{"_id":"5efe3c1b8ebc3e42d74e8f20","slug":"temple-ghatampur-news-knp568950125","type":"story","status":"publish","title_hn":"सावन में भक्तों के लिए नहीं खुलेंगे शिवालय","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
सावन में भक्तों के लिए नहीं खुलेंगे शिवालय
विज्ञापन
विज्ञापन
घाटमपुर (कानपुर)। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार सावन में शिवभक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन-पूजन करने से वंचित रहेंगे। शिवालय के पास लगने वाले मेलों के भी आयोजन नहीं होंगे। इसबार सावन का महीना सोमवार से शुरू हो रहा है जबकि, सोमवार को ही समाप्त भी होगा।
घाटमपुर और आसपास के इलाके में दस से अधिक प्राचीन शिवालय हैं। कानपुर-सागर राजमार्ग के किनारे अज्योरी गांव में अकबर के प्रिय मंत्री बीरबल का बनवाया प्राचीन बिहारेश्वर महादेव मंदिर है। भीतरगांव के करचुलीपुर गांव में रिंद नदी के किनारे प्राचीन औलियाश्वर महादेव मंदिर है। किवदंती है कि शिवलिंग की पूजा करने के लिए महाभारत काल के योद्धा अश्वस्थामा आते हैं।
वहीं, दक्षिणी नोन नदी से कुछ दूरी पर स्थित पतरसा गांव में प्राचीन पातालेश्वर महादेव मंदिर है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मंदिर का निर्माण एक ही रात में बंजारों ने कराया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग अर्द्धनारीश्वर के रूप में है।
अन्य शिवालयों में कस्बा पतारा का बाबा बैजनाथ धाम, यमुना नदी के किनारे बसे सिधौल गांव में मार्कण्डेयश्वर धाम के अलावा परौली और कोरथा (भीतरगांव) के प्राचीन शिवालयों की काफी महत्ता है। सोमवार पर मेले जैसा नजारा दिखता है।
पतरसा गांव निवासी जगदीश निगम, ग्राम प्रधान हरीशंकर साहू, निबियाखेड़ा गांव निवासी श्यामसुंदर दीक्षित, अज्योरी गांव निवासी कालीचरण कुशवाहा और टिकवांपुर गांव निवासी नागेश तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने शिवालयों में भीड़-भाड़ न लगाने के निर्देश दिए हैं। सावन में भक्तों को मायूसी का सामना करना पड़ेगा।
Trending Videos
घाटमपुर और आसपास के इलाके में दस से अधिक प्राचीन शिवालय हैं। कानपुर-सागर राजमार्ग के किनारे अज्योरी गांव में अकबर के प्रिय मंत्री बीरबल का बनवाया प्राचीन बिहारेश्वर महादेव मंदिर है। भीतरगांव के करचुलीपुर गांव में रिंद नदी के किनारे प्राचीन औलियाश्वर महादेव मंदिर है। किवदंती है कि शिवलिंग की पूजा करने के लिए महाभारत काल के योद्धा अश्वस्थामा आते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
वहीं, दक्षिणी नोन नदी से कुछ दूरी पर स्थित पतरसा गांव में प्राचीन पातालेश्वर महादेव मंदिर है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मंदिर का निर्माण एक ही रात में बंजारों ने कराया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग अर्द्धनारीश्वर के रूप में है।
अन्य शिवालयों में कस्बा पतारा का बाबा बैजनाथ धाम, यमुना नदी के किनारे बसे सिधौल गांव में मार्कण्डेयश्वर धाम के अलावा परौली और कोरथा (भीतरगांव) के प्राचीन शिवालयों की काफी महत्ता है। सोमवार पर मेले जैसा नजारा दिखता है।
पतरसा गांव निवासी जगदीश निगम, ग्राम प्रधान हरीशंकर साहू, निबियाखेड़ा गांव निवासी श्यामसुंदर दीक्षित, अज्योरी गांव निवासी कालीचरण कुशवाहा और टिकवांपुर गांव निवासी नागेश तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने शिवालयों में भीड़-भाड़ न लगाने के निर्देश दिए हैं। सावन में भक्तों को मायूसी का सामना करना पड़ेगा।
