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Hapur News: मेरठ-गढ़ हाईवे चौड़ीकरण को फिर मिलेगी रफ्तार, जल्द शुरू होगा काम
संवाद न्यूज एजेंसी, हापुड़
Updated Tue, 09 Dec 2025 10:34 PM IST
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हापुड़। मेरठ-गढ़ हाईवे 709 ए के चौड़ीकरण का कार्य उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण फरवरी से अटका हुआ है। इसके कारण हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, एनएचएआई के अधिकारियों का दावा है कि न्यायालय में सुनवाई अंतिम चरण में चल रही है। जल्द ही इस पर निर्णय आने वाला है। न्यायालय के आदेश के बाद बचे हुए काम के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा।
जनपद मेरठ के गांव सिसौली से लेकर गढ़मुक्तेश्वर के गांव बदरखा तक हाईवे 709 ए का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 2021 में टाटा कंपनी को अनुबंध किया गया था। कार्य को पूरा करने के लिए 10 अक्तूबर 2021 से लेकर 10 अक्तूबर 2023 तक का समय दिया गया था। 47 किलोमीटर के इस हाईवे के निर्माण में करीब 955 करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन परियोजना की समीक्षा में पाया गया कि वर्तमान में करीब 462 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी केवल 48 प्रतिशत कार्य हुआ है।
कार्यदायी संस्था की इस लापरवाही को देखते हुए एनएचएआई के अधिकारियों ने पत्राचार किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका। इसके बाद एनएचएआई ने 23 दिसंबर 2024 को अनुबंध समाप्त करने के लिए टाटा कंपनी को नोटिस भेजा। उस समय भी कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिलने पर 30 दिसंबर 2024 को कंपनी का अनुबंध खत्म कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने दोबारा टेंडर डालने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन टाटा कंपनी के संबंधित अधिकारी ने न्यायालय में टेंडर निरस्त होने पर वाद दायर कर दिया। इसके बाद से टेंडर प्रक्रिया रुकी हुई है। फिलहाल फरवरी 2025 से इस हाईवे का निर्माण कार्य बंद है।
सड़कों में हुए गड्ढे, हादसे का बढ़ा खतरा
हाईवे का कार्य बंद होने के कारण कुछ स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। हाईवे पर जगह-जगह डायवर्जन है। जिस स्थान पर सड़क का निर्माण हुआ था, वहां कई स्थानों पर सड़कें धंस गई हैं। अब जब कोहरा और धुंध पड़ेगी तो इस हाईवे पर चलना खतरे से खाली नहीं होगा और दुर्घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा। यह हाईवे इस लिए भी जरूरी है कि यह हाईवे दो जिलों को मुख्य रूप से जोड़ता है और प्रतिदिन इस पर करीब 25 हजार वाहनों की आवाजाही होती है।
उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई अब अंतिम चरण में है। इसी माह इस पर निर्णय आ सकता है। निर्णय उनके पक्ष में आने की उम्मीद है। इसके बाद हाईवे निर्माण का टेंडर दोबारा से जारी कर बाकी बचे 50 प्रतिशत कार्य को समय से पूरा कराया जाएगा। टाटा कंपनी पिछले टेंडर में करीब 50 फीसदी कार्य पूरा करा चुकी है। सर्दियों में निर्माणाधीन हाईवे पर हादसे रोकने के लिए संकेतक और लाइटें आदि लगवाई जाएंगी।
- अमित प्रणव, परियोजना निदेशक एनएचएआई
एक नजर में पूरा प्रोजेक्ट--
मेरठ से गढ़ के बीच हाईवे निर्माण में कुल 32 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इनमें 23 गांव मेरठ और नौ गांव हापुड़ के शामिल हैं। प्रोजेक्ट के अन्तर्गत दो बाईपास भी निकाले जाएंगे। इसमें पहला बाईपास आठ किलोमीटर का गढ़ रोड पर स्थित नानपुर, शाहजहांपुर से होता हुआ किठौर से निकाला जाएगा, जबकि दूसरा दो किलोमीटर का बाईपास हसनपुर कलां से निकाला जाएगा। इससे कुल 36 गांव प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा दो मुख्य इंटरकनेक्टर भी हैं। इनके तहत गढ़ रोड से हापुड़ रोड, गढ़ रोड से मवाना रोड को जोड़ा जाएगा। योजना में कुल पांच अंडरपास और चार बड़े ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है।
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जनपद मेरठ के गांव सिसौली से लेकर गढ़मुक्तेश्वर के गांव बदरखा तक हाईवे 709 ए का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 2021 में टाटा कंपनी को अनुबंध किया गया था। कार्य को पूरा करने के लिए 10 अक्तूबर 2021 से लेकर 10 अक्तूबर 2023 तक का समय दिया गया था। 47 किलोमीटर के इस हाईवे के निर्माण में करीब 955 करोड़ रुपये खर्च होने थे, लेकिन परियोजना की समीक्षा में पाया गया कि वर्तमान में करीब 462 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी केवल 48 प्रतिशत कार्य हुआ है।
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कार्यदायी संस्था की इस लापरवाही को देखते हुए एनएचएआई के अधिकारियों ने पत्राचार किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका। इसके बाद एनएचएआई ने 23 दिसंबर 2024 को अनुबंध समाप्त करने के लिए टाटा कंपनी को नोटिस भेजा। उस समय भी कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिलने पर 30 दिसंबर 2024 को कंपनी का अनुबंध खत्म कर दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने दोबारा टेंडर डालने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन टाटा कंपनी के संबंधित अधिकारी ने न्यायालय में टेंडर निरस्त होने पर वाद दायर कर दिया। इसके बाद से टेंडर प्रक्रिया रुकी हुई है। फिलहाल फरवरी 2025 से इस हाईवे का निर्माण कार्य बंद है।
सड़कों में हुए गड्ढे, हादसे का बढ़ा खतरा
हाईवे का कार्य बंद होने के कारण कुछ स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। हाईवे पर जगह-जगह डायवर्जन है। जिस स्थान पर सड़क का निर्माण हुआ था, वहां कई स्थानों पर सड़कें धंस गई हैं। अब जब कोहरा और धुंध पड़ेगी तो इस हाईवे पर चलना खतरे से खाली नहीं होगा और दुर्घटनाओं को बढ़ावा मिलेगा। यह हाईवे इस लिए भी जरूरी है कि यह हाईवे दो जिलों को मुख्य रूप से जोड़ता है और प्रतिदिन इस पर करीब 25 हजार वाहनों की आवाजाही होती है।
उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई अब अंतिम चरण में है। इसी माह इस पर निर्णय आ सकता है। निर्णय उनके पक्ष में आने की उम्मीद है। इसके बाद हाईवे निर्माण का टेंडर दोबारा से जारी कर बाकी बचे 50 प्रतिशत कार्य को समय से पूरा कराया जाएगा। टाटा कंपनी पिछले टेंडर में करीब 50 फीसदी कार्य पूरा करा चुकी है। सर्दियों में निर्माणाधीन हाईवे पर हादसे रोकने के लिए संकेतक और लाइटें आदि लगवाई जाएंगी।
- अमित प्रणव, परियोजना निदेशक एनएचएआई
एक नजर में पूरा प्रोजेक्ट
मेरठ से गढ़ के बीच हाईवे निर्माण में कुल 32 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इनमें 23 गांव मेरठ और नौ गांव हापुड़ के शामिल हैं। प्रोजेक्ट के अन्तर्गत दो बाईपास भी निकाले जाएंगे। इसमें पहला बाईपास आठ किलोमीटर का गढ़ रोड पर स्थित नानपुर, शाहजहांपुर से होता हुआ किठौर से निकाला जाएगा, जबकि दूसरा दो किलोमीटर का बाईपास हसनपुर कलां से निकाला जाएगा। इससे कुल 36 गांव प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा दो मुख्य इंटरकनेक्टर भी हैं। इनके तहत गढ़ रोड से हापुड़ रोड, गढ़ रोड से मवाना रोड को जोड़ा जाएगा। योजना में कुल पांच अंडरपास और चार बड़े ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है।