UP: 10 रुपये का ऑनलाइन गेम-739 करोड़ की कमाई, 329 करोड़ की जीएसटी चोरी, दो गिरफ्तार, बड़ा ऑनलाइन स्कैम उजागर
ऑनलाइन गेमिंग के जरिए 10–15 रुपये में बच्चों को गेम खिलाकर तीन कंपनियों ने दो महीनों में 739 करोड़ रुपये कमाए और 329 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की। DGGI ने ग्रेटर नोएडा और जयपुर में छापा मारकर दो निदेशकों को गिरफ्तार किया।
विस्तार
बच्चों को ऑनलाइन गेम खिलाकर तीन कंपनियों के जरिये पिछले दो माह में 329 करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी की गई। ये कंपनियां गेम खेलने के लिए 10 से 15 रुपये वसूलती थीं और इस तरह से दो महीने में इन्होंने 739 करोड़ रुपये कमा लिए।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) की टीम ने इस मामले में ग्रेटर नोएडा और जयपुर में कार्रवाई करते हुए तीन कंपनियों के दो डायरेक्टरों रवि सिंह और रंजन कुमार को गिरफ्तार कर बुधवार को स्पेशल सीजेएम दुर्गेश नंदनी की कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
डीडीजीआई की तरफ से विशेष अभियोजन अधिकारी लक्ष्य कुमार सिंह व वंदना सिंह ने बताया कि ग्रेटर नोएडा के रवि सिंह की फर्म का नाम एनवेय व्हील है। इन्होंने 206 करोड़ की जीएसटी चोरी की है। जयपुर के रंजन कुमार की फर्म का नाम एमएस स्पेस टेक है। इनकी एक और फर्म है। इन्होंने 123 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की है।
यह भी पढ़ें: कफ सिरप तस्करी: आठ साल में करोड़पति बना कैंटर चालक आसिफ, दुबई और आस्ट्रेलिया में चला रहा होटल, पुलिस को तलाश
10 रुपये से करोड़ों का खेल
डीजीजीआई के अधिकारियों ने बताया कि प्ले स्टोर में सर्च करते ही इनके ऑनलाइन गेम्स सामने आ जाते हैं। इसके अलावा ये लोग विभिन्न वेबसाइटों पर विज्ञापन चलाकर भी लोगों तक पहुंचते थे और लोगों के मोबाइल पर नोटिफिकेशन भी भेजते रहते हैं। ज्यादातर बच्चे ही ऐसी एप्स डाउनलोड करते हैं। एप डाउनलोड करने के बाद गेम खेलने के लिए 10 से 15 रुपये लिए जाते हैं। खाते से यह मामूली रकम कटने पर अभिभावक भी चिंतित नहीं होते हैं। इसमें कैरम, लूडो जैसे परंपरागत खेल भी बच्चों को खिलाए जाते हैं।
इस तरह करते थे खेल
अधिवक्ता लक्ष्य कुमार सिंह ने बताया कि इन कंपनियों के पास ऑनलाइन गेमिंग का लाइसेंस नहीं है। कंपनियों के संचालकों ने ऐसी कंपनियों के माध्यम से अपनी गेमिंग एप लोगों तक पहुंचाए जिनके पास ई-कॉमर्स का लाइसेंस था। ये लोग इसी ई-कॉमर्स के लाइसेंस पर लोगों को ऑनलाइन गेम खिला रहे थे और इसी खेल में इन्होंने टैक्स चोरी किया।
ये लोग ग्राहकाें को किसी तरह का बिल भी नहीं देते थे। इन तीन कंपनियों ने दो महीने में ही लोगों को ऑनलाइन गेम खिलाकर 739 करोड़ रुपये कमा लिए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी जारी है। यह खेल बहुत बड़ा है। ऑनलाइन गेमिंग के खेल पर विभाग पूरी नजर रख रहा है।
एक अक्तूबर से कई ऑनलाइन गेम है प्रतिबंधित
भारत में 1 अक्टूबर 2025 से ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक 2025 लागू हो गया था। इसके बाद ऑनलाइन गेम्स (जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर, रम्मी) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया। उल्लंघन करने पर सेवा प्रदाताओं और विज्ञापनदाताओं पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। इससे पहले ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया था।
देश में गेम में रुपये लगाकर बड़ी संख्या में युवा कर्जदार हो गए थे। कुछ लोगोें ने कर्ज में डूबकर खुदकुशी भी कर ली थी। इसके चलते सरकार ने ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाया था। बता दें कि ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध से पहले मेरठ में आईपीएल व अन्य क्रिकेट प्रतियोगिताओं के दौरान गली मोहल्ले के न केवल युवा बल्कि किशोर भी विभिन्न मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये दांव लगाने लगे थे। इसके अलावा अन्य गेम मेें भी रुपया लगाकर लगाकर वह अपना भविष्य बर्बाद कर रहे थे। कुछ वारदातों के खुलासे में पता चला था कि पकड़े गए युवा गेम में रुपया हारने के बाद अपराध करने लगे थे।