मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में अपनी विधानसभा क्षेत्र की बहनों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया। इस दौरान उन्होंने करोड़ों की योजनाओं का लोकार्पण किया और विपक्ष पर तीखा हमला भी बोला।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को अपने गृह नगर उज्जैन पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी विधानसभा क्षेत्र की बहनों के साथ रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया। तीन अलग-अलग स्थानों पर आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत नर्मदा वाटिका से हुई। यहां उन्होंने बहनों के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया और उन पर पुष्पवर्षा की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा। इसके बाद वे शिवांजलि गार्डन पहुंचे, जहां बहनों ने उन्हें राखी बांधी। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कालिदास अकादमी में भी एक कार्यक्रम में भाग लिया।
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मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने प्रदेश की 4.5 करोड़ बहनों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में विकास के कई काम हो रहे हैं। उन्होंने रायसेन से उज्जैन तक के अपने दौरे का ज़िक्र करते हुए कहा कि परसों मध्य प्रदेश में रेल कोच फैक्ट्री का भूमिपूजन होने वाला है, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि यहां मेट्रो कोच और वंदे भारत मेट्रो के कोच भी बनेंगे। मुख्यमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान का भी ज़िक्र किया और इसे सैनिकों को समर्पित बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारत दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मारने की क्षमता रखता है। यह अभियान हमारी सेनाओं के पराक्रम और साहस को समर्पित है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस बार हर घर तिरंगा अभियान पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
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सीएम ने सुनाई यह कहानी
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रक्षाबंधन को लेकर कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा भाई-बहन के त्योहार रक्षाबंधन की किसी से तुलना नहीं हो सकती। रक्षाबंधन सभी त्योहारों का राजा है। जब हम छोटे थे तो पिता जी को राखी बांधने बुआ आया करती थी। उस वक्त लगता था जैसे घर में दीपावली आ गई हो। बुआ के आते ही घर में हलचल मच जाती थी। उनके बैग में सभी भांजे-भांजियों के लिए राखी और गिफ्ट हुआ करते थे। फिर, जब हम और बड़े हुए तो बहन को लेने ससुराल जाने लगे।
उन्होंने आगे बताया पूरे साल में एक बार मिलने पर बहन अंदर से तो बहुत खुश होती थी, लेकिन सामने से कठोर होकर कहती थी कि तुम्हें बड़ी जल्दी बहन की याद आ गई, राखी आई तो याद आ गई। जाओ मैं नहीं जाती तुम्हारे साथ ये सुनने के बाद भाई मनाने में लग जाता था, गलती स्वीकार करने लगता था। काफी मनाने के बाद आखिर बहन भाई के साथ घर आ जाती थी।
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