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संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए आस्था से जुड़ा जिउतिया पर्व, VIDEO
लक्ष्मी कुंड सोरहिया मेला के सोलहवें दिन, भाद्रपद अष्टमी तिथि पर महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर माता लक्ष्मी की सोलह परिक्रमा करते हुए दर्शन-पूजन किया। इस अवसर पर महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत किया और आठ प्रकार के फल-फूल, माला तथा आठ कथाओं का श्रवण कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की।
यह पर्व माताएं अपने संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। जिउतिया व्रत खासकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और संतान की रक्षा की कामना करती हैं।
कथा के अनुसार जिउतिया व्रत का महत्व जीउतिया माता और जीउतवाहन राजकुमार की कथा से जुड़ा है। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं और उन्हें दीर्घायु प्राप्त होती है। महिलाएं प्रातः स्नान-ध्यान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करतीं। अगले दिन पारण के समय फलाहार व प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन करती हैं।
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