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गंगा-जमुनी तहजीब जमाएं हैं जड़ें, ठाकुरजी के मुकुट में दमकते हैं मुस्लिम कारीगरों के 'नगीने'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मथुरा
Published by: Abhishek Saxena
Updated Tue, 24 Dec 2019 05:12 PM IST
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श्रृंगार निर्माण कार्य से जुड़े मुस्लिम कारोबारी
- फोटो : अमर उजाला
धर्म की दीवारें तोड़ते हुए गंगा-जमुनी तहजीब मथुरा में अब भी अपनी जड़ें जमाए है। कृष्ण की धरती पर हिंदुओं के साथ ही अन्य धर्मों के अनुयायी भी धार्मिक आयोजनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का ही परिणाम है कि जिस मथुरा को भगवान कृष्ण की जन्मस्थली के तौर पर जाना जाता है, उनके परिधान और श्रृंगार सामग्री के निर्माण के काम में मुस्लिम समुदाय के लोग जोर- शोर से लगे हैं।
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मुकुट तैयार करते मुस्लिम समाज के कारीगर
- फोटो : अमर उजाला
कई वर्षों से इस काम में जुटे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के आपसी सामंजस्य का ही नतीजा है कि यहां तैयार होने वाली ठाकुरजी की पोशाकें और श्रृंगार की वस्तुओं की मांग देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा विदेशों में भी बढ़ती जा रही है।
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पोशाक और श्रृंगार का सामान बनाते मुस्लिम कारीगर
- फोटो : अमर उजाला
इन कारीगरों की तरफ से तैयार की गई नई डिजाइन की पोशाकों को विदेशों में भी खूब सराहा जा रहा है। ठाकुरजी की पोशाकें एवं मुकुट पर किए जाने
वाले जरदोजी के काम में यहां के मुस्लिम कारीगरों को महारत है। यही कारण है कि कई बड़े चांदी कारोबार के साथ अन्य कारोबारी पोशाक और श्रृंगार निर्माण कार्य से जुड़ गए हैं।
वाले जरदोजी के काम में यहां के मुस्लिम कारीगरों को महारत है। यही कारण है कि कई बड़े चांदी कारोबार के साथ अन्य कारोबारी पोशाक और श्रृंगार निर्माण कार्य से जुड़ गए हैं।
पोशाक कारोबारी
- फोटो : अमर उजाला
20 वर्ष से अधिक समय से इसी कारोबार को कर रहे हैं। मथुरा की बनी पोशाकें देश के साथ विदेशों में भी बड़ी मांग है। अब लोग अपने दूसरे कारोबार को छोड़कर पोशाक श्रृंगार निर्माण में लगे हैं। - नरेंद्र अग्रवाल, पोशाक कारोबारी
पहले सर्राफ कारोबार करते थे। इसमें लाभ नहीं हुआ। इसके बाद 10 वर्ष पूर्व उन्होंने ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार निर्माण का कारोबार शुरू किया। यह ठीक चल रहा है। - नितिन अग्रवाल, पोशाक कारोबारी
पहले सर्राफ कारोबार करते थे। इसमें लाभ नहीं हुआ। इसके बाद 10 वर्ष पूर्व उन्होंने ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार निर्माण का कारोबार शुरू किया। यह ठीक चल रहा है। - नितिन अग्रवाल, पोशाक कारोबारी
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पोशाक कारोबारी
- फोटो : अमर उजाला
पोशाक और श्रृंगार के कारोबार से जुड़े लगभग 10 वर्ष से अधिक का समय हो गया। पहले गिने चुने कारखाने हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ अन्य कारोबार से जुड़े लोग भी पोशाक निर्माण में लग गए हैं। - मोहम्मद जाहिद कुरैशी, पोशाक कारोबारी
मथुरा में पोशाक और श्रृंगार का कारोबार दिनों दिन बढ़ रहा है। इस कारोबार ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। इसलिए हजारों लोग इस कारोबार से जुड़ रहे हैं। - मोहम्मद दिलशाद, कारोबारी
मथुरा में पोशाक और श्रृंगार का कारोबार दिनों दिन बढ़ रहा है। इस कारोबार ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। इसलिए हजारों लोग इस कारोबार से जुड़ रहे हैं। - मोहम्मद दिलशाद, कारोबारी