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Saharanpur News: कार पर डंपर गिरने से हादसा, सात लोगों की मौत..दूसरे दिन भी नहीं थमीं सिसकियां
Video Published by: पंखुड़ी श्रीवास्तव Updated Sun, 30 Nov 2025 09:44 AM IST
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दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के अंडरपास पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे में जान गंवाने वाले सातों लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सभी की मौत दम घुटने से हुई। हादसे के दौरान डंपर में लदी भारी बजरी और वजन के दबाव से उनकी पसलियां टूट गईं, जिससे आंतरिक अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और शरीर में खून फैल गया। दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा करीब साढ़े तीन घंटे तक सातों शवों का पोस्टमार्टम किया गया। एक शव की जांच में लगभग 30 से 40 मिनट का समय लगा। रिपोर्ट को संबंधित थाने और अधिकारियों को सौंप दिया गया है।
यह हादसा शुक्रवार को गागलहेड़ी थाना क्षेत्र में हुआ था, जब बजरी से भरा डंपर अचानक नियंत्रण खो बैठा और कार पर पलट गया। कार के अंदर बैठे सात लोग भारी मलबे में दब गए और मौके पर ही उनकी सांसें टूट गईं। जब तक बजरी हटाई जाती, तब तक किसी को बचाया नहीं जा सका। हादसे में पत्नी, बेटा, बेटी, दामाद और मासूम नाती सहित सात अपने खो चुके महेंद्र सैनी का घर दूसरे दिन भी चीखों से गूंजता रहा। गांव सोना सैयद माजरा में लोग लगातार पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधाते रहे, लेकिन दर्द इतना गहरा है कि हादसे का नाम लेते ही परिजन सिहर उठते हैं।
महेंद्र सैनी गला रुंधते हुए बस इतना कहते हैं— "हादसे ने मेरी पूरी दुनिया छीन ली।" उनका बड़ा बेटा प्रदीप, बहू कोमल और दामाद शेखर की यादें घर में मौजूद हर वस्तु से चुभ रही हैं। कोमल बार-बार बेहोश हो जाती है, और महिलाएं उसे संभालने में लगी रहती हैं।
शेखर अपनी कार से मामा की अंत्येष्टि में शामिल होने निकला था, लेकिन पत्नी जूली और मासूम बेटे के साथ मौत उसका इंतजार कर रही थी। अब वही कार घर के बाहर खड़ी है, जिसे देखते ही महेंद्र फफक उठते हैं— "इसे चलाने वाला अब कोई नहीं बचा।"
घर में सिर्फ पांच साल का नाती अभिनंदन है, जो अब अनाथ हो चुका है। उसकी दादी सुशीला बीमार हैं और खुद चलने-फिरने में असमर्थ। रिश्तेदारों के चेहरों पर अभिनंदन के भविष्य को लेकर चिंता साफ झलक रही है।
परिवार ने बेटी, दामाद और नाती की रस्म पगड़ी रविवार को छांगामजरी में करने का निर्णय लिया है। महेंद्र असहाय स्वर में कहते हैं—
"घर में कोई बचा नहीं, जो रीति-रिवाज 11 या 13 दिन तक निभाए। हमारे तो सब चले गए। हमें किसी से कोई शिकायत नहीं, बस सरकार आश्रितों को आर्थिक मदद दिला दे।"
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