बचपन में बिछड़ने का दर्द और अपनेपन की तलाश में बीते बारह साल, लेकिन अंतत: मुस्कान की जिंदगी ने वो मोड़ लिया जिसकी उसे सालों से आस थी। सात साल की उम्र में परिवार से अलग हुई मुस्कान को अब 18 वर्ष की उम्र में अपना परिवार मिल गया है। इस भावुक पुनर्मिलन की कहानी अलवर के आरती बालिका गृह से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद तक जाती है, जहां उसकी जड़ें हैं।
भिवाड़ी से चाइल्डलाइन के जरिए पहुंची थी बालिका गृह
वर्ष 2013 में मुस्कान को भिवाड़ी क्षेत्र से चाइल्डलाइन की मदद से आरती बालिका गृह लाया गया था। उसकी मां का देहांत हो चुका था और एक अनजान व्यक्ति ने उसे चाइल्डलाइन को सौंपा था। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने उसे बालिका गृह भेजने का निर्णय लिया। उस समय मुस्कान बहुत छोटी थी और अतीत की यादें भी धुंधली थीं।
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शिक्षा और उपलब्धियों में अव्वल रही मुस्कान
आरती बालिका गृह में मुस्कान का जीवन एक नई दिशा में बढ़ा। संचालक चेतराम सैनी के अनुसार, मुस्कान पढ़ाई में बेहद होनहार रही है। दसवीं कक्षा में उसने 91.33 प्रतिशत अंक हासिल किए और अब वह 12वीं बायोलॉजी विषय से उत्तीर्ण करने के बाद नीट की तैयारी कर रही है। उसकी लगन और मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित स्टेट लेवल प्रतियोगिता परीक्षा में चार बार पहला स्थान प्राप्त किया है। उसकी इन उपलब्धियों को उच्च न्यायालय जयपुर की एक पुस्तक में भी स्थान मिला है।
वीडियो कॉल ने जोड़ा परिवार से
मुस्कान को उसके परिवार से जोड़ने के लिए आरती बालिका गृह की ओर से लगातार प्रयास किए जाते रहे। हाल ही में एक वीडियो कॉल के दौरान मुस्कान ने अपनी नानी को पहचान लिया। इस पहचान ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया। मुस्कान पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की मूल निवासी है। जब यह खबर उसके परिवार तक पहुंची, तो उसकी नानी हसीना और मौसा हारून शेख तुरंत अलवर पहुंचे और अपनी बच्ची को गले से लगाया।
परिवार ने जताया आभार
मुस्कान के मौसा हारून शेख ने आरती बालिका गृह की पूरी टीम का आभार प्रकट कर कहा कि वे दिल से आभारी हैं कि इतने वर्षों तक मुस्कान को यहां स्नेह, सुरक्षा और शिक्षा मिली। उन्होंने आश्वासन दिया कि अब वे उसकी आगे की पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे और उसका सपना डॉक्टर बनने का जरूर पूरा करेंगे।
पिता की तलाश अधूरी, लेकिन उम्मीद कायम
मुस्कान के पिता हबीब उर रहमान अपनी बेटी की तलाश में मानसिक संतुलन खो बैठे थे। यह पुनर्मिलन उनकी तलाश को पूरी तरह तो नहीं भर सका, लेकिन अब मुस्कान के पास उसका एक परिवार है जो उसके भविष्य की नींव बनकर खड़ा है। मुस्कान ने कहा कि यह पल मेरे जीवन का सबसे खास है। मुस्कान ने कहा कि उसे बचपन की ज्यादा बातें याद नहीं हैं, लेकिन अपनी नानी को पहचानना उसके लिए बेहद भावुक क्षण था। बारह साल के बाद परिवार से मिलना उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल पल बन गया है।
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