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UP: बच्चों का गला दबाकर मार न दे...इसलिए आठ साल से हाथ बांधकर घर में कैद है युवक; खोलने पर जोर-जोर से रोने लगा

पुनीत त्रिपाठी, अमर उजाला, प्रयागराज Published by: शाहरुख खान Updated Wed, 24 Dec 2025 11:28 AM IST
सार

बच्चों का गला दबाकर मार न दे, इसलिए आठ साल से एक युवक हाथ बांधकर घर में कैद है। युवक का प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में इलाज चल रहा। परिजनों की अधिक डांट और मार से युवक ओसीडी नामक मानसिक बीमारी का शिकार हो गया है।

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young man fell victim to a mental illness called OCD in prayagraj
पीड़ित युवक - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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बच्चों का गला दबाने से खुद को रोकने के लिए 36 वर्षीय युवक अपने हाथ बांधकर आठ साल से घर में कैद है। सिर्फ दैनिक क्रियाओं के लिए हाथ खोलता है। चिकित्सक इसे ओसीडी (ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर) से पीड़ित बता रहे हैं। इसे हिंदी में मनोग्रसित-बाध्यता विकार कहते हैं।
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कौशाम्बी निवासी युवक के दो बड़े व एक छोटा भाई है। मां का देहांत तीन साल पहले हो गया और पिता बुजुर्ग हैं। दोनों बड़े भाई अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं। आठ साल से युवक का इलाज कौशाम्बी के एक अस्पताल में चल रहा था। 
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लाभ न मिलने पर पिता शनिवार को कॉल्विन अस्पताल लेकर पहुंचे। इस दौरान युवक के दोनों हाथ बंधे थे। मनोवैज्ञानिक के काउंसलिंग करने पर युवक ने बताया कि उसे लगता है कि वह बच्चों का गला दबाकर मार देगा। पिता ने बताया कि आठ साल पहले युवक को गाली देने की आदत थी। 
 

भूत-प्रेत का साया मानकर युवक का हाथ बांधा
उसके तीन से चार महीने बाद उसने क्षेत्र के दो-तीन बच्चों का गला दबाने का प्रयास किया। उस दौरान स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया था। इसके बाद परिजनों ने भूत-प्रेत का साया मानकर युवक का हाथ बांध दिया। कुछ दिनों के लिए घर पर ही रखा था। 

 

काफी समझाने पर भी उसने अपने हाथ नहीं खोले
इसके बाद युवक खुद ही अपने हाथ बांधकर घर में कैद हो जाता है। परिजनों के काफी समझाने पर भी उसने अपने हाथ नहीं खोले। वह कहने लगा कि अगर उसके हाथ खुले तो वह अपने छोटे भाई के दोनों बच्चों का गला दबा देगा। 

हाथ खोलने पर जोर-जोर से रोने लगा
युवक को जब अस्पताल लाया गया तो चिकित्सकों ने उसका हाथ खोलना चाहा, जिस पर वह जोर-जोरे से रोने लगा। कहा कि वह हाथ खोलते ही बच्चों का गला दबाने लगेगा। इसलिए उसका हाथ न खोला जाए।
 

क्या है ओसीडी
ओसीडी में अवांछित विचारों और भय का एक पैटर्न होता है, जिसे जुनून कहा जाता है। यह जुनून बार-बार एक ही व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिसे मजबूरी भी कहा जाता है। ये जुनून और मजबूरियां रोजमर्रा की गतिविधियों में बाधा डालती हैं और बहुत परेशानी का कारण बनती हैं।
 

काउंसलिंग में पता चला है कि बचपन में युवक को बहुत डांटा व मारा गया है। इसकी वजह से उसके व्यवहार में कुछ समय बाद बदलाव आया और फिर वह ओसीडी से पीड़ित हो गया। युवक को ठीक होने में समय लग सकता है।-डॉ. पंकज कोटार्य, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, कॉल्विन अस्पताल
 

युवक की काउंसलिंग के साथ ही दवा भी चल रही है। बीमारी गंभीर है। इस प्रकार के मरीज को ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।-डॉ.राकेश पासवान, मनोचिकित्सक परामर्शदाता, कॉल्विन अस्पताल
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