चेक बाउंस मामले में आरोपी को न्यायालय ने सजा से दंडित किया, परंतु सीआरपीसी के तहत मुआवजा का आदेश जारी नहीं किया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस बीपी शर्मा ने न्यायालय की गलती से स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त मुआवजे के तौर पर अपीलकर्ता को साढ़े तीन लाख रुपये प्रदान करे।
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सीहोर निवासी विनोद कुशवाहा की तरफ से दायर की गई अपील में कहा गया था कि जमीन के सौदे के नाम पर अभियुक्त भगवत ने उसे ढाई लाख रुपये दिए थे। समझौता पक्ष में जमीन के असली मालिक के फर्जी हस्ताक्षर उसके द्वारा किए गए थे। न्यायालय ने अभियुक्त को धोखाधड़ी व जालसाजी की विभिन्न धाराओं के तहत अधिकतम तीन साल की सजा से दंडित किया था। न्यायालय द्वारा उसे सीआरपीसी की धारा 357 के तहत मुआवजा के तौर पर ढाई लाख रुपये प्रदान करने के आदेश जारी नहीं किए गए। इसके अलावा अभियुक्त ने सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।
दोनों अपील की संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पाया कि अभियुक्त अपनी सजा पूरी कर चुका है। न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 357 के तहत मुआवजा की राशि के संबंध में आदेश पारित नहीं करते हुए गलती की है। एकलपीठ ने अभियुक्त को निर्देशित किया है कि वह मुआवजा के रूप में विनोद कुशवाहा को दो माह में साढ़े तीन लाख रुपये की राशि प्रदान करें।
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