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VIDEO: कतर्नियाघाट जंगल सैलानियों के स्वागत को तैयार, 1 नवंबर से निहार सकेंगे बाघ और तेंदुए
उवैश रहमान, बिछिया (बहराइच)। कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग एक बार फिर सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार है। 1 नवंबर से 15 जून तक चलने वाले पर्यटन सत्र में पर्यटक हिरनों के झुंड, गेरुआ नदी में उछलती-खेलती डाल्फिन, रेतीले टीलों पर धूप सेंकते घड़ियाल और जंगल की हरी-भरी छटा का नजदीक से नजारा ले सकेंगे।
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग 551 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह वन क्षेत्र न केवल टाइगर और एलीफैंट रिजर्व के रूप में मशहूर है बल्कि अपने प्राकृतिक पर्यटन और सुंदरता के कारण भी दुनियाभर के प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है।
कतर्नियाघाट में बाघ, तेंदुए, पाढ़ा, सांभर, बारहसिंघा, चीतल, नीलगाय सहित सैकड़ों किस्म के वन्य जीव खुले वातावरण में विचरण करते दिखाई देते हैं। वहीं नेपाल से निकलकर कतर्नियाघाट से होकर बहने वाली गेरुआ नदी में 110 से अधिक डाल्फिन की उपस्थिति इस क्षेत्र की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। यहां 600 से अधिक घड़ियाल और 12 एक-सींग वाले गैंडे भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हैं। कतर्नियाघाट के वन क्षेत्राधिकारी आशीष गौड़ ने कहा कि 1 नवंबर से जंगल पर्यटकों के आगमन के लिए तैयार है। साफ सफाई का कार्य पूरा कर लिया गया है।
ठहरने और बुकिंग की सुविधा
कतर्नियाघाट, मोतीपुर और ककरहा रेंज में पर्यटकों के लिए थारू हट और कैंपिंग की व्यवस्था की गई है। सभी आवासीय सुविधाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग डब्लूडब्लूडब्लूडॉटयूपीइकोटूरिज्मडॉटइन पर की जा सकती है।
पर्यटकों को लुभाते हैं यह वन्यजीव
प्रजाति संख्या (लगभग)
बाघ 55
तेंदुआ 89
चीतल 8,000
नीलगाय 2,800
गैंडा 12
डाल्फिन 110
घड़ियाल 600
जंगली हाथी 100 से अधिक
कैसे पहुंचे कतर्नियाघाट
जिला मुख्यालय से कतर्नियाघाट की दूरी 120 किलोमीटर है। लखनऊ या अन्य शहरों से बस द्वारा पहले बहराइच पहुंचना होगा। इसके बाद टैक्सी या निजी वाहन से सीधे वन्यजीव प्रभाग तक पहुंचा जा सकता है।
वन विभाग की तैयारी पूरी
डीएफओ सूरज कुमार ने बताया कि पर्यटन सीजन को देखते हुए गाइड, सुरक्षाकर्मी और कैंटीन की व्यवस्था पूरी कर दी गई है। सैलानियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए पूरे वनक्षेत्र में पर्याप्त स्टाफ की तैनाती की गई है।
इको-टूरिज्म की बेहतर व्यवस्था
वन निगम के सुपरवाइजर नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वन विभाग की ओर से पर्यटकों के लिए जंगल सफारी, बोटिंग के जरिए सैर की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। सुबह-शाम मोटरबोट से नदी भ्रमण का अलग ही अनुभव मिलता है। इसके अलावा टाइगर कैंप, डॉरमेट्री और घड़ियाल सेंटर पर्यटकों के लिए यादगार बनता है।
पर्यटकों के लिए किराया व सुविधाएं
कतर्नियाघाट रेंज
टाइगर कैंप - 2 (प्रति कैंप किराया 5000)
लेपर्ड कैंप - 4 (प्रति कैंप किराया 5000)
थारू हट -2 (प्रति हट किराया 2600)
जंगल सफारी बड़ी गाड़ी- 6 (प्रति गाड़ी किराया 4000- प्रति 2 घंटे का ट्रिप)
जिप्सी – 13 (प्रति जिप्सी किराया 2650- प्रति दो घंटे ट्रिप)
गेरुआ नदी बोटिंग -2 स्टीमर (अधिकतम 6 लोग प्रति ट्रिप 5000)
ककरहा रेंज
थारू हट- 4 (प्रति हट किराया 5000)
मोतीपुर - 3 थारू हट (प्रति हट 5000)
डॉरमेट्री – प्रति व्यक्ति 1300
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