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Kanpur: क्लाउड सीडिंग का प्रयास सफल, नमी ने दिया धोखा…बारिश के लिए चाहिए 50 फीसदी, आज फिर होगी कोशिश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Wed, 29 Oct 2025 01:33 PM IST
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सार

Kanpur News: आईआईटी कानपुर द्वारा दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए मंगलवार को किया गया क्लाउड सीडिंग का तकनीकी प्रयास सफल रहा, लेकिन बादलों में पर्याप्त नमी न होने के कारण दिल्ली में बारिश नहीं हो पाई। आईआईटी की टीम बुधवार को एक बार फिर क्लाउड सीडिंग कराने की तैयारी में है।

Kanpur Cloud seeding attempt successful moisture betrayed 50 percent needed for rain will try again today
सेसना विमान ने दो बार में दागे 14 फ्लेयर्स - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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बादलों में नमी की कमी की वजह से दिल्ली में मंगलवार को सफल क्लाउड सीडिंग के बाद भी कृत्रिम बारिश नहीं हो सकी। इस तरह से आईआईटी के क्लाउड सीडिंग के दो सफल ट्रायल के बाद भी दिल्ली वासियों पर बारिश की बौछार नहीं पड़ी। हालांकि आईआईटी की ओर से भेजा गया विमान अभी तक लौटा नहीं है। बुधवार को एक बार फिर दोबारा क्लाउड सीडिंग कराई जाएगी। बादलों की उपलब्धता को देखते हुए आईआईटी कानपुर की टीम ने मंगलवार को कृत्रिम बारिश का प्रयास किया। दोपहर 12:15 बजे कानपुर के एयरस्ट्रिप से सेसना विमान ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी।


अभियान मेरठ और दिल्ली के बीच खेकड़ा और बुराड़ी क्षेत्र में चलाया गया। यह क्षेत्र लगभग 25 नॉटिकल मील लंबा और चार नॉटिकल मील चौड़ा रहा। अभियान दो चरणों में चला। पहले चरण में विमान ने लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरी और छह फ्लेयर्स दागे। यह चरण लगभग 18.5 मिनट तक चला। अभियान सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद विमान नीचे उतर आया। इसके बाद शाम 3:55 बजे दूसरा चरण शुरू हुआ। इस बार विमान ने 5,000 से 6,000 फीट की ऊंचाई से बादलों में आठ फ्लेयर्स दागे। काफी इंतजार के बाद भी मंगलवार को बारिश नहीं हो सकी।

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क्या है क्लाउड सीडिंग तकनीक
क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम वर्षा के लिए बादलों में कुछ विशेष रासायनिक पदार्थ जैसे सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस का छिड़काव किया जाता है। इन रसायनों से बादलों के अंदर मौजूद सूक्ष्म जलकण संघनित होकर बडे़ बूंदों में बदल जाते हैं जो वजन बढ़ने पर वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं। इस प्रक्रिया को विमान, ड्रोन या जमीन से छोड़े गए फ्लेयर्स के माध्यम से किया जाता है। क्लाउड सीडिंग तभी सफल होती है जब वातावरण में पर्याप्त नमी मौजूद हो और बादल घने हों। यदि हवा बहुत शुष्क हो तो रासायनिक कण आपस में नहीं जुड़ पाते और बारिश नहीं होती। अभियान के दौरान हवा में केवल 20 प्रतिशत नमी थी जबकि कृत्रिम बारिश के लिए कम से कम 50 प्रतिशत नमी आवश्यक होती है। नमी की कमी से बादलों में मौजूद सूक्ष्म जलकण संघनित नहीं हो पाए। क्लाउड सीडिंग के बाद कम से कम 15 मिनट से चार घंटे के बीच बारिश होती है।

तकनीकी रूप से यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा है। हमने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बादलों में रासायनिक मिश्रण का छिड़काव किया। यदि पर्याप्त नमी होती तो बारिश निश्चित रूप से होती। अभी टीम वहीं पर है बुधवार को दोबारा प्रयास किया जाएगा।  -प्रो. मणींद्र अग्रवाल, निदेशक आईआईटी कानपुर

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