,93,982 वोट मिले। साल 2014 में बसपा ने नरायन सिंह सुमन को प्रत्याशी बनाया पर उन्हें 26.48 फीसदी वोट ही मिल पाए। हालांकि उन्हें वोट 2,83,453 मिले।

पांच साल बाद साल 2019 के चुनाव में बसपा ने हाथरस के मनोज कुमार सोनी को आगरा से उतारा, तब उन्हें 38.47 फीसदी वोट मिले। उन्होंने 4,35,329 वोट पाकर बसपा के वोटों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी की, लेकिन जीत नहीं सके।

 

सीकरी में ठिठक गया हाथी
आगरा के एकदम उलट बसपा का हाथी फतेहपुर सीकरी में ठिठक गया। सीकरी में साल 2009 में बसपा प्रत्याशी सीमा उपाध्याय जीती थीं। तब उन्हें 30.19 फीसदी वोट मिले थे।उन्होंने सिनेस्टार राजबब्बर को हराया था, लेकिन बसपा उसके बाद प्रदर्शन दोहरा न सकी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सांसद सीमा उपाध्याय बसपा से लड़ीं, पर इस बार 2 फीसदी वोट कम पड़े। वह 26.18 फीसदी वोट पाकर हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर फिर दांव लगाया। पार्टी से बड़ा वोट बैंक छिटक गया। बसपा के श्रीभगवान शर्मा को महज 16.18 फीसदी वोट मिले। दस साल में ही बसपा के 14 फीसदी वोट दूसरे दलों में चले गए।

 

मथुरा में बसपा ने खो दी जमीन
मथुरा लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी का हाथी एकदम सुस्त हो गया। साल 2009 में बसपा ने श्याम सुंदर शर्मा को लोकसभा चुनाव लड़ाया। उन्हाेंने 2,10,257 वोट हासिल किए जो 28.94 फीसदी थे। इसके पांच साल बाद बसपा ने फिर से ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाया। हाथी पर सवार योगेश द्विवेदी महज 16.10 फीसदी वोट ही पा सके। उन्हें केवल 1,73,572 वोट मिले। इस तरह यहां बसपा के वोटों में 12 फीसदी की सेंध लगी। साल 2019 में बसपा ने समाजवादी पार्टी और महागठबंधन के कारण यहां से चुनाव नहीं लड़ा। बसपा का हाथी ईवीएम में नजर नहीं आया। महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में रालोद के नरेंद्र सिंह चुनाव लड़े, जीत नहीं पाए।
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