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Basti News: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन
संवाद न्यूज एजेंसी, बस्ती
Updated Wed, 29 Oct 2025 02:46 AM IST
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चौकवा गांव में पोखरे पर छठ पूजा करतीं महिलाएं - संवाद
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बस्ती। उदीयमान सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय सूर्य उपासना के महापर्व का मंगलवार को समापन हुआ। हालांकि, रिमझिम बारिश और घने के बादलों के बीच सूर्य की लालिमा छिपी रही लेकिन, जैसे ही सुबह 5.30 बजे के बाद दिन निकलने का आभास हुआ व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देना शुरू कर दिया।
भक्ति भाव में डूबीं महिलाओं ने घुटने भर पानी में फेरा लगाकर अर्घ्य अर्पण किया। संतान की दीर्घायु, अखंड सुहाग के साथ लोक मंगल की कामना कीं। घाट पर व्रतियों के साथ मौजूद पूरे परिवार के लोग और अन्य श्रद्धालु भी प्रकृति के इस उत्सव में श्रद्धा भाव से शीश नवाए रहे। बाद में छठ मईया के वेदी पर चढ़ाए गए प्रसाद के वितरण के साथ इस चार दिवसीय महापर्व का समापन किया गया।
कुआनो नदी के अमहट घाट और पुरानी बस्ती के निर्मली कुंड पर भोर में ही मंगल गीत गातीं व्रती महिलाओं की टोली आनी शुरू हो गई। पौ फटने से पहले घाटों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। उनके साथ बच्चे, पुरुष भी पहुंचे थे। देखते ही देखते दोनों घाट श्रद्धालुओं से भर गए।
घाट पर प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। रिमझिम बारिश और हल्की ठंड के बीच घाटों पर भगवान सूर्य की उपासना में विविधता में एकता का अद्भुत दृश्य जीवंत हो उठा।
व्रती महिलाएं घुटने भर पानी में खड़े होकर सूप में फल आदि लेकर सूर्यदेवता को अर्घ्य देने के लिए प्रस्तुत हुईं तो उनके सहयोग में बेटे, पति या परिवार के अन्य सदस्य भी बहंगी के साथ नदी, सरोवर में उतर गए। व्रती का फेरा पूर्ण होने पर परिवार के लोग दूध और जलधार गिराकर अर्घ्य पूरा करने में सहयोग करते देखे गए। सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंगलवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया।
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ ही शुरू हो गया था। व्रती महिलाओं ने पूजन स्थल पर वेदी सजाई थी। इसके ऊपर गन्ने के पेड़ से मंडप बनाया गया था। इसमें बैठी सुहागिनों ने छठ मईया का मंगलगान किया।
भक्ति भाव में डूबीं महिलाओं ने घुटने भर पानी में फेरा लगाकर अर्घ्य अर्पण किया। संतान की दीर्घायु, अखंड सुहाग के साथ लोक मंगल की कामना कीं। घाट पर व्रतियों के साथ मौजूद पूरे परिवार के लोग और अन्य श्रद्धालु भी प्रकृति के इस उत्सव में श्रद्धा भाव से शीश नवाए रहे। बाद में छठ मईया के वेदी पर चढ़ाए गए प्रसाद के वितरण के साथ इस चार दिवसीय महापर्व का समापन किया गया।
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कुआनो नदी के अमहट घाट और पुरानी बस्ती के निर्मली कुंड पर भोर में ही मंगल गीत गातीं व्रती महिलाओं की टोली आनी शुरू हो गई। पौ फटने से पहले घाटों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। उनके साथ बच्चे, पुरुष भी पहुंचे थे। देखते ही देखते दोनों घाट श्रद्धालुओं से भर गए।
घाट पर प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। रिमझिम बारिश और हल्की ठंड के बीच घाटों पर भगवान सूर्य की उपासना में विविधता में एकता का अद्भुत दृश्य जीवंत हो उठा।
व्रती महिलाएं घुटने भर पानी में खड़े होकर सूप में फल आदि लेकर सूर्यदेवता को अर्घ्य देने के लिए प्रस्तुत हुईं तो उनके सहयोग में बेटे, पति या परिवार के अन्य सदस्य भी बहंगी के साथ नदी, सरोवर में उतर गए। व्रती का फेरा पूर्ण होने पर परिवार के लोग दूध और जलधार गिराकर अर्घ्य पूरा करने में सहयोग करते देखे गए। सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंगलवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया।
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ ही शुरू हो गया था। व्रती महिलाओं ने पूजन स्थल पर वेदी सजाई थी। इसके ऊपर गन्ने के पेड़ से मंडप बनाया गया था। इसमें बैठी सुहागिनों ने छठ मईया का मंगलगान किया।