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Vice President Election: Why did BJP bet on CP Radhakrishnan, under what strategy did they take this decision?
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Vice President Election: BJP ने सीपी राधाकृष्णन के ऊपर क्यों खेला दांव, किस रणनीति के तहत ये फैसला।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Mon, 18 Aug 2025 02:05 PM IST
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उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की है. जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से कई नामों पर अटकलें लगाई जा रही थी. मगर बीजेपी ने आज राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह ही है कि आखिर बीजेपी ने दक्षिण से ही क्यों चुना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार? सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के कोयंबटूर से हैं और वो गाउंडर यानी ओबीसी समुदाय से आते हैं. अगले साल यहां विधानसभा चुनाव है. ऐसे में सबसे बीजेपी ने उनके नाम की घोषणा कर बड़ा दांव खेल दिया है. दरअसल, बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपना पैठ जमाना चाहती है और इसकी शुरुआत वो तमिलनाडु से करना चाहती है क्योंकि यहां अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव है और बीजेपी को यहां अभी तक निर्णायक सफलता नहीं मिली है. राधाकृष्णन के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है.वो कोयंबटूर से दो बार के सांसद रहे हैं. इसके अलावा वो झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. संघ में उनकी गहरी पैठ है और उनकी यही चीज बीजेपी और संघ के बीच सामंजस्य को मजबूत करती है. हाल के वर्षों में बीजेपी ने दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की पूरजोर कोशिश की है खासकर कर्नाटक और तेलंगाना में. कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र राज्य है, जहां बीजेपी सत्ता में रही है, लेकिन तमिलनाडु और केरल में उसका प्रभाव सीमित रहा है. यह इसलिए क्योंकि उसकी हिंदुत्व विचारधारा तमिल अस्मिता और द्रविड़वादी भावनाओं से टकराती है.बीजेपी ने AIADMK और छोटे दलों के साथ गठबंधन के जरिए पैठ बनाने की कोशिश की है. मगर उसे निर्णायक सफलता हाथ नहीं लगी है. ऐसे में तमिलनाडु में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में सीपी राधाकृष्णन का चयन दक्षिण में पैठ बढ़ाने का प्रयास है. 1967 के बाद से तमिलनाडु में केवल DMK और एआईएडीएमके ही सत्ता में रहे हैं.
2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में तमिलनाडु में DMK-कांग्रेस गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने तमिलनाडु में कुछ सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन वह डीएमके और एआईएडीएमके के मुकाबले काफी कम है. वोट शेयर की अगर बात करें तो बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में 11.24 फीसदी वोट मिले थे जबकि DMK को 26.93% और ADMK को 20.46 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. डीएमके 22 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके को 33.2%, AIADMK को 18.7 जबकि बीजेपी को 3.7 फीसदी वोट मिले थे. कुल मिलाकर देखा जाए को 2024 में बीजेपी के वोट प्रतिशत में करीब 8 फीसदी का इजाफा हुआ. इसलिए अगले साल होने वाले विधानसभा में बीजेपी को काफी उम्मीदें.
डीएमके ने कांग्रेस, वाम दल और छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाकर 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी. एआईएडीएमके ने बीजेपी और पीएमके जैसे दलों के साथ गठबंधन किए, लेकिन 2024 में गठबंधन टूटने के बाद उसका प्रदर्शन कमजोर रहा. तमिलनाडु की राजनीति के लिए अगले साल का चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि डीएमके सत्ता बरकरार रखने की कोशिश करेगा, जबकि AIADMK और बीजेपी वापसी की भरपूर कोशिश करेगी. हालांकि, तमिल अस्मिता और द्रविड़वादी विचारधारा उसके लिए चुनौती हैं. इसके इर्द-गिर्द घूमती दक्षिण की राजनीति...
दक्षिण भारत की राजनीति क्षेत्रीय अस्मिता, भाषा, जाति और विकास के इर्द-गिर्द घूमती है. तमिलनाडु में DMK और AIADMK जैसे दल तमिल भाषा और संस्कृति पर जोर देते हैं. हिंदी विरोधी भावनाएं, खासकर तमिलनाडु और कर्नाटक में बीजेपी के लिए चुनौती रही हैं. तमिलनाडु में वन्नियार, थेवर और गाउंडर (ओबीसी समुदाय) जैसी जातियां, कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा और आंध्र प्रदेश में कम्मा और रेड्डी समुदाय प्रभावशाली हैं. क्षेत्रीय दल इन जातिगत समीकरणों को साधने में माहिर हैं. मगर बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दल धीरे-धीरे अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं.राधाकृष्णन दक्षिण भारत के भाजपा के सबसे सम्मानित और वरिष्ठतम नेताओं में से एक रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह जमीन से जुड़े नेता रहे हैं। उनको उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना इसलिए अहम है, क्योंकि तमिलनाडु में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होना है। वह ओबीसी समुदाय से आते हैं। मोदी सरकार का जोर आदिवासियों, पिछड़ों को उचित सम्मान दिलाने पर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सी.पी. राधाकृष्णन जी ने अपने समर्पण, विनम्रता और बुद्धिमत्ता से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। विभिन्न पदों पर रहते हुए, उन्होंने हमेशा सामुदायिक सेवा और हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर व्यापक कार्य किया है। मुझे खुशी है कि एनडीए परिवार ने उन्हें हमारे गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने का निर्णय लिया है। सी.पी. राधाकृष्णन जी को सांसद और विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में समृद्ध अनुभव है। संसदीय मामलों में उनके हस्तक्षेप हमेशा प्रभावशाली रहे। मुझे विश्वास है कि वे एक प्रेरक उपराष्ट्रपति सिद्ध होंगे। उनके समर्थक उन्हें 'तमिलनाडु के मोदी' के रूप में संबोधित करते हैं. उनकी मां ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन से प्रभावित होकर उनका नाम रखा था कि बेटा एक दिन राष्ट्रपति बनेगा.
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