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बिकरू कांड: विकास दुबे के खजांची जय के खिलाफ जांच को दबाने वाले एसपी भी दोषी, गिर सकती है गाज
सूरज शुक्ला, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sun, 15 Nov 2020 12:57 PM IST
विकास दुबे के करीबी जय की एसपी ने रोकी थी जांच
- फोटो : अमर उजाला
कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में अभी तमाम अफसरों पर गाज गिरना बाकी है। इसमें लखनऊ में तैनात एक एसपी हैं। कानपुर में उनका लंबा कार्यकाल रहा। तत्कालीन जांच अधिकारी ने एक के बाद एक चार जांचे जय बाजपेई की उनको सौंपी थी लेकिन किसी में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गैंगस्टर जय बाजपेई और विकास दुबे
- फोटो : amar ujala
तथ्यों और गवाहों के आधार पर एसआईटी की जांच में एसपी दोषी पाए गए हैं। उन पर भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने जय बाजपेई के खिलाफ आईजी से शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि आपराधिक इतिहास होेने के बावजूद जय लाइसेंसी असलहे रखता है। इसके अलावा कई अन्य आरोप भी लगे थे। इससे संबंधित चार शिकायतें की गई थीं।
विकास दुबे कांड: जय बाजपेई और पत्नी श्वेता
- फोटो : amar ujala
इन सभी जांचों को आईजी ने शहर में तैनात एक सीओ एलआइयू (वर्तमान में लखनऊ में तैनात एसपी) को सौंप दी थी। किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब जब बिकरू कांड की जांच में सौरभ के बयान हुए तो उन्होंने ये पूरा मामला बता कागजात सौंपे। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने जय को संरक्षण और शह देने में एसपी को भी दोषी माना है। दरअसल एसआईटी ने जांच में शस्त्र लाइसेंसों के मामलों को बहुत ही गंभीरता से लिया है। इसमें कई पुलिस वाले फंसेंगे।
विकास दुबे कांड
- फोटो : amar ujala
बराबर के दोषी हैं एसपी ग्रामीण
एसआईटी ने तत्कालीन एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह को दोषी पाया है। एसपी प्रद्युम्न सिंह का करीब दो साल का कार्यकाल रहा। चौबेपुर क्षेत्र उन्हीं के क्षेत्र में आता था। विकास दुबे को टॉप-10 में शामिल न करना, केस से धारा कम करना और उसकी जमानत खारिज न कराने पर एसआईटी ने जिस तरह से तत्कालीन एसएसपी अनंत देव पर सवाल उठाए हैं, उसी तरह एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह पर भी सवाल उठे हैं। सूत्रों के मुताबिक एसपी ग्रामीण विकास दुबे को बखूबी जानते थे। उन्होंने भी उसे संरक्षण दिया। चौबेपुर एसओ ने मेहरबानी की, इसकी भी जानकारी थी।
एसआईटी ने तत्कालीन एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह को दोषी पाया है। एसपी प्रद्युम्न सिंह का करीब दो साल का कार्यकाल रहा। चौबेपुर क्षेत्र उन्हीं के क्षेत्र में आता था। विकास दुबे को टॉप-10 में शामिल न करना, केस से धारा कम करना और उसकी जमानत खारिज न कराने पर एसआईटी ने जिस तरह से तत्कालीन एसएसपी अनंत देव पर सवाल उठाए हैं, उसी तरह एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह पर भी सवाल उठे हैं। सूत्रों के मुताबिक एसपी ग्रामीण विकास दुबे को बखूबी जानते थे। उन्होंने भी उसे संरक्षण दिया। चौबेपुर एसओ ने मेहरबानी की, इसकी भी जानकारी थी।
विकास दुबे कांड
- फोटो : amar ujala
एसओ को क्लीन चिट देने पर भी सवाल
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने चौबेपुर क्षेत्र में एक जुआ पकड़ा था। इसमें उन्होंने रिपोर्ट बनाकर एसएसपी को भेजी थी। रिपोर्ट में कहा गया था एसओ विनय तिवारी जुआ खिलाता है। इसके एवज में उसको पैसा पहुंचता है। इसकी जांच पहले सीओ कल्याणपुर ने की थी। बाद में ट्रेनी आईपीएस निखिल पाठक को जांच सौंपी गई थी। इसमें सीओ पर भी सवाल खड़े किए गए थे। ट्रेनी आईपीएस की जांच में भी किसी को दोषी नहीं पाया गया था। एसआईटी ने इस जांच रिपोर्ट को भी शामिल किया है। एसओ को क्लीन चिट देने पर सवाल किये हैं। इसमें भी किसी न किसी अफसर पर कार्रवाई हो सकती है।
शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र ने चौबेपुर क्षेत्र में एक जुआ पकड़ा था। इसमें उन्होंने रिपोर्ट बनाकर एसएसपी को भेजी थी। रिपोर्ट में कहा गया था एसओ विनय तिवारी जुआ खिलाता है। इसके एवज में उसको पैसा पहुंचता है। इसकी जांच पहले सीओ कल्याणपुर ने की थी। बाद में ट्रेनी आईपीएस निखिल पाठक को जांच सौंपी गई थी। इसमें सीओ पर भी सवाल खड़े किए गए थे। ट्रेनी आईपीएस की जांच में भी किसी को दोषी नहीं पाया गया था। एसआईटी ने इस जांच रिपोर्ट को भी शामिल किया है। एसओ को क्लीन चिट देने पर सवाल किये हैं। इसमें भी किसी न किसी अफसर पर कार्रवाई हो सकती है।
