धर्म नगरी उज्जैन में हर त्योहार को खास अंदाज में मनाया जाता है। यहां वे बहनें, जिनका कोई भाई नहीं है या जो अपने भाइयों से दूर रहती हैं, भगवान गणेश को अपना भाई मानकर उन्हें राखी बांधती हैं। इस अनोखी परंपरा के तहत न केवल देशभर से, बल्कि विदेशों से भी महिलाएं हर साल श्री बड़े गणेश मंदिर में राखियां भेजती हैं। वर्षों से यह परंपरा आस्था और श्रद्धा के साथ निभाई जा रही है।
उज्जैन के 118 साल पुराने और प्रसिद्ध बड़े गणेश मंदिर में इस बार भी देश-विदेश से राखियां पहुंची हैं। मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर व्यास ने बताया कि इस वर्ष अमेरिका, सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों के अलावा बेंगलुरु, मुंबई, इंदौर, भोपाल और जयपुर सहित कई शहरों से बहनों ने भगवान गणेश के लिए प्रेम और आस्था से भरी राखियां भेजी हैं। रक्षाबंधन के दिन इन सभी राखियों को विधि-विधान से पूजन कर भगवान गणेश को अर्पित किया जाएगा।
क्यों मानती हैं महिलाएं बड़े गणेश को भाई
महाकाल मंदिर के पास स्थित 15 फुट ऊंची भगवान गणेश की यह प्रतिमा ‘बड़े गणेश’ के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भक्त भगवान शिव को पिता और माता पार्वती को माता मानते हैं, और इसी भावना से कई महिलाएं गणेश जी को अपना भाई मानकर उन्हें राखी बांधती हैं। यहां भगवान गणेश के साथ उनकी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि को भी राखियां अर्पित की जाती हैं।
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एक माह पहले से आने लगती हैं राखियां
मंदिर के पुजारी पंडित अक्षत व्यास के अनुसार, भगवान गणेश को भाई मानने वाली बहनें न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के कई देशों में हैं। अमेरिका, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, हांगकांग, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया से हर साल राखियां भेजी जाती हैं। इनमें साधारण से लेकर कीमती राखियां शामिल होती हैं—जैसे डेढ़ किलो चांदी की राखी, स्वर्ण और रत्न जड़ी राखियां। रक्षा बंधन से करीब एक माह पहले से ही ये राखियां मंदिर पहुंचने लगती हैं।
हर साल आती हैं इन बहनों की राखियां
पंडित अक्षत व्यास बताते हैं कि उज्जैन निवासी प्रीति भार्गव की बेटी अमेरिका से, उषा अग्रवाल अमेरिका से, संगीता शर्मा बेंगलुरु से, और सरिता मानसिंह की राखी हांगकांग व सिंगापुर से रिश्तेदारों के माध्यम से हर वर्ष समय पर पहुंचती है। सभी राखियों को तिथि व मुहूर्त के अनुसार, भेजने वाली बहन के नाम का संकल्प लेकर, मंदिर के पुजारी भगवान गणेश को बांधते हैं।
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