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अमर उजाला कार्यालय में राजपाल यादव का धमाल
अमर उजाला ब्यूरो/मेरठ
Updated Sun, 10 Apr 2016 02:03 AM IST
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अमर उजाला कार्यालय में प्रशंसकों से मिलते राजपाल यादव।
- फोटो : अमर उजाला
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अपनी एक्टिंग से दर्शकों को हर पल हंसाने वाले राजपाल यादव शनिवार को शहर के मेहमान बने। अमर उजाला कार्यालय में उनकी अदाओं का जादू चला। लोगों के हर सवाल का उन्होंने बड़े ही सहज ढंग से जवाब दिया। कंपनी, वक्त, पति-पत्नी और वो, भोपाल त्रासदी की दर्दनाक कहानी बयां करती फिल्म ‘अ प्रेयर फॉर रेन’ में शानदार अभिनय के बल पर वे पहले ही दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे हैं। शनिवार को भी उनका वही अंदाज देखने को मिला।
उन्होंने फैंस के साथ बॉलीवुड के अनुभव बांटे। शांति निकेतन विद्यापीठ के डायरेक्टर विशाल जैन के साथ उन्होंने कार्यालय का भ्रमण किया। आयोजन में वरिष्ठ फोटोग्राफर ज्ञान दीक्षित, वरिष्ठ कवि डॉ. ईश्वर चंद गंभीर, सुभारती फैशन डिजायनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. पिंटू मिश्रा, हाइफन के जर्नल मैनेजर प्रदीप पाल, असिस्टेंट मैनेजर गौरव चौधरी, विनेश जैन, डॉ. कविता जैन, ममता जैन, रितु भारती, अंजू पांडे, ममता गर्ग, रुना मुल्तानी, मोना तेवतिया, मंजू जैन, शौर्य, राजीव गर्ग, अंजू वारियर, नमिता बंसल, रमन त्यागी, पुनीश मल्तानी, रश्मि ने भी राजपाल यादव से सवाल पूछे।
फैंस के सवाल और राजपाल के जवाब
सवाल- क्या बचपन में ही अभिनेता बनने का सोचा था? - डॉ. कविता जैन
जवाब- बचपन में नेता और अभिनेता दोनों बनना सोचा था। हाईस्कूल के दौरान स्कूल में नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा में गोवर्धनदास की भूमिका निभाई। सभी ने मेरे अभिनय को सराहा, वहीं से अभिनेता बनने की राह पर चल पड़ा, नेता नहीं बन पाया।
सवाल- अभिनय के अलावा फिल्म प्रोड्यूस भी करेंगे? - पुनीश मुल्तानी
जवाब- मैंने कुछ फिल्में प्रोड्यूस की हैं, आगे भी मौका मिला तो प्रोड्यूसर की तरह काम जरूर करूंगा।
सवाल-क्या राजनीति में मेवा कमाने जाएंगे? - नमिता बंसल
जवाब- मेवा तो मुझे बहुत मिल चुका, मौका मिला तो राजनीति में सेवा के लिए जाऊंगा। मेरे अभिनय ने मुझे पहचान की जो संपत्ति दी है, उसके लिए मुझे राजनीति की जरूरत नहीं। नेता बना तो जन सेवा करूंगा।
सवाल- स्थानीय स्तर पर कलाकारों को प्लेटफार्म कैसे मिले? रुना मुल्तानी
जवाब- अगर नेता बना तो सबसे पहला काम छोटे शहरों में कलाकारों को प्लेटफार्म दूंगा।
सवाल- भोपाल गैस कांड पर बनी फिल्म में अभिनय किया। असल जिंदगी में भी ऐसे हैं? - रमन त्यागी
जवाब- समाज में कई प्रकार के प्रदूषण फैले हैं, इनको दूर करने का जब भी मौका मिलेगा उसे करूंगा।
रील और रियल को कांबो नहीं करता : यादव
मैं तो थ्री डायमेंशन वाला कलाकार हूं। जो रोता है, हंसता है, तो कभी संजीदा भी रहता है। मुझमें कुछ तो खूबी है जो दर्शकों ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। मेरी सफलता क ा बड़ा कारण मैं रील और रियल लाइफ को दो अलग ट्रैक पर रखता हूं। इनका कांबो नहीं करता। पर्दे पर कॉमेडी करता हूं, तो निजी जिंदगी में भी खूब हंसता, हंसाता हूं। दर्शकों ने मुझे कॉमेडियन के रूप में सराहा, तो गंभीर अभिनय में भी पसंद किया। शुरू से मेरी इच्छा कॉमेडियन बनने की थी, इसलिए एनएसडी की संजीदा अभिनेता बनने की परंपरा को निभाते हुए हास्य अभिनेता बन गया। अभिनय को जीता हूं, असल जिदंगी में काफी गंभीर भी हूं।
जैसा रोल मिलेगा करूंगा। हर कलाकार बेहतरीन होता है। अच्छा कॉमेडियन कौन है, यह तो बेहद कठिन सवाल है, क्योंकि जितनी मेहनत करो कला निखरती संवरती जाएगी। फिर भी चार्ली चैपलिन की कॉमेडी बेजोड़ है। उन्होंने खुद चुप रहकर दर्शकों को रिमोट की तरह प्रयोग किया। कभी हंसाया, तो रुलाया भी, कभी चौंकाया तो आश्चर्य में भी डाला। वो कॉमेडी के साइंटिस्ट थे, क्रिएटिव लोग वैज्ञानिक होते हैं, ये हुनर चार्ली चैपलिन में था। मैं तो बहुत नेचुरल हूं। आम इंसान की तरह घर में रहता हूं, रोज घर बनाता तोड़ता नहीं हूं। मेरठ ऊर्जावान शहर है, कई करिश्मे यहां की माटी में हुए हैं। जो ऊर्जा का संचार करते हैं। उन्हें शब्दों में बांधना मुश्किल है।
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उन्होंने फैंस के साथ बॉलीवुड के अनुभव बांटे। शांति निकेतन विद्यापीठ के डायरेक्टर विशाल जैन के साथ उन्होंने कार्यालय का भ्रमण किया। आयोजन में वरिष्ठ फोटोग्राफर ज्ञान दीक्षित, वरिष्ठ कवि डॉ. ईश्वर चंद गंभीर, सुभारती फैशन डिजायनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. पिंटू मिश्रा, हाइफन के जर्नल मैनेजर प्रदीप पाल, असिस्टेंट मैनेजर गौरव चौधरी, विनेश जैन, डॉ. कविता जैन, ममता जैन, रितु भारती, अंजू पांडे, ममता गर्ग, रुना मुल्तानी, मोना तेवतिया, मंजू जैन, शौर्य, राजीव गर्ग, अंजू वारियर, नमिता बंसल, रमन त्यागी, पुनीश मल्तानी, रश्मि ने भी राजपाल यादव से सवाल पूछे।
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फैंस के सवाल और राजपाल के जवाब
सवाल- क्या बचपन में ही अभिनेता बनने का सोचा था? - डॉ. कविता जैन
जवाब- बचपन में नेता और अभिनेता दोनों बनना सोचा था। हाईस्कूल के दौरान स्कूल में नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा में गोवर्धनदास की भूमिका निभाई। सभी ने मेरे अभिनय को सराहा, वहीं से अभिनेता बनने की राह पर चल पड़ा, नेता नहीं बन पाया।
सवाल- अभिनय के अलावा फिल्म प्रोड्यूस भी करेंगे? - पुनीश मुल्तानी
जवाब- मैंने कुछ फिल्में प्रोड्यूस की हैं, आगे भी मौका मिला तो प्रोड्यूसर की तरह काम जरूर करूंगा।
सवाल-क्या राजनीति में मेवा कमाने जाएंगे? - नमिता बंसल
जवाब- मेवा तो मुझे बहुत मिल चुका, मौका मिला तो राजनीति में सेवा के लिए जाऊंगा। मेरे अभिनय ने मुझे पहचान की जो संपत्ति दी है, उसके लिए मुझे राजनीति की जरूरत नहीं। नेता बना तो जन सेवा करूंगा।
सवाल- स्थानीय स्तर पर कलाकारों को प्लेटफार्म कैसे मिले? रुना मुल्तानी
जवाब- अगर नेता बना तो सबसे पहला काम छोटे शहरों में कलाकारों को प्लेटफार्म दूंगा।
सवाल- भोपाल गैस कांड पर बनी फिल्म में अभिनय किया। असल जिंदगी में भी ऐसे हैं? - रमन त्यागी
जवाब- समाज में कई प्रकार के प्रदूषण फैले हैं, इनको दूर करने का जब भी मौका मिलेगा उसे करूंगा।
रील और रियल को कांबो नहीं करता : यादव
मैं तो थ्री डायमेंशन वाला कलाकार हूं। जो रोता है, हंसता है, तो कभी संजीदा भी रहता है। मुझमें कुछ तो खूबी है जो दर्शकों ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। मेरी सफलता क ा बड़ा कारण मैं रील और रियल लाइफ को दो अलग ट्रैक पर रखता हूं। इनका कांबो नहीं करता। पर्दे पर कॉमेडी करता हूं, तो निजी जिंदगी में भी खूब हंसता, हंसाता हूं। दर्शकों ने मुझे कॉमेडियन के रूप में सराहा, तो गंभीर अभिनय में भी पसंद किया। शुरू से मेरी इच्छा कॉमेडियन बनने की थी, इसलिए एनएसडी की संजीदा अभिनेता बनने की परंपरा को निभाते हुए हास्य अभिनेता बन गया। अभिनय को जीता हूं, असल जिदंगी में काफी गंभीर भी हूं।
जैसा रोल मिलेगा करूंगा। हर कलाकार बेहतरीन होता है। अच्छा कॉमेडियन कौन है, यह तो बेहद कठिन सवाल है, क्योंकि जितनी मेहनत करो कला निखरती संवरती जाएगी। फिर भी चार्ली चैपलिन की कॉमेडी बेजोड़ है। उन्होंने खुद चुप रहकर दर्शकों को रिमोट की तरह प्रयोग किया। कभी हंसाया, तो रुलाया भी, कभी चौंकाया तो आश्चर्य में भी डाला। वो कॉमेडी के साइंटिस्ट थे, क्रिएटिव लोग वैज्ञानिक होते हैं, ये हुनर चार्ली चैपलिन में था। मैं तो बहुत नेचुरल हूं। आम इंसान की तरह घर में रहता हूं, रोज घर बनाता तोड़ता नहीं हूं। मेरठ ऊर्जावान शहर है, कई करिश्मे यहां की माटी में हुए हैं। जो ऊर्जा का संचार करते हैं। उन्हें शब्दों में बांधना मुश्किल है।