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जगन्नाथ रथयात्रा: नगर भ्रमण पर निकले सुभद्रा और बलराम संग भगवान जगन्नाथ, गूंजे जयकारे
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 28 Jun 2025 09:23 AM IST
सार
आगरा के कमला नगर के इस्कॉन मंदिर से नंदीघोष रथ पर यात्रा निकाली गई। इस दौरान भक्तों में गजब का उत्साह दिखाई दिया।
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जगन्नाथ रथयात्रा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
आगरा के कमला नगर के इस्कॉन मंदिर से शुक्रवार की दोपहर नंदीघोष रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण पर निकले। उन्हें देख श्रद्धालु उत्साह से लबरेज हो उठे। हर तरफ जयकारों की गूंज ने माहौल को भक्तिमय कर दिया। भगवान के साथ बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र भी मनमोहक अंदाज में दिखे।
भगवान के गले में वैजयंती माला और सिर पर सुशोभित सतरंगी पगड़ी। जरी के तार, सितारों से सजे नीले परिधान में बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया। उनमें रथ को खींचने और करीब पहुंचकर दर्शन करने की होड़ दिखी।
शंखनाद के साथ जैसे ही रथ पर विराजमान भगवान के पट खुले, हरिबोल-हरिबोल के जयकारे गूंजने लगे। मंजीरे और मृदंग पर हरे रामा-हरे कृष्णा धुन पर महिलाओं और पुरुषों ने नृत्य भी किया। हर तरफ श्रद्धा और भक्ति की गंगा बहती दिखी।
प्रथम आरती वृंदावन इस्कॉन के हरिविजय प्रभु व आगरा इस्कॉन के अध्यक्ष अरविंद प्रभु ने किया। इसके बाद भक्तजनों ने रथयात्रा के मार्ग में झाड़ू लगाई और रथ के रस्से को खींचा। उनके साथ सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने भी झाड़ू लगाई। उन्होंने कहा कि जो लोग आर्थिक कारणों से पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल नहीं हो सकते, वह अपने शहर में ही रथयात्रा में शामिल होने का पुण्य कमा सकते हैं।
महाप्रभु की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
घोड़ों और ऊंट की अगुवाई में दर्जनों ध्वजों के साथ रथयात्रा शुरू हुई। जिसमें प्रभुपाद, राधा कृष्ण और चैतन्य महाप्रभु का झांकी आकर्षक का केंद्र रही। रथ पर नाचते मोरों संग विराजमान राधा-कृष्ण की झांकी देख हर कोई भाव विभोर हो उठा।
गोपी और ग्वाला बनकर पहुंचे भक्त
रथयात्रा के उत्सव में महिलाएं गोपी के वेश में तो पुरुष ग्वाला के वेश में सज संवर कर पहुंचे। हर भक्त के माथे पर तिलक और गले में तुलसी की माला सजी थी।
कदंब और मोगरा के फूलों से सजाया
वृंदावन इस्कॉन मंदिर के माधव प्रभु ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्रा का वृंदावन का चंदुआ शृंगार किया। शृंगार में कदंब, वैजयंती, मालती, मोगरा जैसे पुष्पों का विशेष प्रयोग किया गया।
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भगवान के गले में वैजयंती माला और सिर पर सुशोभित सतरंगी पगड़ी। जरी के तार, सितारों से सजे नीले परिधान में बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया। उनमें रथ को खींचने और करीब पहुंचकर दर्शन करने की होड़ दिखी।
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शंखनाद के साथ जैसे ही रथ पर विराजमान भगवान के पट खुले, हरिबोल-हरिबोल के जयकारे गूंजने लगे। मंजीरे और मृदंग पर हरे रामा-हरे कृष्णा धुन पर महिलाओं और पुरुषों ने नृत्य भी किया। हर तरफ श्रद्धा और भक्ति की गंगा बहती दिखी।
प्रथम आरती वृंदावन इस्कॉन के हरिविजय प्रभु व आगरा इस्कॉन के अध्यक्ष अरविंद प्रभु ने किया। इसके बाद भक्तजनों ने रथयात्रा के मार्ग में झाड़ू लगाई और रथ के रस्से को खींचा। उनके साथ सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने भी झाड़ू लगाई। उन्होंने कहा कि जो लोग आर्थिक कारणों से पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल नहीं हो सकते, वह अपने शहर में ही रथयात्रा में शामिल होने का पुण्य कमा सकते हैं।
महाप्रभु की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
घोड़ों और ऊंट की अगुवाई में दर्जनों ध्वजों के साथ रथयात्रा शुरू हुई। जिसमें प्रभुपाद, राधा कृष्ण और चैतन्य महाप्रभु का झांकी आकर्षक का केंद्र रही। रथ पर नाचते मोरों संग विराजमान राधा-कृष्ण की झांकी देख हर कोई भाव विभोर हो उठा।
गोपी और ग्वाला बनकर पहुंचे भक्त
रथयात्रा के उत्सव में महिलाएं गोपी के वेश में तो पुरुष ग्वाला के वेश में सज संवर कर पहुंचे। हर भक्त के माथे पर तिलक और गले में तुलसी की माला सजी थी।
कदंब और मोगरा के फूलों से सजाया
वृंदावन इस्कॉन मंदिर के माधव प्रभु ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व भाई बलभद्रा का वृंदावन का चंदुआ शृंगार किया। शृंगार में कदंब, वैजयंती, मालती, मोगरा जैसे पुष्पों का विशेष प्रयोग किया गया।