विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। इस अवसर पर भक्तों द्वारा भगवान महाकाल को विविध प्रकार की बहुमूल्य भेंट अर्पित की गई।
मुंबई से पधारे भक्त पुष्कर वर्मा ने पं. श्रेयस चतुर्वेदी की प्रेरणा से भगवान श्री महाकालेश्वर को एक रजत मुकुट भेंट किया। मंदिर प्रबंध समिति ने यह भेंट विधिवत प्राप्त कर दानदाता का सम्मान किया और उन्हें रसीद प्रदान की।
वहीं, हरियाणा के रोहतक से आए भक्त चंदन बजाज और रजत बक्षी ने भगवान महाकाल को एक रजत मुकुट, बिल्वपत्र की माला और दो नागकुंडल अर्पित किए। यह भेंट भी मंदिर समिति की ओर से श्री आशीष दुबे द्वारा स्वीकार की गई और दानदाताओं का विधिवत सम्मान करते हुए उन्हें रसीद सौंपी गई।
इसके अलावा, बदलापुर ठाणे (मुंबई) से आए भक्त माहेलाल ने मंदिर में चल रहे विकास एवं निर्माण कार्यों के लिए 5 लाख की नगद राशि का दान दिया। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से उपप्रशासक एस.एन. सोनी ने दानदाता को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनका सम्मान किया और रसीद प्रदान की।
पढ़ें: वन विभाग के बीट गार्ड ने गायब कर दी लाखों की तार फेंसिंग, फिर खुद ही दर्ज कराई चोरी की रिपोर्ट
इस विशेष तिथि पर भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार भी किया गया। प्रातः 4 बजे मंदिर के पट खुलते ही गर्भगृह में स्थापित समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के साथ भगवान महाकाल का पंचामृत से जलाभिषेक किया गया। इसमें दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बनी विशेष सामग्री अर्पित की गई। इसके पश्चात 'हरि ओम' का जल अर्पित कर प्रथम घंटाल बजाई गई और कपूर आरती की गई।
आज के श्रृंगार की विशेषता रही कि बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट, रुद्राक्ष की माला, मस्तक पर त्रिशूल और गले में मोगरे की माला धारण कराई गई। श्रृंगार के उपरांत महानिर्वाणी अखाड़े के साधुओं द्वारा भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई और कपूर आरती कर भोग लगाया गया।
भस्म आरती के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने भगवान के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया और ‘जय श्री महाकाल’ के जयघोषों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।