World Hypertension Day: तनाव से हैं परेशान तो ब्लड प्रेशर की जरूर कराएं जांच, उसी से पैदा होता हाइपरटेंशन
एक सामान्य व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/ 80 होता है। यदि ये 140/90 या उससे ऊपर ज्यादा है तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। 25 वर्ष की आयु के बाद लोगों को नियमित अंतराल पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच कराना चाहिए।

विस्तार
हाइपरटेंशन को हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) भी कहा जाता है। ये अक्सर अनियमित जीवन शैली, मोटापा, तनाव को नजरअंदाज करने और खराब खानपान का परिणाम होता है। 25 वर्ष की आयु के बाद लोगों को नियमित अंतराल पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच कराना चाहिए। अब तो बच्चों में भी यह समस्या सामने आने लगी है। इसी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। अपने जिले में बुधवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा छर्रा वृद्धाश्रम में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

जनरल फिजीशियन डा.अमित वार्ष्णेय बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/ 80 होता है। यदि ये 140/90 या उससे ऊपर ज्यादा है तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। 25 वर्ष की आयु के बाद लोगों को नियमित अंतराल पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच कराना चाहिए। अगर हम संतुलित आहार ग्रहण करते हैं और स्वस्थ जीवन शैली अपनाते हैं तो निश्चित रूप से इससे बच सकते हैं। उच्च रक्तचाप से हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक, मनोभ्रंश, क्रोनिक किडनी की बीमारी और दृष्टि हानि जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। शुरुआत में इसका पता नहीं चलता है, बाद में परेशानी बढ़ जाती है।
सामान्य लक्षण
सिरदर्द होना, ज्यादा तनाव, सीने में दर्द या भारीपन, सांस लेने में परेशानी, अचानक घबराहट, समझने या बोलने में कठिनाई, चेहरे, बांह या पैरों में अचानक सुन्नपन, झुनझुनी या कमजोरी महसूस होना या धुंधला दिखाई देना।
बचाव के उपाय
औसत रक्तचाप 85 से 135 के बीच रहना चाहिए। इससे अधिक होने पर उपचार लें।
ऐसे मरीज ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाएं और खान पान में खास ध्यान रखें।
व्यायाम कर वजन संतुलित रखें, धुम्रपान व शराब के सेवन से बचना चाहिए।
काउंसलिंग को पहुंच रहे 25 फीसद मरीज
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि लगभग 33 फीसद शहरी और 25 फीसद ग्रामीण आबादी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। जिला अस्पताल के मनोवैज्ञानिक उपचार केंद्र की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से 25 फीसद मरीज इसी बीमारी से ग्रसित होते हैं। गंभीर बात यह है कि 60-70 फीसदी लोगों को जब तक समस्या बढ़ न जाए तब तक पता ही नहीं चल पाता है कि वे भी इसके शिकार हैं।
काम का भार व अनियमित खान पान इस बीमारी का बड़ा कारण है। लोगों को इससे बचना चाहिए। खुद की नियमित जांच कराएं और किसी भी परेशानी पर व्यायाम से लेकर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।-डा.नीरज त्यागी, सीएमओ