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Lalitpur News: फर्जी चिकित्सक मरीजों को रेफर करता रहा, जिम्मेदार बंद किए रहे आंख
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संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। मेडिकल कॉलेज का फर्जी कॉडियोलॉजिस्ट मरीजों पिछले तीन साल से मरीजों को रेफर करता रहा। जिम्मेदार लोगों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब कभी शिकायत हुई तो संसाधनों का अभाव बताते हुए पल्ला झाड़ लिया गया।
जिले में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी के चलते ह्रदय रोगियों को उपचार की समस्या बनी हुई थी। विशेषज्ञ की कमी के चलते सामान्य मरीजों तक को इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐेसे में मरीजों को महानगरों की ओर रुख करना पड़ रहा था। कई निर्धन तबके के मरीज उपचार तक नहीं कर पा रहे थे। वहीं समय पर उपचार न मिलने से हालत गंभीर हो जाती थी।
ऐसे में लंबे समय से जिला अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की मांग चल रही थी। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गई। 2022 में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में एक व्यक्ति ने नियुक्ति कर ली गई। उसको गहन ह्रदय चिकित्सा इकाई के नोडल भी बना दिया गया। तीन साल के बाद पता चला कि जिस व्यक्ति की नियुक्ति की गई है उसने तो किसी दूसरे की डिग्री लगाई है। वह डॉक्टर न होकर इंजीनियर है।
इंजीनियर के पास कॉडियोलॉजी विभाग की जिम्मेदारी। जाहिर है इलाज के नाम पर मरीजों को सिर्फ रेफर किया गया। इस फर्जी डॉक्टर के कार्यकाल में प्रतिमाह लगभग 30 मरीज भर्ती किए, जिसमें 12 मरीजों को रेफर किया गया। ऐसे में शिकायत होने की स्थिति में विभाग चिकित्सक तैनाती होने का हवाला देते हुए संसाधनों की कमी व खामियां बता देते थे। इससे चिकित्सक की कर्मी किसी के सामने आ सकी। ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को फर्जी चिकित्सक की गतिविधियों पर शक नहीं हुआ लेकिन वो अपनी आंख बंद किए रहे।
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डॉ. यूसुफ रिजवान को दी गई सीसीयू की जिम्मेदारी
मेडिकल कॉलेज परिसर स्थिति सीसीयू की जिम्मेदारी डॉ. यूसुफ रिजवान सौंपी गई है। साथ ही निगरानी के लिए मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डाॅ. राजेश आर्या और डॉ. पवन सूद को जिम्मेदारी दी गई है।
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सीसीयू में अब मरीजों के उपचार की सुविधा को सुचारू रखने के लिए डॉ. यूसुफ रिजवान को नोडल बनाया गया है।
- डॉ. मयंक कुमार शुक्ला, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज
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ललितपुर। मेडिकल कॉलेज का फर्जी कॉडियोलॉजिस्ट मरीजों पिछले तीन साल से मरीजों को रेफर करता रहा। जिम्मेदार लोगों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब कभी शिकायत हुई तो संसाधनों का अभाव बताते हुए पल्ला झाड़ लिया गया।
जिले में कार्डियोलॉजिस्ट की कमी के चलते ह्रदय रोगियों को उपचार की समस्या बनी हुई थी। विशेषज्ञ की कमी के चलते सामान्य मरीजों तक को इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐेसे में मरीजों को महानगरों की ओर रुख करना पड़ रहा था। कई निर्धन तबके के मरीज उपचार तक नहीं कर पा रहे थे। वहीं समय पर उपचार न मिलने से हालत गंभीर हो जाती थी।
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ऐसे में लंबे समय से जिला अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की मांग चल रही थी। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्डियो एवं जनरल मेडिसिन के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गई। 2022 में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में एक व्यक्ति ने नियुक्ति कर ली गई। उसको गहन ह्रदय चिकित्सा इकाई के नोडल भी बना दिया गया। तीन साल के बाद पता चला कि जिस व्यक्ति की नियुक्ति की गई है उसने तो किसी दूसरे की डिग्री लगाई है। वह डॉक्टर न होकर इंजीनियर है।
इंजीनियर के पास कॉडियोलॉजी विभाग की जिम्मेदारी। जाहिर है इलाज के नाम पर मरीजों को सिर्फ रेफर किया गया। इस फर्जी डॉक्टर के कार्यकाल में प्रतिमाह लगभग 30 मरीज भर्ती किए, जिसमें 12 मरीजों को रेफर किया गया। ऐसे में शिकायत होने की स्थिति में विभाग चिकित्सक तैनाती होने का हवाला देते हुए संसाधनों की कमी व खामियां बता देते थे। इससे चिकित्सक की कर्मी किसी के सामने आ सकी। ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को फर्जी चिकित्सक की गतिविधियों पर शक नहीं हुआ लेकिन वो अपनी आंख बंद किए रहे।
डॉ. यूसुफ रिजवान को दी गई सीसीयू की जिम्मेदारी
मेडिकल कॉलेज परिसर स्थिति सीसीयू की जिम्मेदारी डॉ. यूसुफ रिजवान सौंपी गई है। साथ ही निगरानी के लिए मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डाॅ. राजेश आर्या और डॉ. पवन सूद को जिम्मेदारी दी गई है।
सीसीयू में अब मरीजों के उपचार की सुविधा को सुचारू रखने के लिए डॉ. यूसुफ रिजवान को नोडल बनाया गया है।
- डॉ. मयंक कुमार शुक्ला, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज
