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1971 War: उस रात तवी नदी का पुल नहीं उड़ाते तो घुस जाती पाकिस्तानी फौज, जानें 1971 में हुई जंग में क्या हुआ था
राजेश चाहर, संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Mon, 12 May 2025 03:28 PM IST
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सार
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग में हिस्सा लेने वाले गांव गढ़मुक्खा के 85 वर्षीय प्रताप सिंह चाहर ने बताया कि उस समय युद्ध के क्या हालात थे। उन्होंने बताया कि उस समय उनकी बटालियन कश्मीर में अखनूर के छंब सेक्टर में तैनात थी।

प्रताप सिंह
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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विस्तार
अगर उस रात (3 दिसंबर 1971) हमने मनावर तवी नदी का पुल नहीं उड़ाया होता तो पाकिस्तानी फौज अपने टैंकों के साथ भारत में घुस गई होती। ये बताते हुए चाहरवाटी के गांव गढ़मुक्खा निवासी 85 वर्षीय प्रताप सिंह चाहर की आंखें चमक उठीं। भारतीय फौज से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त प्रताप सिंह भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग में हिस्सा ले चुके हैं।
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प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 1964 में वह सेना में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग पूरी होते ही भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में जंग छिड़ गई। इसमें हिस्सा लेने के लिए उनकी भी बटालियन पहुंची। हालांकि युद्ध क्षेत्र में पहुंचने से पहले ही सीजफायर हो गया। वर्ष 1971 में जब दोबारा जंग छिड़ी तो उनकी टीम को युद्ध में जाने का मौका मिला।
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1971 की जंग का किस्सा सुनाते हुए प्रताप सिंह ने बताया कि 3 दिसंबर 1971 को उनकी बटालियन कश्मीर में अखनूर के छंब सेक्टर में तैनात थी। शाम साढ़े 6 बजे वह और उनके साथी बंकरों में बैठकर खाना खा रहे थे, तभी सीमा रेखा के सर्च के आदेश मिले। सर्च करते हुए उनकी टीम सीमा रेखा के पास पहुंची तो पाकिस्तानी टैंक भारत की सीमा की तरफ बढ़ते दिखे। इस पर सर्च पार्टी ने रॉकेट लॉन्चर से मनावर तवी के पुल को ही उड़ा दिया। जिससे पाकिस्तानी फौज भारत में प्रवेश नहीं कर सकी। इस बीच प्रताप सिंह की आंखें भी डबडबा गईं। कहा कि कि 3 से 17 दिसंबर तक चले इस युद्ध में उनके कई साथी वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
85 की उम्र में भी जवानों जैसा जोश
प्रताप सिंह आज भी जब किसी से बात करते हैं तो वही जवानी वाला जोश झलकता है। बचपन से मेहनत के शौकीन प्रताप अब भी सुबह दौड़ लगाकर दंड-बैठक करते हैं। सुबह नाश्ते में 1 लीटर दूध, अखरोट, बादाम, काजू और पिस्ता खाते हैं। गांव में लोग उनके बारे में कहते हैं कि हाथ मिलाने में देर लगती है प्रताप चित करने में देर नहीं लगाते हैं।
प्रताप सिंह आज भी जब किसी से बात करते हैं तो वही जवानी वाला जोश झलकता है। बचपन से मेहनत के शौकीन प्रताप अब भी सुबह दौड़ लगाकर दंड-बैठक करते हैं। सुबह नाश्ते में 1 लीटर दूध, अखरोट, बादाम, काजू और पिस्ता खाते हैं। गांव में लोग उनके बारे में कहते हैं कि हाथ मिलाने में देर लगती है प्रताप चित करने में देर नहीं लगाते हैं।