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अमेरिकी टैरिफ: जूता और हस्तशिल्प निर्यातकों को लगा बड़ा झटका, ट्रंप के बयानों से रुके ऑर्डर
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 01 Aug 2025 10:27 AM IST
सार
टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों से जूता और हस्तशिल्प निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है। उनके ज्यादातर ऑर्डर रुक गए हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों के निर्यात पर एक बार फिर से टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे अमेरिका के लिए आगरा से निर्यात हो रहे जूता और हस्तशिल्प उत्पादों के ऑर्डर अनिश्चितता के भंवर में फंस गए हैं। अप्रैल में घोषणा के बाद निर्यातकों के पास ऑर्डर रुक गए थे लेकिन बाद में जुलाई तक रियायत मिलने पर काम आने लगा। अब फिर से 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा से जूता और हस्तशिल्प के निर्यात ऑर्डर फंस गए हैं। अमेरिकी खरीदार भी देखो और इंतजार करो की नीति अपना रहे हैं। उन्हें व्यापार समझौते का इंतजार है।
आगरा से जूता निर्यात 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। इसमें बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार का है। निर्यातकों का मानना है कि टैरिफ के कारण 10 फीसदी का नुकसान दिख रहा है लेकिन जुर्माना लगा तो नुकसान बढ़ जाएगा। कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। हस्तशिल्प निर्यातकों के मुताबिक 10 फीसदी शुल्क तो खरीदार से साझा हो सकता है लेकिन 15 फीसदी का नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं हैं। भारतीय हस्तशिल्प ने कई दशकों में अमेरिकी बाजार में जगह पाई है। टैरिफ की वजह से ऑर्डर नहीं मिले तो भरपाई मुश्किल हो जाएगी। हालांकि, निर्यातक टैरिफ को दबाव की रणनीति भी बता रहे हैं।
पहले रूस, अब अमेरिका से मुश्किल
फुटवियर निर्यातक प्रदीप वासन ने बताया कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी बाजार में आगरा के फुटवियर ने जगह बनाई। अब अमेरिका में टैरिफ के कारण अनिश्चितता है। ऐसे में अमेरिकी खरीदारों के ऑर्डर रुके हुए हैं। इसका असर उत्पादन पर है। हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अस्थाना का कहना है कि संगमरमर पर की गई पच्चीकारी और स्टोन हैंडीक्राफ्ट का अमेरिका बड़ा बाजार है। बड़ी मुश्किल से आगरा के हस्तशिल्प को स्थापित किया है। टैरिफ के कारण अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात पहले ही मुश्किलों में था। अमेरिकी टैरिफ के कारण बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी। जुर्माना भी लगा तो हस्तशिल्प उत्पादों को अमेरिका में बेचना कठिन हो जाएगा। हस्तशिल्प से कारीगरों का पहले ही मोहभंग हो चुका है। अब ऑर्डर न मिले तो कारीगर अन्य क्षेत्रों में पलायन कर जाएंगे।
1200 करोड़ का जिले से अमेरिका को हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात
350 करोड़ रुपये फुटवियर का हो रहा निर्यात
25 फीसदी टैरिफ से बिगड़ जाएगा कारोबार
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आगरा से जूता निर्यात 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। इसमें बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार का है। निर्यातकों का मानना है कि टैरिफ के कारण 10 फीसदी का नुकसान दिख रहा है लेकिन जुर्माना लगा तो नुकसान बढ़ जाएगा। कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। हस्तशिल्प निर्यातकों के मुताबिक 10 फीसदी शुल्क तो खरीदार से साझा हो सकता है लेकिन 15 फीसदी का नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं हैं। भारतीय हस्तशिल्प ने कई दशकों में अमेरिकी बाजार में जगह पाई है। टैरिफ की वजह से ऑर्डर नहीं मिले तो भरपाई मुश्किल हो जाएगी। हालांकि, निर्यातक टैरिफ को दबाव की रणनीति भी बता रहे हैं।
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पहले रूस, अब अमेरिका से मुश्किल
फुटवियर निर्यातक प्रदीप वासन ने बताया कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी बाजार में आगरा के फुटवियर ने जगह बनाई। अब अमेरिका में टैरिफ के कारण अनिश्चितता है। ऐसे में अमेरिकी खरीदारों के ऑर्डर रुके हुए हैं। इसका असर उत्पादन पर है। हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अस्थाना का कहना है कि संगमरमर पर की गई पच्चीकारी और स्टोन हैंडीक्राफ्ट का अमेरिका बड़ा बाजार है। बड़ी मुश्किल से आगरा के हस्तशिल्प को स्थापित किया है। टैरिफ के कारण अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात पहले ही मुश्किलों में था। अमेरिकी टैरिफ के कारण बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी। जुर्माना भी लगा तो हस्तशिल्प उत्पादों को अमेरिका में बेचना कठिन हो जाएगा। हस्तशिल्प से कारीगरों का पहले ही मोहभंग हो चुका है। अब ऑर्डर न मिले तो कारीगर अन्य क्षेत्रों में पलायन कर जाएंगे।
1200 करोड़ का जिले से अमेरिका को हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात
350 करोड़ रुपये फुटवियर का हो रहा निर्यात
25 फीसदी टैरिफ से बिगड़ जाएगा कारोबार