सागर जिले के दक्षिण वन मंडल अंतर्गत ढाना रेंज में एक नर बाघ की मौत ने वन विभाग के साथ-साथ वन्यजीव प्रेमियों को भी झकझोर कर रख दिया है। ग्राम हिलगन के पास मिले बाघ के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बाघ की मौत प्राकृतिक नहीं, बल्कि विद्युत करंट लगने से हुई है। इस खुलासे के बाद वन विभाग ने मामले की जांच शिकार (हंटिंग) के एंगल से शुरू कर दी है। अब तक करीब 15 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
खेतों में बिछा करंट बना मौत का कारण
दक्षिण वन मंडल के डीएफओ वरुण यादव ने मीडिया को बताया कि मृत बाघ नर था और उसकी उम्र करीब 4 वर्ष आंकी गई है। प्राथमिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि बाघ की मौत करंट की चपेट में आने से हुई। आशंका है कि शिकारियों या स्थानीय ग्रामीणों द्वारा फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों में अवैध रूप से बिजली के तार बिछाए गए थे, जिनकी चपेट में बाघ आ गया।
15 संदिग्धों से पूछताछ जारी
घटना के बाद से ही वन विभाग की टीम एक्शन मोड में है। सूत्रों के अनुसार हिलगन गांव और आसपास के इलाकों से 13 से 15 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जांच में यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि बिजली के तार किसने बिछाए थे और क्या बाघ की मौत के बाद साक्ष्य छुपाने की कोशिश की गई।
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बाघ की पहचान बनी चुनौती
वन विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती मृत बाघ की पहचान करना भी है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बाघ नौरादेही अभयारण्य से भटककर आया था या पन्ना टाइगर रिजर्व की ओर से। विभाग बाघ की धारियों (स्ट्राइप्स) का मिलान उपलब्ध डेटाबेस से कर रहा है, ताकि उसकी मूल टेरिटरी का पता लगाया जा सके। डीएफओ वरुण यादव ने कहा कि पोस्टमार्टम में बाघ की मौत करंट से होने की पुष्टि हुई है। मामले की हर पहलू से गहन जांच की जा रही है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।