सीहोर जिले के एक गरीब मजदूर को इनकम टैक्स विभाग ने 25 लाख का नोटिस थमा दिया। इतना ही नहीं, परिवार का राशन कार्ड भी निरस्त कर दिया गया। मजदूर का कहना है कि उसके नाम से किसी ने फर्जी कंपनी खोल दी है। अब पूरा परिवार भूख और डर के साए में जी रहा है।
सीहोर जिले के खाईखेड़ा गांव का एक मजदूर, जो रोज दिहाड़ी कर अपने परिवार का पेट पालता है। अचानक ऐसी मुसीबत में फंस गया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इनकम टैक्स विभाग ने उसे 25 लाख रुपये का नोटिस थमा दिया। साथ ही परिवार का राशन कार्ड भी निरस्त कर दिया गया। यह खबर पूरे इलाके में सनसनी की तरह फैल गई और हर कोई हैरान है कि आखिर एक गरीब मजदूर पर इतना बड़ा कर कैसे थोप दिया गया।
भूख से जूझते परिवार का सहारा भी छीना
पीड़ित मजदूर राकेश सिसौदिया की तीन छोटी संतानें हैं। अब तक वह सरकारी राशन से किसी तरह उनका पालन-पोषण करता था, मगर राशन कार्ड निरस्त होने से उसका यह सहारा भी छिन गया। राकेश का कहना है अगर बच्चों का पेट भरने का सहारा ही छिन जाएगा तो हम जिएंगे कैसे? उसकी आंखों में बेबसी साफ झलकती है।
न व्यवसाय, न संपत्ति, फिर भी नोटिस
राकेश कहता है कि उसके पास न तो कोई बड़ा कारोबार है और न ही कोई संपत्ति। वह केवल मजदूरी कर अपने परिवार का खर्चा चलाता है। ऐसे में 25 लाख रुपये का इनकम टैक्स नोटिस मिलना उसके लिए किसी पहाड़ टूटने से कम नहीं। उसने बताया कि 29 अगस्त को यह नोटिस आया और तभी से पूरा परिवार तनाव और डर में जी रहा है।
फर्जी कंपनी की साजिश
मजदूर का दावा है कि किसी ने उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग कर चंडीगढ़ और फिरोजाबाद में फर्जी कंपनी खोल दी है। उसी के नाम पर इनकम टैक्स विभाग ने यह भारी-भरकम नोटिस थमा दिया। इस साजिश ने न सिर्फ उसकी जिंदगी को बर्बादी की ओर धकेल दिया है बल्कि उसके मासूम बच्चों के भविष्य पर भी संकट खड़ा कर दिया है।
पुलिस थाने तक पहुंचा मामला
राकेश ने अहमदपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उसने लिखित आवेदन में पूरा घटनाक्रम बताया और फर्जी कंपनी खोलने वालों पर कार्रवाई की मांग की। अहमदपुर टीआई रमन सिंह ठाकुर ने कहा है कि शिकायत मिल गई है और पुलिस जांच कर रही है। जांच के बाद तथ्य सामने आएंगे और कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
गांव के लोगों ने इस मामले को विभाग की घोर लापरवाही बताया है। ग्रामीणों का कहना है कि बड़े-बड़े उद्योगपति और नेता करोड़ों का टैक्स चोरी कर भी बच जाते हैं, मगर यहां एक गरीब मजदूर को झूठे मामले में फंसाकर त्रासदी झेलने पर मजबूर कर दिया गया है। पूरे गांव में आक्रोश है और लोग प्रशासन से तत्काल न्याय की मांग कर रहे हैं।
सामाजिक संगठनों ने उठाई आवाज़
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी राकेश के पक्ष में आवाज़ बुलंद की है। उनका कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक राशन कार्ड निरस्त न किया जाए और मजदूर परिवार को राहत दी जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस गरीब परिवार को न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन करेंगे।
डर और आंसुओं के साए में परिवार
राकेश और उसका परिवार इन दिनों डर और आंसुओं के साए में जी रहा है। वह कहता है हम जैसे गरीब तो दो वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं, 25 लाख कहां से देंगे? अब तो बच्चों का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है। उसकी यह करुण पुकार हर सुनने वाले के दिल को पिघला देती है।