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VIDEO : जुबां से तल्ख मगर दिल से सच्चा है, हवेलियों के दरमियां उसका मकान कच्चा है..., पंक्तियों ने बांधा समां
मधुरिमा साहित्य गोष्ठी का 62वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन बीती रात हुआ। सर्द मौसम में साहित्य निशां की सुनहरी शाम के साक्षी बने श्रोताओं की मौजूदगी से रॉबर्ट्सगंज का आरटीएस क्लब ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट से देर रात तक गुंजायमान रहा। संस्था के निदेशक अजय शेखर के संयोजन में मुख्य अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अध्यक्षता डॉ. अनिल मिश्र व संचालन कवि नागेश शांडिल्य ने किया। कुमारी श्रीजा व गीतकार जगदीश पंथी ने वाणी वंदना की। नोएडा से आए डॉ. सुरेश ने सोने के दिन चांदी के दिन आए, गए आंधी के दिन... सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। चंदौली मनोज द्विवेदी 'मधुर' ने मैं जमाने के नजरों में नाकाम हूं, क्योंकि हमने किसी को छला ही नहीं... और सोनभद्र की कवियित्री रचना तिवारी ने मौत जी गए तुम्हारे बिन, सांस सांस जख्म कर गई... गीत गुन गुनाते हुए आयोजन को खुशनुमा बना दिया। बलिया से आए डॉ. नंदजी नंदा ने लीले खातिर तोहके मिलल आजादी, इहे राष्ट्रभक्ति सही आचरण ह... सुनाकर व्यवस्था पर तंज कसा। डाॅ. धर्म प्रकाश मिश्र ने त्रेता वाला गिद्ध सीता माता हेतु जान दिया, कलयुग के गिद्ध सीताओं को नोच खाते हैं..., गजलकार अब्दुल हई ने अच्छा हुआ जो आप बेगाने हो गए... और शायर अशोक तिवारी ने जुबां से तल्ख मगर दिल से बहुत सच्चा है, हवेलियों के दरमियां उसका मकान कच्चा है... सुनाकर तालियां बटोरी। इनके अलावा गोरखपुर से आए मनमोहन मिश्र, अनुपम वाणी, आजमगढ़ से आईं दिव्या राय, कौशल्या कुमारी चौहान, कवि लखन राम जंगली, ईश्वर विरागी, कवि प्रदुम्न त्रिपाठी, कमल नयन त्रिपाठी, दिवाकर द्विवेदी, सलीम शिवालवी, ओज के कवि प्रभात सिंह चंदेल ने भी काव्य पाठ किया। डाॅ. अनिल मिश्र अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ व संबोधन से आयोजन को शिखर पर पहुंचाया। समापन की घोषणा उप निदेशक आशुतोष कुमार ने की।
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