सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Agra News ›   Sheikh Hasina had taken refuge in India when there coup in Bangladesh 49 years ago too

बांग्लादेश में फिर तख्ता पलट: 49 साल पहले भी शेख हसीना ने भारत में ली थी शरण, आज भी दर्ज है सत्ता का वह संघर्ष

अमित कुलश्रेष्ठ, अमर उजाला, आगरा Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Tue, 06 Aug 2024 04:28 PM IST
सार

15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद शेख हसीना पौने छह साल तक भारत में रहीं थीं। 17 मई 1981 को कोलकाता से ढाका अपनी बेटी के साथ पहुंचीं। छात्र आंदोलन से घिरी रहीं। 

विज्ञापन
Sheikh Hasina had taken refuge in India when there coup in Bangladesh 49 years ago too
शेख हसीना - फोटो : एएनआई
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

बांग्लादेश में इस समय उथल पुथल मची है। यहां 49 साल पहले का इतिहास एक बार फिर दोहराया गया। 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद पहली बार तख्ता पलट हुआ। तब भी सेना ने देश की बागडोर संभाली। तब अपनी बहन के साथ विदेश से भारत में शरण लेने वाली शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना दिल्ली में पौने छह साल तक रही थीं। इस बार भी तख्ता पलट होने पर वह शरण लेने के लिए भारत ही आईं।

Trending Videos


अमर उजाला आकाईव के पन्नों में बांग्लादेश में हुए तख्ता पलट और उसके बाद के सत्ता संघर्ष दर्ज हैं। 1975 के तख्ता पलट के बाद शेख हसीना पहली बार भारत में पौने छह साल तक रहीं। वह 18 मई 1989 को बांग्लादेश अपनी बेटी के साथ वापस लौटीं। इंडियन एयरलाइंस के विमान से वह कोलकाता से ढाका एयरपोर्ट पर उतरी थीं, जहां अवामी लीग के नेताओं ने उनके बांग्लादेश लौटने पर स्वागत किया था। 

विज्ञापन
विज्ञापन

उनकी वापसी महज 12 दिन बाद ही बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उर रहमान की हत्या चटगांव में कर दी गई थी। इस पर शेख हसीना ने अगरतला बार्डर से 31 मई 1981 को भारत में फिर से प्रवेश करना चाहा, लेकिन बांग्लादेश राइफल्स ने उन्हें अगरतला सीमा पर गिरफ्तार कर लिया था। इस बार भी शेख हसीना भारत में त्रिपुरा के अगरतला में ही हेलिकॉप्टर से उतरीं।

Sheikh Hasina had taken refuge in India when there coup in Bangladesh 49 years ago too
अमर उजाला आर्काइव की खबर - फोटो : अमर उजाला

छात्र आंदोलनों ने नहीं छोड़ा पीछा

बांग्लादेश में अवामी लीग की अध्यक्ष रही शेख हसीना राजनीति की शुरूआत से ही छात्र आंदोलनों से घिरी रहीं। 11 अगस्त 1989 को उनके ऊपर दो ऑटो में सवार बंदूकधारियों ने हमला किया था, जिसमें वह बाल बाल बच गईं। उनके ढाका के धानमंडी स्थित घर पर 28 गोलियां दागी गई थीं। 

दो हथगोले भी बरामद किए गए थे। छात्र लीग के युवकों ने उन पर यह हमला किया था। 1996 में वह पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं, पर छात्र आंदोलनों से उनका पीछा नहीं छूटा। इस बार भी छात्र आंदोलन के बढ़ जाने और आक्रोश के बाद उन्हें देश छोड़कर फिर से भारत आना पड़ा।
 

अगस्त का महीना उन पर पड़ा भारी

बांग्लादेश की पांच बार प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना पर अगस्त का महीना भारी पड़ता रहा। वर्ष 1975 में अगस्त में उनके मां-पिता और तीन भाईयों की हत्या हुई तो वर्ष 1989 में उन पर अगस्त में ही जानलेवा हमला हुआ। इस बार भी चार और पांच अगस्त के प्रदर्शन के बाद तख्ता पलट में उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed