{"_id":"695181eaea233892470991f0","slug":"spinning-mill-not-operational-industrial-corridor-still-on-paper-banda-news-c-212-1-bnd1018-138164-2025-12-29","type":"story","status":"publish","title_hn":"Banda News: कताई मिल शुरू नहीं हुई, औद्योगिक कॉरिडोर अब भी कागजों में","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Banda News: कताई मिल शुरू नहीं हुई, औद्योगिक कॉरिडोर अब भी कागजों में
विज्ञापन
विज्ञापन
फोटो- 04 भूरागढ़ स्थित औद्योगिक क्षेत्र में बुनियादी समस्याओं के चलते मंशा अधूरी। संवाद
फोटो- 05 अपने वजूद के लिए सियासतदानों से दरकार ला रही कताई मिल। संवाद
फोटो- 06 बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक कॉरिडोर का इंतजार। स्त्रोत - विभाग
इयर एंडर :
- एक्सप्रेसवे से उद्योग तक का सफर अधूरा, युवाओं में जगी थी रोजगार की उम्मीद
संवाद न्यूज एजेंसी
बांदा।
वर्ष 2025 जिले के व्यापार और औद्योगिक विकास के लिहाज से उम्मीदों और निराशाओं के बीच सिमटा रहा। केंद्र और प्रदेश सरकार की बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बाद बुंदेलखंड, खासकर बांदा के युवाओं को उम्मीद जगी थी कि वर्षों से बंद पड़ी कताई मिल फिर से शुरू होगी, या उसकी जगह कोई नया उद्योग स्थापित कर सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करेगी। लेकिन साल के अंत तक आते-आते ये उम्मीदें जमीनी हकीकत में तब्दील नहीं हो सकीं। अब सवाल यह है कि क्या आने वाले वर्ष में सरकार केवल योजनाएं घोषित करेगी या पानी, जमीन और बुनियादी ढांचे जैसी समस्याओं का समाधान कर वास्तव में बुंदेलखंड में उद्योग का दीपक जलाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
कताई मिल : रोजगार की उम्मीद नीलामी में उलझी
वर्षों से बंद पड़ी कताई मिल लंबे समय से जिले के औद्योगिक भविष्य का प्रतीक बनी हुई है। सरकार की ओर से संकेत मिले थे कि या तो मिल को पुनर्जीवित किया जाएगा या उसकी भूमि पर कोई नया उद्योग स्थापित किया जाएगा। इससे हजारों युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना थी। हालांकि 2025 में भी कताई मिल का मसला जमीन की नीलामी प्रक्रिया में उलझा रहा। नीलामी की कवायद ने निवेशकों को तो आकर्षित किया, लेकिन स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का सपना एक बार फिर टूट गया। न तो मिल चली और न ही उसकी जगह कोई वैकल्पिक उद्योग स्थापित हो सका।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक कॉरिडोर : रफ्तार बेहद धीमी
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद सरकार ने इसके किनारे औद्योगिक कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा की थी। इसे क्षेत्र के लिए गेमचेंजर माना जा रहा था। निवेश, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउस और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के जरिए बांदा को औद्योगिक नक्शे पर लाने की योजना थी। लेकिन 2025 में इस परियोजना की प्रगति बेहद धीमी रही। वर्तमान स्थिति यह है कि रणनीति तय करने और भूमि चिह्नित करने की प्रक्रिया ही चल रही है। पूर्ण निर्माण तो दूर, ठोस काम भी जमीन पर दिखाई नहीं दिया। साल के अंत तक यह स्पष्ट हो गया कि औद्योगिक कॉरिडोर से तत्काल रोजगार मिलने की उम्मीद फिलहाल अधूरी ही रहेगी।
भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र : तीन साल बाद भी नहीं बड़े उद्योगों की एक झलक नहीं
जिले के भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 2025 के दौरान भू-आवंटन की प्रक्रिया जरूर तेज हुई। कई उद्यमियों को प्लॉट आवंटित किए गए, जिससे यह संकेत मिला कि यहां उद्योगों की स्थापना जल्द शुरू होगी। लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद कोई बड़ा या प्रभावी उद्योग अब तक यहां स्थापित नहीं हो सका। उद्यमी विनोद जैन का साफ कहना है कि समस्या इच्छाशक्ति की नहीं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं की है।
बिना पानी कैसे लहलहाएगी उद्योगों की फसल
भूरागढ़ ही नहीं पूरे बुंदेलखंड में उद्योग न पनपने की सबसे बड़ी वजह पानी की समस्या मानी जा रही है। उद्यमी रोहित कुमार का कहना है कि जब तक सरकार औद्योगिक क्षेत्रों के लिए स्थायी जलापूर्ति की ठोस व्यवस्था नहीं करती, तब तक यहां निवेश करना जोखिम भरा रहेगा। पानी के बिना फैक्ट्री, प्रोसेसिंग यूनिट या बड़े उद्योग की कल्पना करना ही मुश्किल है। यही कारण है कि प्लॉट मिलने के बाद भी उद्योग शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
Trending Videos
फोटो- 05 अपने वजूद के लिए सियासतदानों से दरकार ला रही कताई मिल। संवाद
फोटो- 06 बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक कॉरिडोर का इंतजार। स्त्रोत - विभाग
इयर एंडर :
- एक्सप्रेसवे से उद्योग तक का सफर अधूरा, युवाओं में जगी थी रोजगार की उम्मीद
संवाद न्यूज एजेंसी
बांदा।
वर्ष 2025 जिले के व्यापार और औद्योगिक विकास के लिहाज से उम्मीदों और निराशाओं के बीच सिमटा रहा। केंद्र और प्रदेश सरकार की बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बाद बुंदेलखंड, खासकर बांदा के युवाओं को उम्मीद जगी थी कि वर्षों से बंद पड़ी कताई मिल फिर से शुरू होगी, या उसकी जगह कोई नया उद्योग स्थापित कर सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करेगी। लेकिन साल के अंत तक आते-आते ये उम्मीदें जमीनी हकीकत में तब्दील नहीं हो सकीं। अब सवाल यह है कि क्या आने वाले वर्ष में सरकार केवल योजनाएं घोषित करेगी या पानी, जमीन और बुनियादी ढांचे जैसी समस्याओं का समाधान कर वास्तव में बुंदेलखंड में उद्योग का दीपक जलाने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
कताई मिल : रोजगार की उम्मीद नीलामी में उलझी
वर्षों से बंद पड़ी कताई मिल लंबे समय से जिले के औद्योगिक भविष्य का प्रतीक बनी हुई है। सरकार की ओर से संकेत मिले थे कि या तो मिल को पुनर्जीवित किया जाएगा या उसकी भूमि पर कोई नया उद्योग स्थापित किया जाएगा। इससे हजारों युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना थी। हालांकि 2025 में भी कताई मिल का मसला जमीन की नीलामी प्रक्रिया में उलझा रहा। नीलामी की कवायद ने निवेशकों को तो आकर्षित किया, लेकिन स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का सपना एक बार फिर टूट गया। न तो मिल चली और न ही उसकी जगह कोई वैकल्पिक उद्योग स्थापित हो सका।
विज्ञापन
विज्ञापन
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक कॉरिडोर : रफ्तार बेहद धीमी
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद सरकार ने इसके किनारे औद्योगिक कॉरिडोर विकसित करने की घोषणा की थी। इसे क्षेत्र के लिए गेमचेंजर माना जा रहा था। निवेश, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउस और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के जरिए बांदा को औद्योगिक नक्शे पर लाने की योजना थी। लेकिन 2025 में इस परियोजना की प्रगति बेहद धीमी रही। वर्तमान स्थिति यह है कि रणनीति तय करने और भूमि चिह्नित करने की प्रक्रिया ही चल रही है। पूर्ण निर्माण तो दूर, ठोस काम भी जमीन पर दिखाई नहीं दिया। साल के अंत तक यह स्पष्ट हो गया कि औद्योगिक कॉरिडोर से तत्काल रोजगार मिलने की उम्मीद फिलहाल अधूरी ही रहेगी।
भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र : तीन साल बाद भी नहीं बड़े उद्योगों की एक झलक नहीं
जिले के भूरागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 2025 के दौरान भू-आवंटन की प्रक्रिया जरूर तेज हुई। कई उद्यमियों को प्लॉट आवंटित किए गए, जिससे यह संकेत मिला कि यहां उद्योगों की स्थापना जल्द शुरू होगी। लेकिन वर्षों बीत जाने के बावजूद कोई बड़ा या प्रभावी उद्योग अब तक यहां स्थापित नहीं हो सका। उद्यमी विनोद जैन का साफ कहना है कि समस्या इच्छाशक्ति की नहीं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं की है।
बिना पानी कैसे लहलहाएगी उद्योगों की फसल
भूरागढ़ ही नहीं पूरे बुंदेलखंड में उद्योग न पनपने की सबसे बड़ी वजह पानी की समस्या मानी जा रही है। उद्यमी रोहित कुमार का कहना है कि जब तक सरकार औद्योगिक क्षेत्रों के लिए स्थायी जलापूर्ति की ठोस व्यवस्था नहीं करती, तब तक यहां निवेश करना जोखिम भरा रहेगा। पानी के बिना फैक्ट्री, प्रोसेसिंग यूनिट या बड़े उद्योग की कल्पना करना ही मुश्किल है। यही कारण है कि प्लॉट मिलने के बाद भी उद्योग शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
