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प्राइवेेट सिटी बसों से लगेगा रोडवेज को झटका  

अमर उजाला ब्यूरो/मेरठ Updated Sat, 16 Apr 2016 01:37 AM IST
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up roadways bus
मेरठ में प्राइवेट सिटी बस। - फोटो : अमर उजाला
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लंबी जद्दोजहद के बाद बंद हुई प्राइवेट सिटी बसें फिर से सड़कों पर उतरकर रोडवेज को झटका देंगी। एसटीएटी (स्टेट ट्रांसपोर्ट अथारिटी ट्रिब्यूनल) के आदेश के बाद जल्द ही आरटीओ की ओर से 43 बसों को शहर में दौड़ने के लिए परमिट जारी कर दिए जाएंगे। प्राइवेट सिटी बस बंद होने से रोडवेज सिटी बसों की आय में 71 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वहीं एक करोड़ सालाना का घाटा घटकर 31 लाख 40 हजार पर पहुंच गया है। 

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गत 29 जनवरी 2009 को हाईकोर्ट ने नगर बस योजना को रद्द कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर आरटीओ ने बसों के परमिट नवीनीकरण तो बंद कर दिए थे, लेकिन बसों का संचालन बंद नहीं कराया था। अधिकारियों ने बस आपरेटरों के साथ सेटिंग से मामले को आरटीए तो कभी एसटीए और तो कभी शासन के विधि विभाग से राय लेने में ही पांच साल तक उलझाए रखा।
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बस आपरेटरों का एक गुट यह कहता रहा कि हाईकोर्ट का आदेश 1994 की नगर बस योजना के लिए है। जबकि उनकी बस 1978 से ही शहर में संचालित है। बिना परमिट और फिटनेस के चल रही खटारा प्राइवेट बसों के खिलाफ अमर उजाला ने अभियान चलाया तो आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने इन पर शिकंजा कस दिया था। इसके बाद आपरेटरों ने अवैध बसों को रूट से हटा लिया था, लेकिन वर्ष 2014 में आरटीओ ने 26 बसों को परमिट जारी कर दिए थे। मामला मीडिया में उछलने और शासन तक पहुंचने के बाद 25 अक्तूबर 2015 को आरटीए ने सभी बसों को बंद करने के आदेश दिए थे। 

43 बसों के संचालन को हरी झंडी
आरटीए के आदेश के बाद आपरेटर स्टेट ट्रांसपोर्ट अथारिटी ट्रिब्यूनल में चले गए थे। गत 12 अप्रैल को ट्रिब्यूनल ने 43 बसों के संचालन को हरी झंडी दे दी। कागजी औपचारिकता पूरी करने पर आरटीओ इन बसों को विभिन्न रूटों पर फिर से परमिट जारी करेगा। 

बढ़ गई थी रोडवेज सिटी बसों की आय 
मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के तहत चल रही रोडवेज सिटी बसे प्राइवेट बसों के संचालन से घाटे में चल रही थीं। वर्ष 2014-15 में कंपनी को 99 लाख 81 हजार का घाटा हुआ था। लेकिन प्राइवेट बसों के बंद होने से वर्ष 2015-16 में यह घाटा घटकर 31 लाख 40 हजार पर पहुंच गया। वहीं आय की बात करें तो 2014-15 में कंपनी की आय 17 करोड़ 5 लाख हुई थी, तो वर्ष 2015-16 में यह बढ़कर 17 करोड़ 77 लाख पर पहुंच गई। यानी कंपनी की आय में 71 लाख का इजाफा हुआ है। 

अभी तक ट्रिब्यूनल के आदेश की कापी नहीं मिली है। जिन शहरों में सरकारी सिटी बस सेवा चल रही है वहां समानांतर प्राइवेट बस सेवा नहीं हो सकती। प्राइवेट सिटी बस बंद होने से कंपनी की आय में भारी इजाफा हुआ है। कंपनी को जल्द ही और भी बसें मिलने जा रही हैं। वे उन सभी रूटों पर बस चलाएंगे जहां बसों की जरूरत है।
संदीप लाहा, एमडी एमसीटीएसएल 

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