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Supreme Court Hearing on SIR: SC will again hear the arguments of the Election Commission and the opposition a
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Supreme Court Hearing on SIR: चुनाव आयोग और विपक्ष की दलीलें फिर सुनेगा SC, सुनाएगा फैसला। EC
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Mon, 28 Jul 2025 10:50 AM IST
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले पर विचार कर सकती है। निर्वाचन आयोग ने एसआईआर को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों का नाम हटाने से चुनावी शुचिता बढ़ेगी। मामले में मुख्य याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दावा किया है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को अनियंत्रित विवेकाधिकार प्राप्त होने से बड़ी आबादी के मताधिकार से वंचित होने का खतरा है।बीती 10 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा था कि एसआईआर के लिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज मानने पर विचार किया जा सकता है।
दरअसल, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से बिहार में चुनाव से पहले एसआईआ कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की अलग-अलग याचिकाओं के अलावा कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, शरद पवार एनसीपी गुट की सुप्रिया सुले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है। सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर के निर्देश देने वाले चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है।मसौदा मतदाता सूची के 1 अगस्त को प्रकाशन के साथ ही ये करीब-करीब साफ हो जाएगा कि लापता मतदाताओं के नाम का क्या होगा?
चुनाव आयोग के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची की जांच और इससे नाम हटाने की प्रक्रिया अब बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) से इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) तक मिल जाएगी। 243 इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) और 2,976 सहायक ईआरओ मतदाताओं के नाम शामिल करने या हटाने के दावों और आपत्तियों की जांच करेंगे।निर्वाचन आयोग ने बताया है कि कोई भी इस मामले में भ्रम न फैलाए। मसौदा मतदाता सूची से किसी भी नाम को बिना पूर्व सूचना और स्पीकिंग ऑर्डर के बिना नहीं हटाया जा सकता है, और जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील की जा सकती है। अपील दाखिल करने में मदद के लिए वालंटियर्स को ट्रेन्ड किया जा रहा है, और एक मानक प्रारूप व्यापक रूप से प्रसारित किया जाएगा।
ईसीआई को बिहार के लगभग 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 91.69% से फॉर्म प्राप्त हुए हैं, लेकिन लगभग 65 लाख मतदाता मसौदा सूची से गायब हो सकते हैं, जिनमें 22 लाख मृत पाए गए हैं। सात लाख मतदाताओं का नाम कई स्थानों पर दर्ज है, लेकिन उनका नाम केवल एक वैध पते पर ही रखा जाएगा।एक प्रमुख चिंता 36 लाख मतदाताओं (4.59%) की है, जिन्हें स्थायी रूप से स्थानांतरित या अप्राप्य के रूप में चिह्नित किया गया है, क्योंकि बीएलओ उन्हें ढूंढ नहीं सके या फॉर्म एकत्र नहीं कर सके। चुनाव आयोग का मानना है कि उन्होंने कहीं और पंजीकरण कराया होगा या वे मौजूद नहीं हैं। कुछ मतदाताओं ने 25 जुलाई की समय सीमा पर फॉर्म भर दिया होगा और बाकी ने नहीं। 1 अगस्त 2025 तक ईआरओ/एईआरओ की जांच के बाद उनकी सही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। चुनाव आयोग ने कहा कि वास्तविक मतदाताओं को अभी भी 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावों और आपत्तियों की अवधि के दौरान जोड़ा जा सकता है।
मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित होने के बाद, बूथ-वार प्रतियां बिहार के सभी 12 दलों को दी जाएंगी और सीईओ की वेबसाइट पर भी प्रकाशित की जाएंगी। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक, कोई भी मतदाता या कोई भी राजनीतिक दल किसी भी पात्र मतदाता को शामिल करने या मसौदा मतदाता सूची से किसी भी अपात्र मतदाता को हटाने के लिए संबंधित ईआरओ के पास दावा और आपत्ति दाखिल कर सकता है। सभी दावों और आपत्तियों के समाधान के बाद अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
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