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VIDEO: इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी: छात्रों ने अपने वैज्ञानिक मॉडलो का किया प्रदर्शन, बनाया खास तरह का ताला
किसी ने पर्यावरण की चिंता में तालाब के पानी को ठंडा रखने और सूखने से बचाने की तरकीब सुझाई, तो कोई सड़क हादसों को रोकने के लिए बाइक में एयरबैग लगाने की दिशा में प्रयोग कर रहा है।
विज्ञान और नवाचार की दुनिया में छोटे-छोटे कदम कैसे बड़े बदलाव ला सकते हैं, इसकी झलक देखने को मिली बाराबंकी शहर के जीआईसी ऑडिटोरियम में आयोजित जनपद स्तरीय इंस्पायर अवार्ड मानक प्रदर्शनी एवं प्रोजेक्ट प्रतियोगिता में। इस कार्यक्रम में बाराबंकी समेत दो अन्य जिलों के कुल 273 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और अपने विज्ञान मॉडल प्रस्तुत किए। कक्षा 6 से 10 तक के इन छात्रों ने अपनी कल्पनाओं और प्रयोगों से सबको चौंका दिया।
पैर से चलने वाली वाशिंग मशीन
एक छात्र ने ऐसी मशीन तैयार की है जो बिजली के बिना केवल पैर के दबाव से कपड़े धो सकती है। यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयोगी हो सकती है जहां बिजली की दिक्कत रहती है।
बाइक में एयरबैग सिस्टम
एक होनहार विद्यार्थी ने टू-व्हीलर में एक्सीडेंट के दौरान सुरक्षा के लिए एयरबैग लगाने का मॉडल प्रस्तुत किया। सेंसर आधारित यह सिस्टम जैसे ही झटका महसूस करता है, तुरंत एक्टिवेट होकर राइडर को चोट से बचाने का प्रयास करता है।
हाथ के इशारे से रुकने वाली कार
कक्षा 8 के छात्र ने एक ऐसी सेंसर-कार बनाई जो सामने व्यक्ति के हाथ दिखाने पर खुद-ब-खुद रुक जाती है। यह तकनीक भविष्य में स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम का हिस्सा बन सकती है।
तालाब के संरक्षण की तकनीक
एक बच्ची ने बताया कि कैसे गर्मियों में तालाब का पानी सूखता और गर्म हो जाता है। उसने एक ऐसा कवर सिस्टम डिजाइन किया है जो सूरज की रोशनी से पानी को बचाता है और वाष्पीकरण को रोकता है।
अमर उजाला संवाददाता ने मौके पर मौजूद कई बच्चों से बात की।
वहीं, कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ. पूनम सिंह ने बताया कि इन मॉडलों में खास बात यह है कि अधिकतर छात्रों ने अपने आइडिया गांव की समस्याओं, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा बचत और दुर्घटना रोकने के उद्देश्य से तैयार किए हैं। बच्चों ने अपने प्रोजेक्ट न सिर्फ दिखाए, बल्कि वहां मौजूद लोगों को उनकी कार्यप्रणाली भी समझाई।
प्रतियोगिता में शामिल शिक्षक और वैज्ञानिकों की टीम ने भी बच्चों के इन मॉडलों की सराहना की और कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं बच्चों की सोच को दिशा देने के साथ-साथ भविष्य के वैज्ञानिक तैयार करने की नींव होती हैं।
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