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जवाहर पंडित हत्याकांडः जब शहर में तड़तड़ाई थी पहली बार एके-47, लखनऊ तक पहुंची थी गोलियों की गूंज

त्रिलोकी यादव, अमर उजाला, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Fri, 01 Nov 2019 07:51 PM IST
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Jawahar Pandit murder case: When the city was tortured for the first time AK-47
udaybhan karwariya - फोटो : प्रयागराज

आज भी सोचकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लोगों की रूह कंपाने वाली घटना सिविल लाइंस में सरेशाम हुई थी। जब शहर के लोगों ने पहली बार एके-47 की तड़तड़ाहट सुनी। डेढ़ मिनट तक गोलियां चलीं होंगी और जवाहर पंडित समेत तीन लोग मौके पर ढेर हो गए। न किसी को संभलने और न ही किसी समझने का कोई मौका मिला। गोलियों की गूंज लखनऊ तक पहुंची और पुलिस के निजाम बदल गए। शहर के सबसे सुनियोजित और बेहद हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद यहां का राजनीतिक और माफियाई परिदृश्य बदल गया। 90 के दशक की सबसे बड़ी आपराधिक घटना कहा जाने वाला यह हत्याकांड पुलिस के लिए कितना पेचीदा साबित हुआ, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 23 साल बाद फैसला आया। 

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Jawahar Pandit murder case: When the city was tortured for the first time AK-47
jawahar pandit murder case prayagraj - फोटो : प्रयागराज

जवाहर यादव उर्फ पंडित, 80 के दशक के अंतिम सालों में यह नाम उभरा। धीरे-धीरे शराब और बालू के अधिकांश ठेके पंडित के हो गए। पैसा बढ़ा तो रुतबा बढ़ा और इसी के साथ ही दुश्मनी भी। बालू और शराब के ठेकों में पहले से दखल रखने वालों को यह बेहद नागवार गुजर रहा था। उधर, पंडित का रुतबा और पैसा दोनों बढ़ रहा था।

माफिया का एक वर्ग भी उनके साथ हो गया। 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। जवाहर पंडित को झूंसी का विधायक चुन लिया गया। सपा के शीर्ष नेतृत्व से सीधे जान पहचान के कारण पार्टी में भी पंडित ने मजबूत स्थान बना लिया। दूसरी ओर षड्यंत्रों का तीखा दौर भी चल रहा था। दुश्मन पीछे तो बहुत दिन से पड़े थे, लेकिन कामयाब हुए 13 अगस्त 1996 को। जवाहर पंडित शाम को झूंसी विधानसभा क्षेत्र में घूमने के बाद घर जा रहे थे। मारुति कार को उनका ड्राइवर गुलाब यादव चला रहा था। उसके बगल में प्राइवेट गनर कल्लन यादव बैठा था। गाड़ी मेडिकल चौराहे के पास पहुंची तो गुलाब ने पंडित से बताया कि एक वैन कुछ देर से पीछा कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘चुनाव का मौसम है। घबराओ नहीं राजकाज है।’

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Jawahar Pandit murder case: When the city was tortured for the first time AK-47
jawahar pandit murder case prayagraj - फोटो : प्रयागराज

गाड़ी सिविल लाइंस की ओर बढ़ी तो वैन भी पीछे पीछे चल दी। सुभाष चौराहे तक पहुंचते-पहुंचते पंडित को भी कुछ शक हुआ। उन्होंने रफ्तार बढ़वा दी। काफी हाउस के पास सड़क के किनारे एक महिंद्रा जीप खड़ी थी। ठीक उसी के आगे वैन ने ओवरटेक किया और बीच सड़क पर गाड़ी रोक दी। इससे पहले कि जवाहर पंडित और कल्लन पोजीशन लेते, वैन में सवार बदमाशों ने एके-47 तथा अन्य आटोमेटिक रायफलों से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। गोलियों की तड़तड़ाहट लगातार डेढ़ मिनट तक चलती रही। वैन में कई लोग थे। उनके दोनों हाथों में असलहे थे। एके-47 के अलावा पिस्टल रिवाल्वर, तमंचे सभी प्रकार के असलहे हमलावरों के पास थे, जिसने देखा उसकी सांसें थम गईं। 

Jawahar Pandit murder case: When the city was tortured for the first time AK-47
jawahar pandit murder case prayagraj - फोटो : प्रयागराज

उधर से गुजर रहे कुछ लोग चलती गाड़ियों से गिर पड़े। ऐसा हड़कंप मचा कि काफी हाउस पर भगदड़ मच गई। सब कुछ एक से डेढ़ मिनट में हो गया। एके-47 खाली करने के बाद बदमाश चर्च की ओर भाग गए। हादसे से दहले लोगों ने देखा कि कार में जवाहर और गुलाब गोलियों से छलनी पड़े हैं। कार के पीछे ही एक राहगीर भी गोलियों की चपेट में आकर दम तोड़ चुका था। 10 मिनट के अंदर सिविल लाइंस में अफरातफरी मच गई। उस समय मोबाइल का जमाना तो था नहीं लेकिन खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। कुछ ही देर में सिविल लाइंस में भारी भीड़ जमा हो गई। जवाहर के भाई सुलाकी ने करवरिया परिवार के तीन लोगों समेत पांच लोगों के नाम प्राथमिकी दर्ज कराई। 

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jawahar pandit murder case prayagraj - फोटो : प्रयागराज

हत्या की गूंज लखनऊ तक, मुलायम खुद पहुंचे थे
जवाहर की हत्या की गूंज लखनऊ में भी सुनाई दी। मुलायम सिंह यादव इलाहाबाद पहुंच गए। उनके आने के बाद मामले में राजनीतिक रंग ले लिया।  उधर तफ्तीश शुरू हुई तो पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा। हफ्ता भर बीत जाने के बाद भी पुलिस न तो किसी को गिरफ्तार कर पाई और न ही वह गाड़ी मिली, जिससे हत्या को अंजाम दिया गया था। इस बात को लेकर पुलिस की काफी आलोचना हुई कि अगर जिले की सीमाओं को सील कर दिया जाता तो शायद अपराधी पकड़ जाते। नतीजतन कई आला अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया गया।

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