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कानपुर: स्वास्थ्य विभाग गुपचुप बढ़ा रहे कोरोना से हुई पुरानी मौतों का आंकड़ा, अब सामने आया सच
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sun, 06 Jun 2021 03:53 PM IST
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दिल दहला देने वाला था घाटों का मंजर
- फोटो : amar ujala
कानपुर में कोरोना से मरने वाले रोगियों का आंकड़ा तो स्वास्थ्य विभाग कुल योग में आहिस्ता-आहिस्ता शामिल कर रहा है, लेकिन रोगी वाकई में मरा किस दिन था, इसका पता नहीं है। हफ्तेभर से संक्रमण की रफ्तार सुस्त पड़ने और मौतें घटने के बाद धीरे-धीरे पुराने आंकड़े सार्वजनिक करने पर सवाल उठते ही स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को फिर खेल किया। लगातार दूसरे दिन कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई तो पुरानी मौतों का भी आंकड़ा दबा लिया। इस चालबाजी के पीछे अस्पतालों को डेथ ऑडिट से बचाना भी है, ताकि रोगी के इलाज की खामियां उजागर न होने पाएं। जिला प्रशासन ने व्यवस्था की थी कि जिस दिन जितनी मौतें होंगी, उसी दिन सीएमओ और दूसरे अधिकारियों के साथ हर रात बैठक में उनका ऑडिट किया जाएगा। ऑडिट बैठक में अस्पतालों की व्यवस्था, इलाज में लापरवाही सरीखी बातों पर सवाल भी उठाए जाते रहे। तत्कालीन सीएमओ डॉ. अनिल कुमार मिश्रा अस्पतालों से जवाब-तलब भी करते रहे।
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दिल दहला देने वाला था घाटों का मंजर
- फोटो : अमर उजाला
इससे बचने के लिए अस्पतालों ने उसी दिन मौत का अपडेट देना बंद कर दिया। डाटा फीडर बीमार पड़ने सरीखे बहाने बना दिए। इसके अलावा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की डेथ ऑडिट टीम के पास इकट्ठी मौतें आ गईं तो ढंग से ऑडिट भी नहीं हो पाया। कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी, मौतों की संख्या अधिक थी। अगर अस्पताल उसी दिन मौत बताते तो पूछा जाता कि रोगी भर्ती होने के कितने घंटों में मरा। इस दौरान इलाज क्या दिया गया?
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दिल दहला देने वाला था घाटों का मंजर
- फोटो : अमर उजाला
इससे अस्पतालों की चूक निकलती, क्योंकि रोगियों को घंटों इंतजार के बाद भर्ती किया गया था। इस पर शासन ने भी सवाल उठाए और रोगियों को तुरंत भर्ती करने के निर्देश दिए। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से वीडियो कान्फ्रेंसिंग में जवाब भी मांगा गया कि रोगी चार-पांच घंटे में कैसे मर जा रहे हैं? सीएमओ डॉ. नेपाल सिंह का कहना है कि जो भी मौतें होंगी उन्हें अपडेट कराया जाएगा।
रात को भी जलती थी चिताएं
- फोटो : amar ujala
खामियां ढूंढकर तीसरी लहर के लिए तैयार करें
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वाकई में तीसरी लहर की तैयारी करनी है तो दूसरी लहर की कमियां पता की जाएं। संसाधन हो भी जाएंगे और ढंग से इलाज न होगा तो भी रोगी मरेंगे। रोगियों की जान तो सटीक इलाज से बचेगी। अगर केस को ढंग से मैनेज किया जाए तो ऑक्सीजन सेच्युरेशन लो होने की नौबत ही मुश्किल से आएगी। इसी व्यवस्था से रोगियों को बचाया जा सकता था। अस्पतालों में तो 11261 रोगी ही भर्ती हुए हैं, बाकी 69146 रोगी तो होम आइसोलेशन में ठीक हुए।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वाकई में तीसरी लहर की तैयारी करनी है तो दूसरी लहर की कमियां पता की जाएं। संसाधन हो भी जाएंगे और ढंग से इलाज न होगा तो भी रोगी मरेंगे। रोगियों की जान तो सटीक इलाज से बचेगी। अगर केस को ढंग से मैनेज किया जाए तो ऑक्सीजन सेच्युरेशन लो होने की नौबत ही मुश्किल से आएगी। इसी व्यवस्था से रोगियों को बचाया जा सकता था। अस्पतालों में तो 11261 रोगी ही भर्ती हुए हैं, बाकी 69146 रोगी तो होम आइसोलेशन में ठीक हुए।
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बिठूर घाट का खौफनाक मंजर
- फोटो : amar ujala
कोरोना से एक भी मौत नहीं, 12 नए संक्रमित मिले
कोरोना से लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी कोई मौत दर्ज नहीं की गई। हालांकि 12 नए संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा कुल 108 रोगियों ने कोरोना से जंग जीत ली। कोरोना से अब तक नगर में 82419 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें 80407 इलाज से ठीक हो गए। 1738 रोगियों की मौत हो चुकी है। एक्टिव केस 274 बचे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने 9052 कोरोना संदिग्ध लोगों के सैंपल लिए हैं।
कोरोना से लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी कोई मौत दर्ज नहीं की गई। हालांकि 12 नए संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा कुल 108 रोगियों ने कोरोना से जंग जीत ली। कोरोना से अब तक नगर में 82419 लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें 80407 इलाज से ठीक हो गए। 1738 रोगियों की मौत हो चुकी है। एक्टिव केस 274 बचे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने 9052 कोरोना संदिग्ध लोगों के सैंपल लिए हैं।
