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UP: यमुना यहां बहती है उल्टी, बटेश्वर के अर्द्धचंद्राकार बांध का जान लें रहस्य...किसी अजूबे से नहीं है कम

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Fri, 07 Nov 2025 11:56 AM IST
सार

1646 से पहले बटेश्वर में यमुना नदी पूरब दिशा की ओर बहती थी। तब भदावर नरेश बदन सिंह ने एक कोस लंबा अर्द्धचंद्राकार बांध बनवाकर यमुना के प्रवाह को पूरब से पश्चिम की ओर मोड़ा था। इसी बांध पर स्थित है कि बटेश्वर की ऐतिहासिक शिव मंदिर शृंखला।

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Mystery of Bateshwar: Where the Yamuna Flows in Reverse
बटेश्वर - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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बटेश्वर का एक कोस लंबा अर्द्धचंद्राकार बांध अनोखा है। बांध पर स्थित शिव मंदिर शृंखला के घाटों का आचमन कर यमुना नदी बहती है। मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी, राकेश वाजपेयी ने बताया कि वर्ष 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर में यमुना के बहाव को मोड़ने के लिए एक कोस लंबा अर्द्धचंद्रकार बांध बनवाया था। तभी से यमुना नदी बटेश्वर में उल्टी धारा में बह रही है।
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उन्होंने बताया कि अर्द्धचंद्राकार बांध पर 101 शिव मंदिर स्थित थे, जिनमें से अब 44 बचे हैं। पुजारियों ने बताया कि अनोखे बांध के साथ ही राजा बदन सिंह ने बटेश्वर मेले की बुनियाद डाली थी। तभी से ब्रह्मलालजी महाराज की दौज पर शृंगार पूजा भदावर राजघराने के प्रतिनिधि करते आ रहे हैं।
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शुक्रवार को तीर्थ स्थल ट्रस्ट के चेयरमैन एवं प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरिदमन सिंह 379वीं शृंगार पूजा करेंगे। पूजा के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे। बताया कि पूजा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर रोशनी से जगमगा उठे हैं। दर्शन और भोलेनाथ के अनुष्ठान के लिए बृहस्पतिवार की रात से ही बटेश्वर के घाट पर श्रद्धालुओं ने डेरा जमा लिया है।

संत और नागाओं का आखिरी शाही स्नान आज
बटेश्वर को पांचवें कुंभ का दर्जा दिलाने के लिए शुक्रवार को महामंडलेश्वर बाबा बालकदास के नेतृत्व में नागा और साधु-संत आखिरी शाही स्नान करेंगे। संत सुबह 8 बजे अपने अखाड़ों से निकलेंगे। ब्रज की विरासत का दर्शन-पूजन करेंगे। अखाड़ों में पहुंचेंगे, उसके बाद दोपहर में आखिरी शाही स्नान होगा। शाही स्नान के साथ ही दौज का स्नान पर्व पर श्रद्धालु बटेश्वर के घाट पर डुबकी लगा कर भालेनाथ का दर्शन पूजन के बाद मेला में खरीदारी करेंगे।

 
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