सरोजिनी नगर पुनर्विकास प्रोजेक्ट के तहत बने सरकारी फ्लैट्स में पानी भराव, रिसाव और फफूंदी की जैसी गंभीर खामियां सामने आई हैं। सरोजिनी नगर पुनर्विकास प्रोजेक्ट अब शर्मिंदगी की वजह बन गई है। खामियां इतनी कि पुनर्विकास प्रोजेक्ट शर्मिंदगी से पानी-पानी हो गया है। एनबीसीसी ने इसका निर्माण किया है। जिसमें निगरानी और गुणवत्ता की भारी कमी उजागर हुई है। आधुनिकता का प्रतीक बनने वाला यह प्रोजेक्ट अब सरकारी लापरवाही और असफलता का उदाहरण बन गया है।
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2016 में दिल्ली स्थित सात जनरल पूल रिहायशी आवास (GPRA) कॉलोनियों के पुनर्विकास को मंजूरी दी थी। इस परियोजना के तहत एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को सरोजिनी नगर, नौरोजी नगर और नेताजी नगर कॉलोनियों के पुनर्विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि सीपीडब्ल्यूडी (CPWD) को बाकी चार कॉलोनियों कस्तूरबा नगर, त्यागराज नगर, श्रीनिवासपुरी और मोहम्मदपुर का कार्य सौंपा गया।
इस परियोजना का उद्देश्य मौजूदा आवासीय इकाइयों के स्थान पर अधिक संख्या में आधुनिक आवास और सामाजिक अवसंरचना का निर्माण करना था। यह परियोजना स्व-वित्तपोषण मॉडल पर आधारित थी, जिसके तहत वाणिज्यिक निर्मित क्षेत्रों की बिक्री से धनराशि जुटाई जानी थी। इसके निर्माण की जिम्मेदारी NBCC को सौंपी गई और कार्यों की कुल लागत 24 हजार 682 करोड़ निर्धारित की गई थी। आपको
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2025 को दिल्ली में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखी थी, जिनमें सरोजिनी नगर GPRA Type-II क्वार्टर भी शामिल थे। सरोजिनी नगर के Type-II क्वार्टर में 28 टॉवर हैं, जिनमें 2,500 से अधिक आवासीय इकाइयां हैं। लेकिन अब जो वीडियो सामने आए हैं, उसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण कार्य में कितनी कोताही बरती गई होगी।