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Hapur News: बदलते मौसम में निमोनिया की चपेट में आ रहे बच्चे
संवाद न्यूज एजेंसी, हापुड़
Updated Tue, 09 Dec 2025 10:37 PM IST
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हापुड़। बदलते मौसम के कारण छोटे बच्चे निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं। कई-कई दिनों तक खांसी, जुकाम और बुखार परेशान कर रहे है। ऐसे मरीजों की संख्या अस्पतालों में दोगुना हो गई है। बच्चों के फेफड़ों में कफ जमने से अधिक समस्या बनी हुई है। चिकित्सक बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने की सलाह दे रहे हैं।
इन दिनों बच्चे निमोनिया और वायरल की चपेट में आ रहे हैं। इन रोगों के कारण बच्चों के फेफड़ों में कफ जम रहा है, इससे दिन-रात उनकी खांसी नहीं रुक रही है। सांस लेने में भी बच्चों को काफी समस्या आ रही है। सीएचसी में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। दिन में धूप निकल रही है। इस कारण परिजन लापरवाही बरत रहे हैं, जबकि सुबह और शाम में ठंड अधिक है। बच्चे ठंड की चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं।
इन दिनों सीएचसी और जिला अस्पताल में इस प्रकार के मामलों में बच्चों की संख्या दोगुना तक बढ़ गई है। पहले ओपीडी में 20 से 30 बच्चे आते थे, लेकिन अब 40 से 60 बच्चे आ रहे हैं। निमोनिया की चपेट में आए बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। इसमें शून्य से सात साल तक के बच्चों की संख्या अधिक है।
दूसरी स्टेज में करना पड़ रहा भर्ती--
डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि निमोनिया से पीड़ित बच्चों के फेफड़ों पर कफ जमने से उनकी सांसें तेजी से चल रहीं हैं। बुखार के साथ खांसी और जुकाम का प्रकोप ऐसे बच्चों पर है, जिनका उपचार घरों में संभव नहीं हैं। इस रोग की शुरुआत में घर पर ही दवाओं से बच्चा स्वस्थ हो रहा है, जबकि दूसरी स्टेज में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।
निमोनिया के लक्षण--
निमोनिया ज्यादातर पांच साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना इसके लक्षण हैं। इसके गंभीर लक्षण में तेज बुखार, पसीना आना या ठंड लगना, नाखूनों या होठों का नीला पड़ना, सीने में घर-घराहट महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
ये हैं बचाव के तरीके--
- बच्चों को पूरे कपड़े पहनाकर रखें। सिर, कान और गला भी ढककर रखें।
- बच्चों को ठंडी खाद्य सामग्री व पेय न दें।
- बच्चों को संतुलित और पौष्टिक भोजन दें।
कोट -
बुखार व निमोनिया से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए विभाग के पास सभी सुविधाएं मौजूद हैं। जरूरत पड़ने पर बच्चों को भर्ती करके भी उनका उपचार कराया जा रहा है।
- डॉ. सुनील कुमार त्यागी, सीएमओ
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इन दिनों बच्चे निमोनिया और वायरल की चपेट में आ रहे हैं। इन रोगों के कारण बच्चों के फेफड़ों में कफ जम रहा है, इससे दिन-रात उनकी खांसी नहीं रुक रही है। सांस लेने में भी बच्चों को काफी समस्या आ रही है। सीएचसी में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। दिन में धूप निकल रही है। इस कारण परिजन लापरवाही बरत रहे हैं, जबकि सुबह और शाम में ठंड अधिक है। बच्चे ठंड की चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं।
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इन दिनों सीएचसी और जिला अस्पताल में इस प्रकार के मामलों में बच्चों की संख्या दोगुना तक बढ़ गई है। पहले ओपीडी में 20 से 30 बच्चे आते थे, लेकिन अब 40 से 60 बच्चे आ रहे हैं। निमोनिया की चपेट में आए बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। इसमें शून्य से सात साल तक के बच्चों की संख्या अधिक है।
दूसरी स्टेज में करना पड़ रहा भर्ती
डॉ. समरेंद्र राय ने बताया कि निमोनिया से पीड़ित बच्चों के फेफड़ों पर कफ जमने से उनकी सांसें तेजी से चल रहीं हैं। बुखार के साथ खांसी और जुकाम का प्रकोप ऐसे बच्चों पर है, जिनका उपचार घरों में संभव नहीं हैं। इस रोग की शुरुआत में घर पर ही दवाओं से बच्चा स्वस्थ हो रहा है, जबकि दूसरी स्टेज में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।
निमोनिया के लक्षण
निमोनिया ज्यादातर पांच साल की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, कफ जमना, दस्त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना इसके लक्षण हैं। इसके गंभीर लक्षण में तेज बुखार, पसीना आना या ठंड लगना, नाखूनों या होठों का नीला पड़ना, सीने में घर-घराहट महसूस होना और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
ये हैं बचाव के तरीके
- बच्चों को पूरे कपड़े पहनाकर रखें। सिर, कान और गला भी ढककर रखें।
- बच्चों को ठंडी खाद्य सामग्री व पेय न दें।
- बच्चों को संतुलित और पौष्टिक भोजन दें।
कोट -
बुखार व निमोनिया से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए विभाग के पास सभी सुविधाएं मौजूद हैं। जरूरत पड़ने पर बच्चों को भर्ती करके भी उनका उपचार कराया जा रहा है।
- डॉ. सुनील कुमार त्यागी, सीएमओ