नए श्रम कानूनों के विरोध में ग्वालियर में बुधवार को कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। बैंक, डाकघर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता समेत कुल 44 संगठनों के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल के तहत ग्वालियर में भी बड़ी संख्या में कर्मचारी सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने श्रम कानूनों को वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कानून नहीं हटाए तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
फूलबाग में जुटे कर्मचारी, निकाला गया जुलूस
प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा ग्वालियर के फूलबाग स्थित लक्ष्मीबाई स्मारक के पास हुआ, जहां से कर्मचारियों ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। विभिन्न कर्मचारी और श्रमिक संगठनों से जुड़े लोगों ने एकजुट होकर केंद्र सरकार की नीतियों पर नाराजगी जताई।
देशभर में हड़ताल का असर, 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा
यह हड़ताल केवल ग्वालियर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में व्यापक असर डाल रही है। ट्रेड यूनियनों का दावा है कि इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों और ग्रामीण मजदूर संगठनों ने 9 जुलाई को सामूहिक हड़ताल का आह्वान किया था।
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बैंकिंग और ट्रांसपोर्ट सेवाएं प्रभावित
ग्वालियर में भी कई विभागों के मजदूरों और कर्मचारियों ने कामकाज बंद रखा। हालांकि आरबीआई की ओर से 9 जुलाई को बैंकों की छुट्टी की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी, लेकिन अधिकांश बैंक कर्मचारियों ने काम से दूरी बनाई, जिससे ग्राहकों को सेवाएं बाधित हुईं। ट्रांसपोर्ट और डाकघर सेवाओं पर भी असर देखा गया।
पहले भी हो चुकी हैं राष्ट्रव्यापी हड़तालें
यह पहली बार नहीं है जब श्रम कानूनों को लेकर कर्मचारी सड़कों पर उतरे हों। इससे पहले नवंबर 2020, मार्च 2022 और फरवरी 2024 में भी इसी तरह की देशव्यापी हड़तालें हो चुकी हैं। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने बताया कि इस बार सभी यूनियन एकजुट हैं और आंदोलन को निर्णायक मोड़ तक ले जाने की तैयारी है।