सात वार नौ त्योहार वाली काशी के त्योहार व पर्व मनाने का अंदाज भी अलग है। काशी को धर्म की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि ये शहर भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ है। फिर जहां शिव होंगे, वहां देवी गौरी भी होंगी। यहां नवदुर्गा के साथ नौ गौरी के दर्शन का विधान है। नए संवत्सर के साथ शुरू होने वाले वासंतिक नवरात्र में माता के नौ गौरी स्वरूप का पूजन-अर्चन किया जाएगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भक्त मुख निर्मालिका गौरी का आशीष लेकर व्रत की शुरुआत करेंगे और तीसरे दिन सौभाग्य गौरी से सौभाग्य की कामना करेंगे। काशी में देवी गौरी के नौ रूपों का मंदिर अलग-अलग स्थानों पर स्थित है। नवरात्रि के पहले दिन माता मुखनिर्मालिका गौरी के दर्शन का विधान बताया गया है।
जिस दिन जिस गौरी के दर्शन का महात्म होता है उस दिन उसी मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आपको बताते हैं अलग-अलग गौरी का महात्म और काशी में कहां-कहां स्थित हैं नौ गौरियों का मंदिर। नीचे की स्लाइड्स में देखें.....
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भक्त मुख निर्मालिका गौरी का आशीष लेकर व्रत की शुरुआत करेंगे और तीसरे दिन सौभाग्य गौरी से सौभाग्य की कामना करेंगे। काशी में देवी गौरी के नौ रूपों का मंदिर अलग-अलग स्थानों पर स्थित है। नवरात्रि के पहले दिन माता मुखनिर्मालिका गौरी के दर्शन का विधान बताया गया है।
जिस दिन जिस गौरी के दर्शन का महात्म होता है उस दिन उसी मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आपको बताते हैं अलग-अलग गौरी का महात्म और काशी में कहां-कहां स्थित हैं नौ गौरियों का मंदिर। नीचे की स्लाइड्स में देखें.....