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हजरत मोहम्मद ने दिया अमन और सच्चाई का पैगाम
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हजरत मोहम्मद ने दिया अमन और सच्चाई का पैगाम
डुमरियागंज। तहसील क्षेत्र के हल्लौर कस्बे के कर्बला रोड पर बृहस्पतिवार रात पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में जलसा जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन केजीएन कमेटी के तत्वावधान में किया गया। क्षेत्र के उलेमाओं और शायरों ने शिरकत कर हजरत मोहम्मद की शान में कसीदे पेश किए। कहा कि हजरत मोहम्मद ने दुनिया को अमन और सच्चाई का पैगाम दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत कलाम पाक की तिलावत से हुई। कार्यक्रम में गरीब नवाज बैदौलागढ़ के मौलाना मकसूद अकरम ने कहा कि प्यारे नबी से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। बिना नबी की मोहब्बत के कोई इबादत कबूल नहीं होती। जश्न-ए-मिलाद मनाना, जलसे, जुलूस करना उसका इजहार का तरीका है। असलम गोंडवी ने कहा कि हमारे मुल्क में ख्वाजा का करम है। दुआ करिए कि हमारे मुल्क में अमन, शांति कायम रहे और कोरोना जैसी बीमारियों का सफाया हो जाए। दिल्ली से आए मोहम्मद गुलाम ने भी हजरत मोहम्मद की जिंदगी और किरदार पर विस्तार से रोशनी डाली।
बैदौलागढ़ से आए अताउल्लाह ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए। एजाज सिकहरावी, मेराज हल्लौरी, मुमताज हल्लौरी, फैजी हल्लौरी आदि शायरों ने अपने-अपने कलाम पेश किए। इस दौरान केजीएन के सदर जहुरुल्लाह, मो. रऊफ अंसारी, सिकंदर अली, मो. मकसूद अहमद आदि मौजूद रहे।
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डुमरियागंज। तहसील क्षेत्र के हल्लौर कस्बे के कर्बला रोड पर बृहस्पतिवार रात पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में जलसा जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन केजीएन कमेटी के तत्वावधान में किया गया। क्षेत्र के उलेमाओं और शायरों ने शिरकत कर हजरत मोहम्मद की शान में कसीदे पेश किए। कहा कि हजरत मोहम्मद ने दुनिया को अमन और सच्चाई का पैगाम दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत कलाम पाक की तिलावत से हुई। कार्यक्रम में गरीब नवाज बैदौलागढ़ के मौलाना मकसूद अकरम ने कहा कि प्यारे नबी से मोहब्बत करना ईमान का हिस्सा है। बिना नबी की मोहब्बत के कोई इबादत कबूल नहीं होती। जश्न-ए-मिलाद मनाना, जलसे, जुलूस करना उसका इजहार का तरीका है। असलम गोंडवी ने कहा कि हमारे मुल्क में ख्वाजा का करम है। दुआ करिए कि हमारे मुल्क में अमन, शांति कायम रहे और कोरोना जैसी बीमारियों का सफाया हो जाए। दिल्ली से आए मोहम्मद गुलाम ने भी हजरत मोहम्मद की जिंदगी और किरदार पर विस्तार से रोशनी डाली।
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बैदौलागढ़ से आए अताउल्लाह ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए। एजाज सिकहरावी, मेराज हल्लौरी, मुमताज हल्लौरी, फैजी हल्लौरी आदि शायरों ने अपने-अपने कलाम पेश किए। इस दौरान केजीएन के सदर जहुरुल्लाह, मो. रऊफ अंसारी, सिकंदर अली, मो. मकसूद अहमद आदि मौजूद रहे।