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सहकारिता विभाग के गोदाम निर्माण में खेल: दो जांच कमेटियां, दो फर्जीवाड़े...दोषी कौन पता ही नहीं
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 24 Jan 2025 02:21 PM IST
सार
सहकारिता विभाग के गोदामों के निर्माण में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ। हालांकि जांच के लिए दो कमेटियां गठित कर दी गई हैं, लेकिन दोषी कौन है, ये पता ही नहीं है।
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विकास भवन, आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
आगरा सहकारिता विभाग में गोदाम निर्माण के नाम पर दो फर्जीवाड़े हुए। दो जांच कमेटियां भी गठित हुईं। जांच में फर्जीवाड़े साबित हुए, लेकिन दोषी कौन है ये किसी को पता नहीं। अब शासन को भी यही जांच रिपोर्ट भेज दी गई है।
जिला सहकारी बैंक के संचालक वीरेंद्र सिंह ने जिला सहकारी बैंक का पुराना भवन तोड़ने और सहकारी समितियों के गोदामों में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। पहली शिकायत की जांच के लिए अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम रतन वर्मा की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति गठित की गई। दूसरी शिकायत की जांच का जिम्मा अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय रामकृष्ण चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति को सौंपा गया।
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जिला सहकारी बैंक के संचालक वीरेंद्र सिंह ने जिला सहकारी बैंक का पुराना भवन तोड़ने और सहकारी समितियों के गोदामों में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। पहली शिकायत की जांच के लिए अपर नगर मजिस्ट्रेट प्रथम रतन वर्मा की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति गठित की गई। दूसरी शिकायत की जांच का जिम्मा अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय रामकृष्ण चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति को सौंपा गया।
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दोनों ने अपनी जांच कर रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी को सौंपी। पहली शिकायत की जांच रिपोर्ट में यह साबित हो गया कि बिना किसी अनुमति या लिखित आदेश के जिला सहकारी बैंक का पुराना भवन ढहाया गया था। दूसरी शिकायत की जांच में पता चला कि 6 सहकारी समितियों के गोदामों का निर्माण कराए बिना ही तीन किस्तों का भुगतान किया गया था। ठेकेदार श्री कृष्णा कंस्ट्रक्शन्स एंड सप्लायर्स, एटा ने 10.8 लाख रुपये की फर्जी एफडीआर लगाकर गोदाम निर्माण के ठेके हासिल किए थे।
जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों ने शासन को भेजते हुए नियमानुसार कार्रवाई के लिए भी लिख दिया। लेकिन इन फर्जीवाड़ों में दोषी कौन है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अब शासन के निर्णय का इंतजार है। शासन इन दोनों जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करता है या फिर दोबारा उत्तरदायित्व निर्धारण करने के लिए पत्र भेजता है।
सहायक आयुक्त को बचाने का भी आरोप
मामले में विकास भवन में एक महीने से अधिक समय तक अनशन करने वाले किसान नेता श्याम सिंह चाहर सीधे सहायक आयुक्त को बचाने का आरोप लगाते हैं। वह कहते हैं कि सहायक आयुक्त रवींद्र सिंह के समय ये फर्जीवाड़े हुए। उन्हें 31 दिसंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होना था, इसलिए जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद जांच सार्वजनिक की गई।
मामले में विकास भवन में एक महीने से अधिक समय तक अनशन करने वाले किसान नेता श्याम सिंह चाहर सीधे सहायक आयुक्त को बचाने का आरोप लगाते हैं। वह कहते हैं कि सहायक आयुक्त रवींद्र सिंह के समय ये फर्जीवाड़े हुए। उन्हें 31 दिसंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होना था, इसलिए जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद जांच सार्वजनिक की गई।