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Prayagraj Magh Mela : संगम तट पर आस्था का महायोग, 30 दिसंबर से प्रयागराज में जुटेंगे 25 लाख कल्पवासी

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Thu, 25 Dec 2025 12:33 PM IST
सार

पूरे विश्व में कल्पवास करने का विधान केवल प्रयागराज में ही है। माघ मेले के दौरान गंगा-यमुना के पावन संगम तट पर नियम, संयम और साधना के साथ एक माह तक निवास करने की परंपरा को कल्पवास कहा जाता है।

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Prayagraj Magh Mela grand gathering of faith on the banks of the Sangam; 2.5 million pilgrims will gather
माघ मेला 2026 - फोटो : Amar Ujala
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पूरे विश्व में कल्पवास करने का विधान केवल प्रयागराज में ही है। माघ मेले के दौरान गंगा-यमुना के पावन संगम तट पर नियम, संयम और साधना के साथ एक माह तक निवास करने की परंपरा को कल्पवास कहा जाता है। इस वर्ष पौष शुक्ल एकादशी यानी 30 दिसंबर तक कल्पवासियों का मेला क्षेत्र में आगमन शुरू हो जाएगा। पौष शुक्ल पूर्णिमा 3 जनवरी से अनुमानित 20 से 25 लाख कल्पवासियों का कल्पवास आरंभ होगा, जो माघ पूर्णिमा एक फरवरी तक चलेगा।

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कल्पवास के लिए कई राज्यों तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों से लाखों श्रद्धालु दंडी बाड़ा, आचार्य बाड़ा, तीर्थ-पुरोहितों, खाक चौक एवं विभिन्न संस्थाओं के शिविरों में पहले ही अपने स्थान आरक्षित करा चुके हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार पौष शुक्ल एकादशी से माघ शुक्ल एकादशी तक कल्पवास का विधान है, जबकि वर्तमान में पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास की परंपरा प्रचलित है। वर्ष 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी संगम तट पर स्थित अकबर के किले की छत पर एक माह तक कल्पवास किया था।

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Prayagraj Magh Mela grand gathering of faith on the banks of the Sangam; 2.5 million pilgrims will gather
माघ मेला प्रयागराज। - फोटो : अमर उजाला।

कल्पवासियों के लिए 21 विधि-विधान

पद्म पुराण में महर्षि दत्तात्रेय द्वारा कल्पवास के 21 विधि-विधानों का उल्लेख किया गया है। इनमें सत्य व्रत, अहिंसा, काम-क्रोध का त्याग, इंद्रिय संयम, ब्रह्मचर्य पालन, सूर्योदय से पूर्व जागरण, नित्य त्रिकाल गंगा स्नान, मौन, जप-तप, सत्संग, हरिकथा श्रवण, एक समय भोजन तथा निरंतर ईश्वर स्मरण जैसे नियम शामिल हैं। कल्पवासी को संकल्पित क्षेत्र से बाहर न जाने और साधु-संतों की सेवा का भी विधान बताया गया है।

खाक चौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री जगद्गुरु संतोष दास ‘सतुआ बाबा’ ने बताया कि कल्पवासी नए वर्ष की शुरूआत से पहले ही संगम तट पर पहुंचने लगेंगे।

अखिल भारतीय दंडी संन्यासी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व चरखी दादरी (हरियाणा) के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज ने बताया कि पौष शुक्ल पूर्णिमा 3 जनवरी से माघ पूर्णिमा एक फरवरी तक कल्पवास रहेगा।

अखिल भारतीय श्री रामानुज वैष्णव समिति, आचार्य बाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डॉ. कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य कौशल ने बताया कि आचार्य बाड़ा के करीब 300 शिविरों में लगभग 5 हजार कल्पवासियों के आने की संभावना है।

किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर प्रो. (डॉ.) लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज ने कहा कि माघ मेले में कल्पवास की परंपरा हमारी जीवंत संस्कृति का प्रतीक है।

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