नेताजी का नारा था इत्तहाद, एकता, ऐतमाद, विश्वास और बलिदान...। भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था। बनारस से भी नेताजी का गहरा नाता था और वह कई बार काशी की गुप्त यात्रा पर आए थे। दावा है कि अंतिम समय के कुछ दिन उन्होंने काशी में अज्ञातवास भी किया था। आज उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही है।
नेताजी की मौसी के प्रपौत्र वीरभद्र मित्रा ने बताया कि काशी के लिए उनके मन में कई सारी योजनाएं थीं। उनके मौसा-मौसी बंगाली ड्योढ़ी में ही रहते थे।
नेताजी दो बार बंगाली ड्योढ़ी आए थे और बेहद गोपनीय तरीके से यहां निवास किया। उनकी बहन का विवाह गोरखपुर के राय परिवार में हुआ था और उनके बहनोई चिकित्सक थे। बीएचयू के भारत कला भवन में नेताजी से जुड़ी कई स्मृतियां आज भी संग्रहित हैं। आजाद हिंद फौज का रुपया, मालवीय जी को नेताजी द्वारा लिखा हुआ पत्र संग्रहित कर रखा गया है।
नेताजी की मौसी के प्रपौत्र वीरभद्र मित्रा ने बताया कि काशी के लिए उनके मन में कई सारी योजनाएं थीं। उनके मौसा-मौसी बंगाली ड्योढ़ी में ही रहते थे।
नेताजी दो बार बंगाली ड्योढ़ी आए थे और बेहद गोपनीय तरीके से यहां निवास किया। उनकी बहन का विवाह गोरखपुर के राय परिवार में हुआ था और उनके बहनोई चिकित्सक थे। बीएचयू के भारत कला भवन में नेताजी से जुड़ी कई स्मृतियां आज भी संग्रहित हैं। आजाद हिंद फौज का रुपया, मालवीय जी को नेताजी द्वारा लिखा हुआ पत्र संग्रहित कर रखा गया है।