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UP: पूर्वांचल के 10 जिलों में 23 हजार मेडिकल स्टोर, आठ ड्रग इंस्पेक्टर, हर एक पर सालाना 200 निरीक्षण का जिम्मा

बीरेंद्र कुमार शुक्ल, अमर उजाला ब्यूरो, जौनपुर। Published by: प्रगति चंद Updated Thu, 25 Dec 2025 03:10 PM IST
सार

पूर्वांचल के 10 जिलों में 23 हजार मेडिकल स्टोर हैं। आठ ड्रग इंस्पेक्टर हैं। हर एक ड्रग इंस्पेक्टर पर 200 मेडिकल स्टोर के निरीक्षण की जिम्मेदारी है। इसी का फायदा कोडिनयुक्त कफ सिरप की तस्करी करने वालों ने उठाया। 
 

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Purvanchal region eight drug inspectors responsible for inspecting 23,000 medical stores across 10 districts
(सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Freepik
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विस्तार
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वाराणसी, जौनपुर सहित पूर्वांचल के 10 जिलों में 23542 मेडिकल स्टोर/फर्म हैं, मगर इनकी निगरानी और दवाओं की सैंपलिंग के लिए सिर्फ 8 ड्रग इंस्पेक्टर हैं। मिर्जापुर और चंदौली जिलों में पद रिक्त हैं। ड्रग एक्ट के तहत एक औषधि निरीक्षक को साल में 200 मेडिकल स्टोर/फर्म का निरीक्षण करना होता है लेकिन कमजोर निगरानी तंत्र के कारण किस मेडिकल स्टोर में कौन सी दवा बिक रही, माल कहां से आ रहा है और कौन खरीद रहा है, इस बारे में औषधि विभाग को पता ही नहीं। 

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कफ सिरप कांड में जौनपुर में सबसे ज्यादा लोगों पर एफआईआर
इसी का फायदा कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी करने वाले शैली ट्रेडर्स रांची के कर्ता-धर्ता शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला जायसवाल ने उठाया। कफ सिरप तस्करी के लिए पिता-पुत्र के लिए जौनपुर मुफीद साबित हुआ। दोनों ने जौनपुर की 16 फर्मों के जरिये जिले में करीब 46 करोड़ के कफ सिरप की खरीद-बिक्री दिखाई, जबकि कफ सिरप की तस्करी बांग्लादेश में की गई। मामले का खुलासा हुआ तो जौनपुर में सबसे ज्यादा 20 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गईं।
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जिले की जिन 16 फर्मों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, उनमें से कोई फर्म 1988 में तो कोई 1996, 2003 और 2023 में पंजीकृत हुई थी। जौनपुर एसआईटी के एक अधिकारी ने बताया कि जब टीम जांच करने पहुंची तो शिवम मेडिकल एजेंसी रामपुर में कपड़े-जूते की दुकान मिली। श्री केदार मेडिकल एजेंसी, उदयपुर नौपड़वा में रेस्टोरेंट चलता मिला। बाकी दुकानें लंबे समय से बंद थीं। 

पंजीकरण के बाद इन मेडिकल स्टोर/फर्म का कितनी बार निरीक्षण किया गया तो औषधि विभाग जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाया। जांच में पता चला कि जौनपुर जिले में वर्ष 2022 में भी कफ सिरप का मामला सामने आया था, लेकिन उस वक्त प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाने के कारण मामले को दबा दिया गया था।

जौनपुर में 4500 मेडिकल स्टोर... 200 के हिसाब से निरीक्षण में लगेंगे कई साल

औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अनुसार, एक औषधि निरीक्षक को सालाना 200 मेडिकल स्टोर/फर्म का निरीक्षण करना होता है। साथ ही, नए मेडिकल स्टोर/फर्म का सत्यापन कर लाइसेंस जारी करना होता है, मगर मौजूदा व्यवस्था में जौनपुर में एक औषधि निरीक्षक की तैनाती है। यहां 4500 मेडिकल स्टोर पंजीकृत हैं। नियमत: इनकी निगरानी के लिए 23 औषधि निरीक्षकों की जरूरत है, लेकिन यहां पर सिर्फ एक ड्रग इंस्पेक्टर और एक बाबू है। सालाना 200 निरीक्षण के हिसाब से सभी मेडिकल स्टोर का निरीक्षण करने में कई साल लगेंगे। ऐसे में विभाग की तरफ से सिर्फ रैंडम चेकिंग की जाती है।
 
पूर्वांचल में सबसे ज्यादा मेडिकल स्टोर जौनपुर में हैं
वाराणसी में 2600, आजमगढ़ में 3800, बलिया में 2563, सोनभद्र में 700, मऊ में 2579, जौनपुर में 4500, भदोही में 1500, मिर्जापुर में 1000, गाजीपुर में 3100 और चंदौली में 1200 मेडिकल स्टोर/फर्म हैं।

निगरानी के लिए नहीं है हमारे पास कोई तकनीक 

क्या बोले अधिकारी
विभाग के पास स्टाफ और संसाधनों की कमी है। हमारे पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है कि सभी मेडिकल स्टोर की निगरानी की जा सके है। मुख्य मार्गों के किनारों के ही मेडिकल स्टोरों की जांच हो पाती है। संसाधन बढ़ाने के लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जाता है। कोडीन कफ सिरप मामले में विभाग अपने स्तर पर जांच कर रहा है। संदिग्ध फर्म का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। एसआईटी को दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, जांच में सहयोग किया जा रहा है। -रजत पाठक, ड्रग इंस्पेक्टर जौनपुर

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माल कहां से आता है, कौन खरीदता है, भगवान ही मालिक हैं: लल्लन यादव
केमिस्ट एंड कॉस्मेटिक वेलफेयर एसोसिएशन, जौनपुर के अध्यक्ष लल्लन यादव ने बताया कि जिले में औसतन एक करोड़ रुपये की दवाओं की खपत है लेकिन निगरानी की व्यवस्था शून्य है। माल कहां से आता है, कौन खरीदता है, कौन क्या दवा खा रहा है, भगवान ही मालिक हैं। कफ सिरप का मामला गरमाने के बाद से ही नारकोटिक्स दवाओं का हिसाब-किताब लिया जाने लगा। 15 दिसंबर को मेरठ में हुई प्रदेशस्तरीय बैठक में कफ सिरप का मुद्दा उठा था। इसमें गलत काम करने वालों की सूचना जिला प्रशासन को देने का निर्णय लिया गया। लल्लन यादव कहते हैं कि औषधि विभाग सिर्फ टारगेट पूरा करने के लिए ही दवाओं की सैंपलिंग करता है।
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