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Weather changed in Madhya Pradesh, heavy rain alert in many districts
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मध्य प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला, कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 13 Aug 2025 10:42 AM IST
मध्य प्रदेश में मानसून ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। कहीं हल्की बूंदाबांदी तो कहीं झमाझम बारिश हो रही है। बुधवार को मौसम विभाग ने सीहोर, हरदा, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला और बालाघाट जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। अगले 24 घंटे में यहां साढ़े 4 इंच तक पानी गिर सकता है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक 15 अगस्त से प्रदेश में एक और स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव होने जा रहा है, जिससे एक बार फिर कई हिस्सों में तेज बारिश की शुरुआत होगी। इससे पहले भी कुछ इलाकों में भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है।
मंगलवार को भी कई जिलों में बारिश का सिलसिला जारी रहा। उमरिया में ढाई इंच से ज्यादा बारिश हुई। ग्वालियर में आधा इंच से ज्यादा और सीधी में भी आधा इंच पानी गिरा। इंदौर, पचमढ़ी, बालाघाट, सागर, रीवा, मंडला, डिंडौरी, सिवनी, मैहर और दमोह समेत कई जिलों में हल्की बारिश दर्ज की गई।
बारिश के कारण कई जगह तापमान में गिरावट आई और उमस से राहत मिली। हालांकि, कुछ जिलों में बारिश कम होने से किसान अब भी चिंतित हैं। खासतौर पर इंदौर और उज्जैन संभाग में पिछले 12 दिनों से तेज बारिश का दौर थमा हुआ है, जिससे यहां सूखे जैसी स्थिति बनने लगी है।
मध्य प्रदेश में इस सीजन में अब तक 29.7 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि औसत बारिश 37 इंच है। यानी अभी भी 7.3 इंच बारिश की कमी है। दूसरी ओर, कुछ इलाकों में औसत से 6.6 इंच ज्यादा पानी गिर चुका है, जिसका मतलब है कि यहां सीजन का कोटा लगभग पूरा हो गया है।
बारिश के असमान वितरण की वजह से प्रदेश के कई हिस्सों में स्थिति संतुलित नहीं है। जहां पूर्वी जिलों में अच्छी बारिश हो रही है, वहीं पश्चिमी हिस्से में किसानों को सिंचाई के लिए अब भी आसमान की ओर देखना पड़ रहा है।
मौसम विभाग की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि फिलहाल एक ट्रफ और एक साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम की वजह से बारिश हो रही है। 13 अगस्त से उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ऊपर से नया साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम एक्टिव हो सकता है।
अगर यह सिस्टम मजबूत हुआ, तो 15 अगस्त से प्रदेश में कई इलाकों में भारी बारिश का दौर शुरू हो जाएगा। इस दौरान निचले इलाकों में जलभराव और नदियों-नालों के उफान पर आने का खतरा रहेगा।
तेज बारिश जहां खरीफ फसलों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकती है, वहीं देर से बोवाई करने वाले किसानों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं होगी। मक्का, सोयाबीन, धान और उड़द जैसी फसलों को इस समय पर्याप्त पानी की जरूरत है।
लेकिन लगातार भारी बारिश होने से फसलें पानी में डूबने का खतरा भी रहता है। खासतौर पर निचले क्षेत्रों और नदी किनारे के गांवों में किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
इंदौर और उज्जैन संभाग में पिछले दो हफ्तों से बारिश लगभग थमी हुई थी। इससे खेतों में दरारें पड़ने लगी थीं और सिंचाई का संकट गहराने लगा था। लेकिन मौसम विभाग के नए पूर्वानुमान ने इन इलाकों में फिर से उम्मीद जगा दी है।
स्थानीय कृषि अधिकारियों का कहना है कि अगर 15 अगस्त से होने वाली बारिश उम्मीद के मुताबिक हुई, तो फसलों को बड़ा फायदा होगा और सूखे जैसी स्थिति खत्म हो सकती है।
मौसम विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। जिन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी है, वहां प्रशासन ने रेस्क्यू टीमों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। नदी और नालों के पास जाने से बचने और मौसम के ताजा अपडेट पर नजर रखने को कहा गया है।
बाढ़ संभावित क्षेत्रों में पहले से ही राहत शिविरों और सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था की जा रही है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में बिजली और संचार व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी टीमें सक्रिय हैं।
मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में मानसून एक बार फिर जोर पकड़ सकता है। 15 अगस्त से एक्टिव होने वाला स्ट्रॉन्ग सिस्टम कई जिलों में भारी बारिश ला सकता है। ऐसे में यह दौर जहां किसानों और जलस्तर के लिए राहत लेकर आएगा, वहीं निचले इलाकों में बाढ़ और जलभराव की स्थिति भी पैदा कर सकता है।
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