{"_id":"68ca7210e338881fae025728","slug":"high-court-appointment-of-son-as-dependent-of-deceased-while-father-or-mother-is-in-government-job-is-wrong-2025-09-17","type":"story","status":"publish","title_hn":"High Court : पिता या माता के सरकारी नौकरी में रहते बेटे की मृतक आश्रित में नियुक्ति गलत","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
High Court : पिता या माता के सरकारी नौकरी में रहते बेटे की मृतक आश्रित में नियुक्ति गलत
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 17 Sep 2025 02:02 PM IST
विज्ञापन
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने मां के सरकारी सेवा में रहने के बावजूद तथ्य छिपाकर पिता की जगह मृतक आश्रित में नौकरी पाए बेटे के पक्ष में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की खंडपीठ ने मां के सरकारी सेवा में रहने के बावजूद तथ्य छिपाकर पिता की जगह मृतक आश्रित में नौकरी पाए बेटे के पक्ष में एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने पंचायती राज विभाग की ओर से दायर विशेष अपील पर दिया।

Trending Videos
बस्ती के जिला पंचायत राज अधिकारी विभाग में राहुल के पिता नौकरी कर रहे थे। सेवा के दौरान उनकी मौत हो गई। ऐसे में राहुल ने मृतक आश्रित कोटे से नौकरी प्राप्त कर ली। इस दौरान संबंधित विभाग ने राहुल की माता के सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी करने के तथ्य को छुपाने के आधार पर 28 अगस्त 2021 को उसकी नियुक्ति समाप्त कर दी थी। राहुल ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी तो एकल पीठ ने 18 अप्रैल 2025 के आदेश से उसके पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं, इस आदेश को पंचायती राज विभाग ने विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी।
विज्ञापन
विज्ञापन
एकल पीठ के समक्ष याची का कहना था कि नौकरी का फॉर्म उसने मृतक आश्रित कोटे के लिए भरा था। उसमें मां की नौकरी का उल्लेख करने के लिए कॉलम नहीं था। उसे नौकरी करते 10 साल से ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में उसे सेवा से हटाना गलत है। वहीं, विशेष अपील में सरकार का कहना था कि अनुकंपा नियुक्ति शर्त है कि मृतक कर्मचारी का जीवनसाथी पहले से सरकारी विभाग में कार्यरत न हो। इस मामले में कर्मचारी की पत्नी पहले से सहायक अध्यापिका थी।
इसके बाद भी उसके बेटे ने आश्रित कोटे में नौकरी के लिए आवेदन किया। नियमानुसार मृतक आश्रित कोटे की नौकरी का आवेदन करने के दौरान परिवार की वित्तीय स्थिति का खुलासा करना चाहिए था। याची ने मां के सरकारी सेवा में रहने का तथ्य छिपाया है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए अपील स्वीकार कर छह अक्तूबर की तिथि सुनवाई के लिए नियत कर दी है।