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Budaun News: 60 हजार से शुरू किया शहद का कारोबार, अब टर्नओवर लाखों में
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अशरफ खान।
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कादरचौक। देश का युवा वर्ग जहां बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बावजूद बेरोजगारी के लिए खुद को कोसते नहीं थकता, वहीं जिले के एक युवा किसान ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। उन्होंने छोटे से निवेश से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू कर बुलंदी हासिल की है। पिछले साल उनका टर्न ओवर 20 लाख रुपये का था। उनको देखकर करीब 30 से 40 लोगों ने यह व्यापार शुरू किया हुआ है। सभी का कुल टर्नओवर एक करोड़ से अधिक है।
नगर से सटे गांव मोहम्मदगंज निवासी रामप्रवेश गुप्ता ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर मात्र 60 हजार रुपये के निवेश से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने बताया कि साल 2010 में उनके गांव में बाहर से कुछ मधुमक्खी पालक आए थे। उन्हें देखकर और उनसे सीखकर गांव के कुछ लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया था। गांव के लोगों से ही सीखकर उसने साल 2013 में 10 मधुमक्खी के बक्सों से व्यवसाय शुरू किया था। पहले साल उनका शहद लगभग 60 हजार रुपये का बिका था। इन रुपयों से उन्होंने तीस बक्से और खरीदे। धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ता गया।
इसके बाद उन्होंने उद्यान विभाग से भी मदद ली। साल 2018 में उन्हें उद्यान विभाग की तरफ से 88 हजार रुपये की सब्सिडी मिली, जिससे उनके व्यवसाय को नई ऊंचाई मिली। उनका कहना है कि अब उनके पास मधुमक्खी के 500 बक्से हैं। इनसे हर साल 15 से 20 टन शहद का उत्पादन होता है। पिछले साल उनका टर्न ओवर 20 लाख रुपये का था। वह अपने फार्म में पांच लोगों को रोजगार भी देते हैं। (संवाद)
ट्रेडर्स ले जाते हैं शहद खरीदकर : रामप्रवेश गुप्ता
रामप्रवेश ने बताया कि अब गांव के 30 से 40 लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करते हैं। उनका कहना है कि इस व्यवसाय में अगर शहद का भाव अच्छा मिले तो नुकसान की आशंका न के बराबर होती है। उनका कहना है कि सामान्य तौर पर शहद को बेचने का झंझट नहीं रहता है। ट्रेडर्स फार्म से सीधे शहद खरीदकर ले जाते हैं। उनके फार्म का शहद 100 प्रतिशत शुद्ध होता है।
इस साल भाव न मिलने से मधुमक्खी पालक परेशान : सदाकात
इस साल शहद का अच्छा भाव न मिलने से मधुमक्खी पालक परेशान हैं। सदाकत का आरोप है कि मिलावटखोरी के कारण शुद्ध शहद भी इस बार निर्यात नहीं हो सका है। इस वजह से शहद का सही भाव नहीं मिल सका। उन्होंने अच्छा दाम मिलने की आस में अब तक इस सीजन का शहद नहीं बेचा है। इससे काफी मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है।
बागों में रखते हैं मधुमक्खी : अशरफ खान
शहद कारोबारी अशरफ खान ने बताया कि मधुमक्खियों के बक्सों को आम, अमरूद आदि के बागों में रखा जाता है। मधुमक्खियां सरसों व अन्य फूलों से रस तैयार करती हैं। इन दिनों इस व्यवसाय का सीजन नहीं चल रहा है। मधुमक्खियों को चीनी से जिंदा रखा जा रहा है।
मधुमक्खी पालन के लिए विभाग द्वारा 88 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। मधुमक्खी पालन फायदे का व्यवसाय है। इस साल शहद का भाव अच्छा न रहने से मधुमक्खी पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। - सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी
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नगर से सटे गांव मोहम्मदगंज निवासी रामप्रवेश गुप्ता ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई कर मात्र 60 हजार रुपये के निवेश से मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने बताया कि साल 2010 में उनके गांव में बाहर से कुछ मधुमक्खी पालक आए थे। उन्हें देखकर और उनसे सीखकर गांव के कुछ लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया था। गांव के लोगों से ही सीखकर उसने साल 2013 में 10 मधुमक्खी के बक्सों से व्यवसाय शुरू किया था। पहले साल उनका शहद लगभग 60 हजार रुपये का बिका था। इन रुपयों से उन्होंने तीस बक्से और खरीदे। धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ता गया।
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इसके बाद उन्होंने उद्यान विभाग से भी मदद ली। साल 2018 में उन्हें उद्यान विभाग की तरफ से 88 हजार रुपये की सब्सिडी मिली, जिससे उनके व्यवसाय को नई ऊंचाई मिली। उनका कहना है कि अब उनके पास मधुमक्खी के 500 बक्से हैं। इनसे हर साल 15 से 20 टन शहद का उत्पादन होता है। पिछले साल उनका टर्न ओवर 20 लाख रुपये का था। वह अपने फार्म में पांच लोगों को रोजगार भी देते हैं। (संवाद)
ट्रेडर्स ले जाते हैं शहद खरीदकर : रामप्रवेश गुप्ता
रामप्रवेश ने बताया कि अब गांव के 30 से 40 लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करते हैं। उनका कहना है कि इस व्यवसाय में अगर शहद का भाव अच्छा मिले तो नुकसान की आशंका न के बराबर होती है। उनका कहना है कि सामान्य तौर पर शहद को बेचने का झंझट नहीं रहता है। ट्रेडर्स फार्म से सीधे शहद खरीदकर ले जाते हैं। उनके फार्म का शहद 100 प्रतिशत शुद्ध होता है।
इस साल भाव न मिलने से मधुमक्खी पालक परेशान : सदाकात
इस साल शहद का अच्छा भाव न मिलने से मधुमक्खी पालक परेशान हैं। सदाकत का आरोप है कि मिलावटखोरी के कारण शुद्ध शहद भी इस बार निर्यात नहीं हो सका है। इस वजह से शहद का सही भाव नहीं मिल सका। उन्होंने अच्छा दाम मिलने की आस में अब तक इस सीजन का शहद नहीं बेचा है। इससे काफी मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है।
बागों में रखते हैं मधुमक्खी : अशरफ खान
शहद कारोबारी अशरफ खान ने बताया कि मधुमक्खियों के बक्सों को आम, अमरूद आदि के बागों में रखा जाता है। मधुमक्खियां सरसों व अन्य फूलों से रस तैयार करती हैं। इन दिनों इस व्यवसाय का सीजन नहीं चल रहा है। मधुमक्खियों को चीनी से जिंदा रखा जा रहा है।
मधुमक्खी पालन के लिए विभाग द्वारा 88 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। मधुमक्खी पालन फायदे का व्यवसाय है। इस साल शहद का भाव अच्छा न रहने से मधुमक्खी पालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। - सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी

अशरफ खान।

अशरफ खान।

अशरफ खान।
